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अयोध्या से 14 कोसी परिक्रमा की अन्य खबरें

अक्षय नवमी के पर्व पर शुक्रवार को रामनगरी की 14 कोसी परिक्रमा का श्रीगणेश हो गया। इसी के साथ सप्ताह भर चलने वाला कार्तिक मेला भी शुरु हो गया है। परम्परागत रुप से आयोजित होने वाले इस परिक्रमा में 20...

अयोध्या से 14 कोसी परिक्रमा की अन्य खबरें
हिन्दुस्तान टीम,फैजाबादFri, 16 Nov 2018 09:11 PM
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जय श्रीराम के उदघोष के साथ परिक्रमा पथ पर बढ़े लाखों पग

वार्षिक अनुष्ठान की परम्पराअक्षय नवमी पर्व पर होने वाली परिक्रमा के मुहूर्त से पहले भोर में श्रद्धालुओं ने शुरु की परिक्रमा

सांझ के धुंधलके के साथ 42 किमी. से अधिक लम्बा परिक्रमा पथ पूरी परिधि में घनीभूत होता गया

कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच शुरु हुई परिक्रमा के शनिवार को दोपहर तक चलते रहने की संभावना,

परिक्रमा के कारण यातायात प्रतिबंध लागू

अयोध्या। हिन्दुस्तान संवाद

अक्षय नवमी के पर्व पर शुक्रवार को रामनगरी की 14 कोसी परिक्रमा का श्रीगणेश हो गया। इसी के साथ सप्ताह भर चलने वाला कार्तिक मेला भी शुरु हो गया है। परम्परागत रुप से आयोजित होने वाले इस परिक्रमा में 20 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस परिक्रमा के लिए एक दिन पूर्व से ही श्रद्धालुओं का आगमन शुरु हुआ और शुक्रवार भी इनकी आमद का क्रम जारी है। ट्रेन, रोडवेज व प्राइवेट वाहनों के अतिरिक्त निजी वाहनों व ट्रैक्टर-ट्रालियों से यहां आ रहे श्रद्धालु अपने-अपने गुरु धामों मे आश्रय ग्रहण कर परिक्रमा पथ की ओर बढ़ रहे हैं। रात्रि तक यहां पहुंचे सभी श्रद्धालु परिक्रमा में शामिल हो जाएंगे। उधर कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच शुरु हुई परिक्रमा के पूरे परिपथ के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा कर्मियों तैनात किए गये हैं। वहीं जिला प्रशासन के आला अफसर हर क्षेत्र से पल-पल की खबर ले रहे हैं। भोर से शुरू हुई परिक्रमा देर शाम तक अपने पूरे शबाब पर पहुंच चुकी है और इस दौरान काफी संख्या में श्रद्धालुगण अपने संकल्प की सिद्धि कर चुके हैं। तो आधे परिक्रमा की परिधि को लगातार भरते जा रहे हैं। वही शेष अपने संकल्प के पथ पर बढ़ने की मानसिक तैयारी कर चुके हैं।रामनगरी में है कल्पवास की सनातनी परम्पराकार्तिक मास में वैष्णव नगरी अयोध्या में मास पर्यन्त कल्पवास की परम्परा सनातन काल से चली आ रही है। इसी परम्परा के निर्वहन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां शरद पूर्णिमा से ही आकर अपने-अपने गुरुधामों में ठहरे हैं। इन कल्पवासी श्रद्धालुओं की दिनचर्या में प्रतिदिन सूर्योदय व सूर्यास्त पर मां सरयू के पावन सलिल में डुबकी लगाकर मंदिर में दर्शन-पूजन व कथा के श्रवण के माध्यम से सत्संग के अलावा आंवला व तुलसी पूजन के साथ दीपदान के कार्यक्रमों में भागीदारी ही प्रमुख है। इसी कड़ी में कल्पवासी श्रद्धालुगण भी परिक्रमा के लिए निकले हैं।यातायात प्रतिबंध लागू14 कोसी परिक्रमा को लेकर रामनगरी के चतुर्दिक यातायात प्रतिबंधित कर दिया गया है। टीएसआई इन्द्रजीत यादव ने बताया कि भीड़ के मद्देनजर डायवर्जन व्यवस्था लागू की गयी है। इसी क्रम में अम्बेडकरनगर से लखनऊ की ओर जाने वाले वाहनों को महराजगंज से डायवर्ट कर थाना पूराकलन्दर के रास्ते भेजा रहा है। इसके अलावा हाईवे पर कोई प्रतिबंध नहीं है। वहीं इनकार्डन में वाहनों को मेला क्षेत्र में प्रवेश से प्रतिबंधित कर दिया गया है। आंवला नवमी के रूप में भी मनाई जाती है अक्षय नवमी महात्म्यमान्यता है कि नवमी से लेकर पूर्णिमा तक रहता है भगवान विष्णु का वासकार्तिक मास में आंवला व तुलसी के पूजन के साथ दीपदान का विशेष महत्वसंतान प्राप्ति के लिए इस नवमी पर पूजा- अर्चना का विशेष महत्व, श्री हरि का स्मरण करते हुए रात्रि जागरण करेंआज महिलाएं आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर संतान प्राप्ति व उनकी सलामती के लिए करेंगी पूजा अयोध्या। हिन्दुस्तान संवादकार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय नवमी कहलाती है। अन्य दिनों की तुलना में इस नवमी पर किया गया दान-पुण्य कई गुना अधिक फलदायक होता है। मान्यता है कि जिस इच्छा के साथ इस व्रत में पूजन किया जाता है वह इच्छा पूर्ण होती है इसलिए इस नवमी को इच्छा नवमी भी कहा जाता है। मान्यता है कि द्वापर युग का प्रारंभ भी अक्षय नवमी से हुआ था। कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। इस व्रत में भगवान विष्णु के पूजन का विधान है। अक्षय नवमी के दिन आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन बनाने और भोजन करने का विशेष महत्व है। अक्षय नवमी को ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक दैत्य को मारा था। इस दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध से पहले तीन वन की परिक्रमा की थी। आज भी लोग अक्षय नवमी पर मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा करते हैं। संतान प्राप्ति के लिए इस नवमी पर पूजा- अर्चना का विशेष महत्व है। इस व्रत में भगवान श्री हरि का स्मरण करते हुए रात्रि जागरण करें। आंवला नवमी 17 नवंबर 2018 शनिवार को मनाई जाएगी। इस दिन महिलाएं आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर संतान प्राप्ति और उनकी सलामती के लिए पूजा करती हैं। इस दिन आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने का भी चलन है। इनसेटकैसे उत्पन्न हुआ आंवलाजब पूरी पृथ्वी जलमग्न थी और इस पर जिंदगी नहीं थी, तब ब्रह्मा जी कमल पुष्प में बैठकर निराकार परब्रह्म की तपस्या कर रहे थे। इस समय ब्रह्मा जी की आंखों से ईश-प्रेम के अनुराग के आंसू टपकने लगे थे। ब्रह्मा जी के इन्हीं आंसुओं से आंवला का पेड़ उत्पन्न हुआ, जिससे इस चमत्कारी औषधीय फल की प्राप्ति हुई।इनसेटआयुर्वेद के अनुसार आंवला का महत्वआचार्य चरक के मुताबिक आंवला एक अमृत फल है, जो कई रोगों का नाश करने में सफल है। साथ ही विज्ञान के मुताबिक भी आंवला में विटामिन सी की बहुतायत होती है। जो कि इसे उबालने के बाद भी पूर्ण रूप से बना रहता है। यह आपके शरीर में कोषाणुओं के निर्माण को बढ़ाता है, जिससे शरीर स्वस्थ बना रहता है। ट्रिनीडाड के कलाकारों ने भी की 14 कोसी परिक्रमासंकल्प की सिद्धिदीपोत्सव के अवसर पर रामलीला मंचन में किया था अभिनय मां सरयू की आरती में भी शामिल होकर दीपदान कियाअयोध्या। दीपोत्सव 2018 के अवसर पर रामनगरी में रामलीला के मंचन के माध्यम से अपने अभिनय कला की छाप छोड़ने वाले ट्रिनीडाड के चार कलाकारों ने भी शुक्रवार को रामनगरी की 14 कोसी परिक्रमा की। इन कलाकारों ने भोर में परिक्रमा का श्रीगणेश कर मध्याह्न में संकल्प की सिद्धि की। इसके उपरांत देर शाम मां सरयू की आरती में भी शामिल होकर दीपदान किया और मां सरयू के प्रति अपनी श्रद्धा निवेदित की। अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डॉ. वाईपी सिंह ने बताया कि शिवगण आर्गनाइजेशन, ट्रिनीडाड, वेस्टइंडीज के कलाकारों के ग्रुप के चार कलाकार अयोध्या में हिन्दी भाषा में संवाद संप्रेषण का प्रशिक्षण ले रहे हैं। इन कलाकारों ने एक दिन पहले तुलसी स्मारक भवन में चल रही अनवरत रामलीला मंचन में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी रामतीरथ ने बताया कि 14 कोसी परिक्रमा में शामिल होने वाले कलाकारों में कृष्णामूर्ति रामजीत के अलावा संजय बोधाई, सना रामजीत व इलिविस किंग शामिल हैं।

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