बोले फर्रुखाबाद:काम करें,बेगार भी करें..सुविधाओं में पीछे खड़े
Farrukhabad-kannauj News - माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रमोशन न मिलने, वेतन में देरी, और आउटसोर्सिंग की समस्या प्रमुख हैं। कर्मचारियों ने स्थायी भर्ती,...

माध्यमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार शिक्षणेत्तर कर्मचारी काम कर रहे हैं। उनके ऊपर काम का तो दबाव है मगर यह किसी भी जिम्मेदार ने नहीं सोचा कि उनकी समस्याएं क्या हैं? चाहें बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी की बात हो या फिर वेतन संबंधी दिक्कतें। इसके निराकरण के लिए शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को लंबी दौड़ भाग करनी पड़ती है। जब से माध्यमिक विद्यालयों में आउटसोर्सिंग कर्मियों का दखल हो गया है तब से और भी सिस्टम खराब हो गया है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में माध्यमिक शिक्षणेत्तर संघ के प्रदेश संयोजक राजेश निराला कहने लगे कि विद्यालयों में बीएड और एलटी प्रशिक्षित होने के बाद भी कर्मचारियों को शिक्षक पद पर प्रमोशन नहीं दिया जा रहा है जबकि संघ की ओर से पिछले एक दशक से 25 फीसदी कोटा निर्धारित कर पदोन्नति दिए जाने की मांग की जा रही है। शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है यह कहीं से उचित नहीं है।
वीरपाल सिंह कहते हैं कि शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को भी राज्य कर्मचारियों की तरह सेवानिवृत्ति के समय अर्जित अवकाश का नगदीकरण मिलना चाहिए। हंसराम शर्मा कहने लगे कि शिक्षणेत्तर संवर्ग की पदोन्नति होने पर वर्तमान प्राप्त उच्च वेतन से अगले स्तर का वेतन ग्रेड पे का लाभ मिले। कोरोना काल में फ्रीज किए गए महंगाई भत्ते के अवशेष का भी भुगतान लंबित है। इसका भी भुगतान होना चाहिए। नरेंद्र कुमार अग्निहोत्री कहते हैं कि शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को शिक्षा विभाग या अन्य विभागों से संबद्ध न किया जाए। यशपाल यादव कहने लगे कि पुरानी पेंशन योजना पूरी तौर पर लागू हो। नवीन पेंशन योजना कहीं पर कर्मचारियों के हित में नहीं है। शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को भी चिकित्सा सुविधा, एलटीसी व स्वास्थ्य विभाग की अन्य सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। जितेंद्र कुमार कहते हैं कि जिस तरह से सेवानिवृत्त शिक्षको को मानदेय के आधार पर रिक्त पदों की पूर्ति होने पर नियुक्त किया जा रहा है। इसी तरह शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को भी सेवानिवृत्त होने के बाद रिक्त पदों की पूर्ति होने तक मानदेय के आधार पर नियुक्ति प्रदान की जाए जिससे कि विद्यालय का कार्य सुचारू रूप से चल सके। कृष्ण कुमार बाजपेयी कहते हैं कि शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की लंबित समस्याओं को प्राथमिकता से निस्तारण के लिए शासन स्तर से कदम उठाने की जरूरत है। अक्सर शिक्षणेत्तर कर्मचारी अपनी समस्याओं को लेकर काफी परेशान हो जाते हैं। राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि माध्यमिक विद्यालयो में आउटसोर्सिंग नियुक्तियां उचित नहीं है। भर्ती यदि करनी ही है तो स्थायी रूप से होनी चाहिए जिससे कि कर्मचारियों का भला हो सके। इससे कर्मचारियों की समस्याओं का काफी हद तक समाधान हो जाएगा।
सुझाव-
1. बीएड प्रशिक्षित कर्मचारियों का शिक्षक पद पर प्रमोशन किया जाना चाहिए।
2. राज्य कर्मचारियों की भांति सेवानिवृत्ति के समय शेष अर्जित अवकाश का नगदीकरण हर हाल में किया जाना चाहिए।
3. शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की प्रबंध समिति में भी भागीदारी होनी चाहिए।
4. शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधा, एलटीसी की भी सुविधा मिले।
5. आउटसोर्सिंग भर्ती पर रोक लगे, स्थायी भर्तियां होनी चाहिए।
6. शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को शिक्षा विभाग या अन्य विभागों से संबद्ध न किया जाए।
शिकायतें-
1. रविवार और अन्य सार्वजनिक अवकाश में भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से काम लिया जाता है।
2. बोर्ड परीक्षा में नियम विरुद्ध सीलिंग पैकिंग का कार्य चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को करना होता है।
3. बोर्ड परीक्षा समेत अन्य परीक्षाओं में मिलने वाला पारिश्रमिक भी पूरा नहीं मिलता है।
4. डीआईओएस कार्यालय के रवैये पर छोटे-छोटे काम के लिए भी शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को दौड़भाग करनी पड़ती है।
5. चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए प्रबंधक मनमानी करते हैं।
6. नवीन पेंशन योजना कहीं पर कर्मचारियों के हित में नहीं है।
बोले लोग-
चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की पदोन्नति के लिए मनमानी की जा रही है। इस पर अंकुश लगना चाहिए। तभी हमारा भला हो पाएगा।
-दीपू कुमार
सबसे अधिक दिक्कत डीआईओएस कार्यालय में काम को लेकर होती है। कोई भी काम समय पर नहीं होता है।
-वीरपाल सिंह
विद्यालयों में वैसे भी शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की कमी है। जो नौकरी दी जाए वह स्थायी मिले जिससे कर्मचारियों का भला हो।
-मोहम्मद जुबैर
रविवार व अन्य सार्वजनिक अवकाश में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की ड्यूटी लगायी जाती है लेकिन प्रतिकर अवकाश नहीं दिया जाता है। -राजेंद्र
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