इटावा में सूख रही धान की फसल, मानसून दे रहा है धोखा
इटावा। कोराना काल में जब सभी भौतिक संसाधन और व्यवस्थाएं धोखा दे गई थीं, तब केवल अन्नदाता ही था जिसने विषम परिस्थितियों में भी सभी का पेट भरा। उस काल...
इटावा। कोराना काल में जब सभी भौतिक संसाधन और व्यवस्थाएं धोखा दे गई थीं, तब केवल अन्नदाता ही था जिसने विषम परिस्थितियों में भी सभी का पेट भरा। उस काल में देशवासियों ने अन्नदाता की अहमियत को समझा लेकिन आज जिले और क्षेत्र में मौसम की मार झेल रहे अन्नदाता को बिजली विभाग ठेंगा दिखा रहा है। इससे किसानों की धान की फसल पानी की कमी के चलते सूख रही है। सूखे के अंदेशे से चिंतित किसानों का कलेजा कांप रहा है।
जून में अधिक गर्मी और पानी की कमी के कारण किसानों ने धान की पौध तैयार तो की किंतु अधिकांश धान की पौध नष्ट हो गई। फिर भी यहां के किसानों ने हिम्मत करके कर्ज लेकर सैफई बसरेहर और भरथना इलाकों से धान की पौध को खरीद कर मानसून और बिजली विभाग के भरोसे जैसे तैसे अपने खेतों में धान की फसल रोपित कर दी।मानसून ऋतु जुलाई माह में तेज बारिश न होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं।अन्नदाता बारिश के इंतजार में टकटकी लगाये अपने खेतों पर बैठ आसमान की ओर निहारता कि बारिश हो जाए लेकिन बरखारानी की मेहरबानी ना हो सकी ऊपर से बिजली विभाग द्वारा सिर्फ दो-चार घंटे ट्यूबवेल को बिजली आपूर्ति से धान की फसल को पर्याप्त पानी न मिलने के कारण फसल सूखने ने की कगार पर है। वहीँ जिन किसानों के इंजन से चलने वाले निजी नलकूप लगे हुए हैं उन किसानों को एक बीघा जमीन की सिंचाई करने में300रुपये का डीजल लग जाता है और शाम तक देखो तो खेत पहले जैसा ही दिखने लगता है।
सिर्फ दो से तीन घंटे बिजली
धनुआ क्षेत्र के किसानों ने बताया कि फतेहपुरा फीडर से ट्यूबवेलों को बिजली बमुश्किल दो से तीन घंटे मिल रही है। पर्याप्त मात्रा में पानी न मिलने से हजारों बीघा धान की फसल नष्ट होने की कगार पर है। दो-तीन घंटे की बिजली में जो भी पानी खेतों को मिलता है अगले दो-चार दिन बाद खेत सूखे दिखाई देते हैं।
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