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आंवले के पेड़ का पूजन कर मांगी सुख-समृद्धि

अक्षय नवमी (आंवला नवमी) का पावन पर्व शनिवार को श्रद्धाभाव के साथ परम्परागत ढंग से मनाया गया। महिलाओं ने आंवले के वृक्ष का पूजन अर्चन व परिक्रमा कर घर-परिवार में सुख-समृद्धि की कामना की। वैसे तो अक्षय...

आंवले के पेड़ का पूजन कर मांगी सुख-समृद्धि
हिन्दुस्तान टीम,इटावा औरैयाSat, 28 Oct 2017 06:29 PM
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अक्षय नवमी (आंवला नवमी) का पावन पर्व शनिवार को श्रद्धाभाव के साथ परम्परागत ढंग से मनाया गया। महिलाओं ने आंवले के वृक्ष का पूजन अर्चन व परिक्रमा कर घर-परिवार में सुख-समृद्धि की कामना की। वैसे तो अक्षय नवमी का पर्व रविवार को है। लेकिन रविवार के दिन आंवले का वृक्ष व फल न तो लोग छूते हैं और न ही नाम लेते हैं। इस कारण से महिलाओं ने एक दिन पहले ही यह पर्व मनाया। शहर के प्रमुख कम्पनी गार्डन में लगे आंवले के वृक्षों का पूजन अर्चन दोपहर तक चलता रहा। इसी वृक्ष के नीचे बैठकर महिलाओं ने प्रसाद भी ग्रहण किया।

कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व भी स्नान व पूजन अर्चन का विशेष महत्व है। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय नवमी के नाम से जानी जाती है। माना जाता है कि आंवले के पेड़े के नीचे बैठकर पूजन अर्चन करने व भोजन करने से सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिलता है। वैसे तो अक्षय नवमी शनिवार की शाम 4.51 बजे से लग रही थी लेकिन अधिकतर महिलाओं ने सुबह से दोपहर तक पूजन अर्चन किया। महिलाओं द्वारा 108 बत्ती से बने दीपक से आरती उतारी गई।

वहीं 108 आटे से बनाए गए आंवला फल भी अर्पित किए गए। खीर-पूड़ी का भोग लगाया गया और सुहाग का सामान भी अर्पित करने के बाद आंवला वृक्ष में कच्चा सूत लपेटकर घर परिवार में सुख-समृद्धि व मन की इच्छाओं की कामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना भी की गई।

पूजन अर्चन के लिए आई पुष्पा चौधरी, आरती चौहान, लक्ष्मी, वंदना सिंह, मीरा, मुन्नी देवी आदि महिलाओं ने बताया कि रविवार को आंवले के पेड़ का न तो पूजन होता है और न ही नाम लिया जाता है। इसलिए अष्टमी को ही पूजन अर्चन किया गया है। उन्होंने बताया कि अक्षय नवमी मन की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। आंवला वृक्ष में भगवान शिव व भगवान विष्णु का वास माना गया है। इसलिए यह पेड़ काफी पूज्यनीय है और अक्षय नवमी पर आदिकाल से इसके पूजन का विधान है। माता लक्ष्मी ने भी यह पूजन किया था।

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