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मानव जीवन दुर्लभ, जैसा करेंगे वैसा मिलेगा फल

बौद्ध धर्म गुरु दलाईलामा ने अनुयाइयों को मानव धर्म की महत्ता बताई। कहा कि यह मानव जीवन बेहद ही दुर्लभ है। इसमें जैसा करेंगे वैसा ही फल मिलेगा। अनुयाइयों ने उनकी एक एक बात को काफी शांत चित से सुना।...

मानव जीवन दुर्लभ, जैसा करेंगे वैसा मिलेगा फल
हिन्दुस्तान टीम,फर्रुखाबाद कन्नौजTue, 04 Dec 2018 11:30 PM
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बौद्ध धर्म गुरु दलाईलामा ने अनुयाइयों को मानव धर्म की महत्ता बताई। कहा कि यह मानव जीवन बेहद ही दुर्लभ है। इसमें जैसा करेंगे वैसा ही फल मिलेगा। अनुयाइयों ने उनकी एक एक बात को काफी शांत चित से सुना। उन्होंने कहा कि इस पृथ्वी पर सारे प्राणियों में यदि किसी में चिंतन करने की क्षमता है तो वह मनुष्य में है। अगला जीवन मनुष्य के रूप में मिले इसकी कोई गारंटी नहीं है। जो अभी हम मनुष्य के रूप में कर रहे हैं इस पर चिंतन करने की जरूरत है। अच्छे कार्य करेंगे तो मानव जीवन मिल सकता है। नहीं तो नर्क के भी भागीदार बन सकते हैं। उन्होंने फिर से मानव धर्म पाने के उपाय भी बताए। यह भी कहा कि यह सत्य है कि अच्छा कार्य करने, दूसरों के सेवा करने पर अच्छे फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने अनुयाइयों को ज्ञानामृत कराते हुए कहा कि श्रद्धा मात्र से ज्ञान संभव नहीं है। दूसरों को क्षमा करने की आदत डालें। ध्यान का अभ्यास करते समय बोधितत्व का ज्ञान आ गया तो जीवन में अपार शांति मिलेगी।

करीब दो घंटे बोले धर्मगुरु

धर्मगुरु दलाईलामा ने मंगलवार को राजघाट में करीब दो घंटे तक प्रवचन दिया। उन्होंने करुणा, मैत्री, संभाव के साथ ही मन की शुद्धता पर अपनी बात रखी। प्रवचन की शुरुआत में ही उन्होंने पूरे पांडाल को निहारा। जिस किसी के पास बोधिचर्यावतार की पुस्तक नहीं देखी इस पर उन्होंने आयोजक मंडल को इशारा करते हुए सभी के हाथों में बोधिचर्यावतार की पुस्तक देने को कहा। इसके बाद ही उन्होंने अपने प्रवचन को विधिवत रूप से चालू किया। उनकी निगाह जब सामने बैठे कुछ विदेशी बच्चों पर पड़ी तो पुन: से उन्होंने अपनी बात को रोकते हुए कहा कि इन बच्चों को तो सबसे पहले इस ग्रंथ की आवश्यकता है। यह भी कहा कि बच्चे यदि अभी से इस ग्रंथ का अभ्यास करना शुरू कर देंगे तो आगे अच्छे मानव बन सकेंगे। धर्मगुरु का आदेश पाकर वालंटियर्स अपने अपने ब्लाक में जुट पड़े और सभी के हाथों में पुस्तकें थमा दी। जब पांडाल में फिर से एकाग्रता हुई तो बौद्ध धर्मगुरु ने अपने प्रवचन को आगे बढ़ाया। पांडाल में बड़ी संख्या में महिलाओं के अलावा बच्चे भी शामिल थे।

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