नन्हीं को मिली पोषण पुनर्वास केंद्र से नई जिंदगी
विजाधरपुर गांव की 18 माह की नन्हीं को पोषण पुनर्वास केंद्र से एक नई जिंदगी मिली है। नन्हीं को जब यहां इलाज के लिए भर्ती किया गया था तब वह बहुत कमजोर थी। उसका वजन कम होकर छह किलो रह गया था। ऐसे में...
विजाधरपुर गांव की 18 माह की नन्हीं को पोषण पुनर्वास केंद्र से एक नई जिंदगी मिली है। नन्हीं को जब यहां इलाज के लिए भर्ती किया गया था तब वह बहुत कमजोर थी। उसका वजन कम होकर छह किलो रह गया था। ऐसे में मां को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि वह किसी प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने के लिए भी नहीं बढ़ पा रही थी। ऐसे में गांव की आंगनबाड़ी कार्यकत्र्री ममता ने उसे राह दिखाई और एनआरसी के बारे में बताया। नन्हीं की मां मालती ने जब अपनी स्थिति बताई तो फिर आंगनबाड़ी कार्यकर्त्र्री ने उसे समझाया। कहा कि एनआरसी में बच्ची के इलाज के लिए उससे कोई पैसा नहीं लगेगा। बल्कि 50 रुपए के हिसाब से रुपए मिलेंगे। इलाज के साथ साथ खाना भी मुफ्त मिलेगा। आंगनबाड़ी ममता की बात मालती को समझ में आ गई और उसने अपनी बेटी नन्ही को पोषण पुनर्वास केंद्र में इलाज के लिए भर्ती करा दिया। एनआरसी में उसकी बेटी की हालत में सुधार आने लगा और वजन भी बढ़ने लगा। 15 दिन भर्ती रहने के बाद जब एनआरसी से नन्हीं की छुट्टी हुई तो उसका वजन एक किलोग्राम बढ़कर सात किलोग्राम हो गया। इस पर मां को काफी राहत मिली। नन्हीं की मां मालती का कहना है कि उसकी बेटी को एनआरसी से नई जिंदगी मिली है। वह कहती है कि अगर मुझे कोई कमजोर बच्चा मिलेगा तो मै उसके परिजनों को वहां ले जाने की सलाह दूंगी।