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गंगा-रामगंगा के खौफ से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मचा हाहाकार

जिले में गंगा और रामगंगा का खौफ बाढ़ पीड़ितों की नाक में दम किए है। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंचने से चिंता और बढ़ गई है। कटान इतना अधिक तेज है कि तराई क्षेत्रों में जमीनें नदी में समा रही...

गंगा-रामगंगा के खौफ से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मचा हाहाकार
हिन्दुस्तान टीम,फर्रुखाबाद कन्नौजFri, 28 Aug 2020 11:25 PM
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जिले में गंगा और रामगंगा का खौफ बाढ़ पीड़ितों की नाक में दम किए है। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंचने से चिंता और बढ़ गई है। कटान इतना अधिक तेज है कि तराई क्षेत्रों में जमीनें नदी में समा रही हैं। रामगंगा नदी के जलस्तर में और इजाफा होने से खतरा बढ़ गया है। तराई और गंगापार क्षेत्र में लोगों को राहत अभी तक नहीं मिल पा रही है। शाम को गंगा नदी का जलस्तर 136.95 मीटर पर दर्ज किया गया। जो कि खतरे के निशान से 15 सेंटीमीटर कम है। रामगंगा नदी का जलस्तर 10 सेंटीमीटर बढ़कर 135.85 मीटर पर पहुंच गया। नरौरा बांध से गंगा नदी में 90858, हरिद्वार से 66390,बिजनौर से 90837 क्यूसेक पानी पास किया गया है। रामगंगा नदी में हरेली, खो और रामनगर बैराज से 16514 क्यूसेक पानी पास किया गया है। कालागढ़ से भी पानी छोड़े जाने से रामगंगा नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। दोनों नदियों के उफान से गंगापार में बाढ़ की विनाशलीला जारी है। दोनों नदियों की बढ़ोत्तरी से खतरा इस कदर बढ़ गया है कि यदि रामगंगा के जलस्तर में और बढ़ोत्तरी हुई तो कई स्थानों पर नदियों का पानी एक धार हो सकता है। ग्रामीण इससे बेहद भयभीत हैं। कटान से भी घबराहट है। लोगों को रात रात भर जागना पड़ रहा है। गंगापार के रामगंगा किनारे बसे कोलासोता, अलादादपुर भटौली, महोलिया, हरपालपुर, हरिहरपुर के अलावा पूर्वी क्षेत्र के नहरैया, निसवी, खरगपुर आदि गांव में ग्रामीणों में खलबली मची है। बड़ी संख्या में लोगों की जमीन नदी में आ चुकी है। शमसाबाद तराई क्षेत्र के दो दर्जन गांव अभी भी जबरदस्त नर्क बना है। सैलाव का बहाव इतना अधिक तेज है कि ग्रामीणों के सामने झोपड़ियां छोड़ने के अलावा केाई विकल्प नहीं बचा है। कमथरी गांव के अंदर तक कई फिट पानी बह रहा है। वहीं जैतपुर में भी पानी अंदर तक घुस गया है। पैलानी दक्षिण, गुटैटी आदि गांव की हालत बेहद खराब है। यहां से लोग नाव के जरिए गांव से तेजी के साथ निकल रहे हैं। जटपुरा, कैलियाई, कटरी तौफीक और भगवानपुर की हालत भी काफी खराब है।

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