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उत्तर मध्य रेलवे व डीएफसीसी के अधिकारियों ने डाला डेरा

इटावा। संवाददाता डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर वैदपुरा थाना क्षेत्र के गांव महोला के...

उत्तर मध्य रेलवे व डीएफसीसी के अधिकारियों ने डाला डेरा
हिन्दुस्तान टीम,इटावा औरैयाWed, 22 Sep 2021 04:31 AM
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इटावा। संवाददाता

डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर वैदपुरा थाना क्षेत्र के गांव महोला के पास सोमवार मालगाड़ी दुर्घटना के बाद राहत एवं बचाव का काम तेजी से शुरू कर दिया गया है। सोमवार रात में ही टूंडला व आगरा के अलावा कानपुर से भी राहत गाड़ियों को मौके पर बुलाकर बड़ी-बड़ी क्रेनों के जरिए मलवा हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मंगलवार को रेलवे के बड़े अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। बता दें कि 58 डिब्बों की मालगाड़ी जो भाऊपुर जा रही थी महोला के पास सोमवार शाम पांच बजे तेज आवाज के साथ बेपटरी हो गई थी। हादसे में मालगाड़ी के 40 डिब्बे 20 फीट ऊंचाई से नीचे खेतों की ओर जा गिरे थे। मालगाड़ी में हादसे के दौरान गिट्टी लदी हुई थी। जिसकी चपेट में आने से एक बच्चे की मौत भी हो गई थी। घटना के बाद राहत एवं बचाव का काम प्रशासनिक स्तर पर शुरू किया गया जिसके बाद तीन घायलों को अस्पताल भेज दिया गया था। ऐसे में मंगलवार को डीएफसीसी के अधिकारियों के अलावा उत्तर मध्य रेलवे के एडीआरएम ऑपरेशन भी मौके पर पहुंचे। एडीआरएम सोमवार रात पूर्वा एक्सप्रेस से इटावा स्टेशन पहुंचे थे। जिसके बाद वे घटनास्थल पर पहुंचे, इस हादसे को लेकर रेलवे द्वारा विस्तृत जांच के आदेश दे दिए गए हैं। बता दें कि हादसा इतना भयानक था कि कई किलोमीटर तक मालगाड़ी के वैगन पलटने की गड़गड़ाहट सुनाई दी थी। दुर्घटना के चलते तकरीबन एक किलोमीटर ट्रैक व ओएचई प्रभावित हुई हैं, जबकि अप व डाउन दोनों ही ट्रैक बुरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। अचानक हुए इस हादसे में पास में ही खेत पर बकरी चरा रहे एक दस वर्षीय मासूम की मालगाड़ी के मलबे के नीचे दबने से मौत हो गयीं थी। हादसे में तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

एक महीने में दूसरा बड़ा हादसा होने से बढ़ी रेलवे की चिंता

इटावा। जिले में डीएफसीसी पर एक महीने के अंदर यह दूसरा बड़ा हादसा है। इससे पहले 23 अगस्त को जसवंतनगर के राजपुर व भारद्वाजपुर के बीच मालगाड़ी पलटने से डेढ़ किलोमीटर रेलवे ट्रैक उखड़ गए था। हादसें के कारण पांच दिन ट्रैक बन्द करना पड़ा था जिसके चलते न सिर्फ रेलवे को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा बल्कि मालगाड़ी व यात्री गाड़ी के रूट में भी परिवर्तन करना पड़ा था। वहीं एक बार फिर से बड़ा हादसा होने के बाद डीएफसीसी ट्रैक पर परिचालन पूरी तरीके से ठप हो गया है। मौके पर मौजूद मलबे व ट्रैक को हुए नुकसान को देखते हुए तीन से चार दिन बाद ही परिचालन शुरू होने की संभावना है, हालांकि रेलवे के बड़े अधिकारियों का कहना है कि ट्रैक को शुरू करना उनकी पहली प्राथमिकता है। फिलहाल डीएफसीसी प्रबंधन की ओर से मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं साथ ही मलबा हटाने का काम भी तेजी से शुरू कर दिया गया। इस बार भी हादसे में रेलवे ट्रैक के साथ ओएचई को भी भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में एक बार फिर से रेलवे को करोड़ों रुपए के नुकसान की आशंका व्यक्त की गयीं हैं।

तो कहीं बारिश के कारण मिट्टी धंसने से तो नहीं हुआ हादसा

इटावा। सोमवार को बीएससीएस 58 डिब्बों की मालगाड़ी, जिसमें लाइम स्टोन लदा था। न्यू भाऊपुर जा रही थी। अचानक शाम पांच बजे न्यू भदान और न्यू इकदिल स्टेशन के बीच महोला गांव के नजदीक मालगाड़ी के 40 डिब्बे अचानक बेपटरी होकर पुल से नीचे खेतों में जा गिरे। मालगाड़ी में टूंडला हेड क्वार्टर के लोको पायलट केएल सोनी, असिस्टेंट लोको पायलट अश्वनी और गॉर्ड अंकित मौजूद थे। जब यह हादसा हुआ तो तीनों ही रेलकर्मियों के भी होश उड़ गए। मौके पर पहुँचे रेल अधिकारियों ने उनसे पूरी घटना का व्योरा लिया है। प्रथम दृष्टया घटना का कारण रेलवे ट्रैक की मिट्टी धंसक जाना बताया जा रहा है जिसके कारण मालगाड़ी का संतुलन बिगड़ गया। हालांकि रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। मामले की विस्तृत जांच कराई जा रही है, जिससे स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

महोला रोड पर लगा गाड़ियों का रेला, जुटे कर्मचारी

इटावा। हादसे के बाद आगरा हरियाणा दिल्ली इलाहाबाद के अधिकारी व कर्मचारी राहत कार्य में जुटे ट्रैक की मरम्मत के लिए अलग टीम गठित की गई है जबकि मलवा हटाने के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं ऐसे में ट्रैक के किनारे टेंट लगाकर अधिकारियों ने डेरा जमा लिया है रात और दिन में भी ट्रैक पर काम किया जा सके इसके लिए बड़ी-बड़ी लाइटों की व्यवस्था भी की गई है साथ ही कर्मचारियों को भी कई शब्दों में यहां लगाया गया मंगलवार को मोहल्ला रोड पर तकरीबन 1 किलोमीटर तक गाड़ियों का काफिला नजर आया जिससे अलग-अलग राज्यों और जिलों से अधिकारी यहां पहुंचे थे डीएफसीसी निर्माण के बाद यह अब तक का दूसरा सबसे बड़ा हादसा माना जा रहा है।

मजदूर को आया चक्कर, मौके पर नहीं थी एम्बुलेंस

इटावा। इतने बड़े हादसे के बाद भी घटनास्थल पर न तो कोई एंबुलेंस तैनात की गई और न ही सुरक्षा के मानकों का ध्यान रखा गया। यही कारण है कि मंगलवार को ट्रैक पर लगने वाली चाबी से भरी बोरी लेकर जब एक मजदूर 20 फीट ऊंचे ट्रैक की ओर बढ़ने लगा तो उसे अचानक चक्कर आकर वह नीचे गिर गया। घटना के बाद आसपास मौजूद साथी मजदूरों ने उसे होश में लाने का प्रयास किया। काफी देर तक होश न आने पर उसे हाथ व पैर पकड़ कर पेड़ के नीचे लाया गया निश्चित रूप 400 से अधिक मजदूरों अधिकारियों व कर्मचारियों की मौजूदगी वाले घटनास्थल पर एंबुलेंस की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए।

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