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बिगड़े मौसम में भी नहीं डिगी श्रद्धालुओं की आस्था

छोटी काशी के माघ मेले में हर ओर धर्म अध्यात्म की छटा बिखर रही है। बिगड़े मौसम में भी श्रद्धालुओं की आस्था नहीं डिगी। कल्पवासियों की राउटी में जहां कोई भगवान राम की कथा का प्रवचन कर रहा है तो वहीं कोई...

बिगड़े मौसम में भी नहीं डिगी श्रद्धालुओं की आस्था
हिन्दुस्तान टीम,फर्रुखाबाद कन्नौजTue, 22 Jan 2019 11:09 PM
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छोटी काशी के माघ मेले में हर ओर धर्म अध्यात्म की छटा बिखर रही है। बिगड़े मौसम में भी श्रद्धालुओं की आस्था नहीं डिगी। कल्पवासियों की राउटी में जहां कोई भगवान राम की कथा का प्रवचन कर रहा है तो वहीं कोई गंगा मइया की आराधना में भक्त लीन हैं। हर तरफ एक अच्छा भक्तिमय माहौल नजर आ रहा है। भक्त गंगा मइया की सेवा करने में लगे हुए हैं।

पांचालघाट गंगा नदी के रेत में माघ मेला लगा हुआ है। यहां दूर दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु कल्पवास करने के लिए साधु संतो के साथ पहुंच चुके हैं। अब तक गंगा मे दो प्रमुख स्नान हो चुके हैं। इसमें मकर संक्रांति और पौष पूर्णिमा का है। सोमवार से प्रशासन की ओर से भी मेले का विधिवत शुभारंभ कराया जा चुका है लेकिन रात से मौसम का जो मिजाज बिगड़ा है उससे धर्म अध्यात्म की इस नगरी में गंगा भक्तों पर बिगड़े मौसम का कोई असर नहीं है। रात भर कल्पवासियों ने बूंदाबांदी के बीच अपनी राउटियो में मुश्किल से गुजारी। किसी की राउटी गिर गई तो किसी की झोपड़ी उड़कर दूर जा गिरी। इस सबके बाद भी भक्तों की आस्था डिगी नहीं। मंगलवार को आस्था के साथ साथ गंगा भक्त राउटी भी ठीक करने में लगे रहे। सीढ़ी नंबर 5 और 6 के सामने कल्पवास करने आए हरदोई जिले के सवायजपुर क्षेत्र के निवासी पंडित रामसागर ने बताया कि वह पिछले बीस सालों से यहां गंगा घाट पर कल्पवास करने आते हैं। हर साल ही मौसम खराब होता है लेकिन इस बार शुरुआत से ही खराब हो गया। रात में राउटी कई बार संभालनी पड़ी। इसी क्षेत्र में निवास कर रहे गौटिया निवासी अनोखे ने बताया कि वह अपनी पत्नी के साथ गंगा स्नान के साथ साथ पूरे माह राउटी डालकर यहां रहते हैं। मौसम में उतार चढ़ाव चलता रहता है लेकिन हमारी आस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ता। पूरे इंतजाम से एक माह का कल्पवास करने के लिए आए है। सीढ़ी नंबर 5 के सामने क्षेत्र में कल्पवास कर रहे राजकुमार तिवारी ने बताया कि रात तो ऐसा लगा कि मौसम बहुत खराब हो जाएगा लेकिन अगले दिन आकाश में बादल जरूर छाए रहे लेकिन हवा का रुख कुछ कम हुआ इससे राहत मिली। इस तरह से और भी कई कल्पवासी गंगा मइया की आराधना में लीन दिखाई दिए। वहीं संतो के क्षेत्रों में कहीं कथा हो रही थी तो कहीं भगवान के भजन चल रहे थे।

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