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जिले में कुपोषण को लेकर यूनीसेफ चिंतित

जिले के अलावा प्रदेश के 39 जिले कुपोषण की गम्भीर समस्या से जूझ रहे हैं। अक्टूबर के महीने में दो चरणों का वजन दिवस आयोजित हुआ, जिसमें साढ़े चार हजार से अधिक बच्चे अतिकुपोषित तथा 20 हजार से अधिक बच्चे...

जिले में कुपोषण को लेकर यूनीसेफ चिंतित
हिन्दुस्तान टीम,इटावा औरैयाFri, 17 Nov 2017 05:25 PM
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जिले के अलावा प्रदेश के 39 जिले कुपोषण की गम्भीर समस्या से जूझ रहे हैं। अक्टूबर के महीने में दो चरणों का वजन दिवस आयोजित हुआ, जिसमें साढ़े चार हजार से अधिक बच्चे अतिकुपोषित तथा 20 हजार से अधिक बच्चे कुपोषित पाए गए। कुपोषित बच्चों के लिए काम करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था यूनीसेफ भी इस दिशा में गम्भीर हुई है। यूनीसेफ की स्टेट कंसलटेंट डा.रीना चुघ ने जिला अस्पताल में अतिकुपोषित बच्चों को भर्ती करने के लिए खुले पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) का निरीक्षण किया और केन्द्र में काम करने वाले कर्मचारियों को बच्चों की देखभाल करने के लिए विशेष ट्रेनिंग भी दी। डा.चुघ ने एनआरसी के साथ जिला अस्पताल की अन्य व्यवस्थाओं को देखकर उनकी सराहना भी की।

स्टेट कंसलटेंट डा.रीना चुघ अतिकुपोषित बच्चों की स्थिति को जानने के लिए जिलों का दौरा कर रही हैं। कई जिलों में तो उन्हें कुपोषण की स्थिति काफी गम्भीर दिखाई दी। उनके द्वारा अतिकुपोषित बच्चों की किस प्रकार से देखभाल करने के बाद उन्हें कुपोषण से मुक्त किया जाए इसके लिए वे अस्पताल स्टाफ को रिफ्रेशमेंट की विशेष ट्रेनिंग भी दी जा रही है। जिला अस्पताल में अतिकुपोषित बच्चों के लिए दस बैड का पोषण पुनर्वास केन्द्र खुला हुआ है, जिसमें बच्चों को भर्ती किया जाता है। निरीक्षण के दौरान सिर्फ पांच बच्चे भर्ती थे। इस पर उन्होंने चिंता व्यक्त की और कहा कि जिले में अतिकुपोषित बच्चों की संख्या अधिक होने के बाद भी केन्द्र पर बच्चे कम भर्ती हैं। मौजूद स्टाफ ने बताया कि बच्चों को लाने की जिम्मेदारी आशा व आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की होती है। उन्होंने एनएचएम के डीपीएम से कहा कि वह बच्चों को चिंहित करके केन्द्र पर भर्ती कराएं।

लगभग एक घंटे तक डा.चुघ ने एनआरसी की व्यवस्थाओं को देखा और चाक-चौबंद व्यवस्थाओं के साथ एनआरसी को अत्याधुनिक बनाने के लिए अस्पताल प्रशासन की सराहना भी की। उन्होंने जिला अस्पताल में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, बायोमेडिकल बेस्ट, आपरेशन थिएटर व जिस तरह से वार्डों में मरीजों के बैडों पर मच्छरदानी लगी हुई थी, उन सभी व्यवस्थाओं को भी सराहा। निरीक्षण के समय मुख्य चिकित्साधीक्षक डा.एके पालीवाल, हास्पीटल मैनेजर डा.निखिलेश कुमार भी मौजूद रहे।

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