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जिले में पर्यावरण संरक्षण के लिए बनेगी नई प्रदूषण नियंत्रण इकाई

जिले में पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए राज्य सरकार अब नए सिरे से काम करेगी। पूर्व सपा सरकार ने जहां जिले में पांच लाख पौधे लगाकर जहां नए कीर्तिमान बनाए गए थे। वहीं अब वर्तमान सरकार औद्योगिक...

जिले में पर्यावरण संरक्षण के लिए बनेगी नई प्रदूषण नियंत्रण इकाई
हिन्दुस्तान टीम,इटावा औरैयाWed, 20 Dec 2017 07:03 PM
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जिले में पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए राज्य सरकार अब नए सिरे से काम करेगी। पूर्व सपा सरकार ने जहां जिले में पांच लाख पौधे लगाकर जहां नए कीर्तिमान बनाए गए थे। वहीं अब वर्तमान सरकार औद्योगिक प्रदूषण को रोकने के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी पुख्ता योजना बनाएगी। ताज महल व उसके आसपास के ताज ट्रॉपेजियम जोन में सरकार न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करेगी बल्कि उसके संवर्धन के लिए भी योजनाएं तैयार होगी।

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देने के बाद मास्टर प्लान 2021 पर विशेष काम करने के लिए सरकार ने योजना बनाई है। इसके तहत इटावा, फिरोजाबाद, मथुरा, आगरा, हाथरस व राजस्थान के भरतपुर जिले चिन्हित किए गए हैं। प्रदेश सरकार की ओर से जिले में जल्द ही प्रदूषण नियंत्रण इकाई की भी स्थापना की जाएगी। जो वायु प्रदूषण के स्तर व उससे होनेवाले नुकसान का आंकलन करेगी। फिलहाल प्रदूषण नियंत्रण इकाई फिरोजाबाद से जिले के काम-काज संचालित हो रहे हैं। बोर्ड की स्थापना के बाद न सिर्फ पर्यावरण का संरक्षण हो सकेगा बल्कि यमुना सफाई को लेकर भी कुछ नए प्रयास हो सकेंगे। जमुना का एक बहुत बड़ा भाग जिले से होकर गुजरता है। इसके बावजूद यहां न तो ट्रीटमेंट प्लांट की उचित व्यवस्था है और न ही जमुना की साफ सफाई को लेकर कोई कड़े प्रबंध किए गए। ऐसे में ताजमहल की सुरक्षा को लेकर होने वाली इस कवायद से न सिर्फ जिले का पर्यावरण संतुलन बनेगा बल्कि वन क्षेत्र के बढ़ने की भी उम्मीद है।

टीटीजेड कुल 10400 वर्ग किलो मीटर का वह इलाका है जो ताजमहल के आसपास संरक्षित क्षेत्र माना जाता है। इसके तहत अब जिले में किसी भी औद्योगिक इकाई के संचालन के लिए पर्यावरण संतुलन बोर्ड से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। जिले में बोर्ड की इकाई खुलने से कई अन्य जरुरी सुविधाएं भी यहां के लोगों को मिल सकेंगी।

वन्य जीवों की सुरक्षा पर भी दिए जाएंगे विशेष ध्यान

इटावा। वन्य जीव चक्र में वनों के साथ साथ वनों को भी संरक्षित माना गया है। इटावा, आगरा, मैनपुरी, एटा, हाथरस जैसे जिले अन्तर्राष्ट्रीय पक्षियों की पनाहगार रहे हैं। इसके अलावा इटावा में शुरु होने जा रही लॉयन सफारी व पहले से चल रही चम्बल सेंचुरी क्षेत्र में भी वन्य जीवों को भी संरक्षित करने की कवायद चल रही है। इस लिहाज से प्रदेश सरकार न सिर्फ इन जगहों को पर्यावरण संतुलन के लिए चिन्हित करके काम करेगी। साथ ही वन्य जीवों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए भी यहां किए जाएंगे।

यमुना सफाई को भी मिलेगा बल

इटावा। नमामि गंगे योजना के तहत पिछले दिनों राज्य सरकार को 50 करोड़ रुपए की धनराशि दी गई थी। इस योजना में प्रथम चरण में गंगा के साथ साथ यमुना किनारे बसे शहरों में उचित सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने व बने हुए प्लांट की क्षमता बढ़ाने के निर्दश दिए गए थे। हालांकि इटावा में इसको लेकर कोई काम नहीं हुआ। जो प्लांट यहां संचालित हैं उनकी क्षमता मांग के अनुसार कम है। ऐसे में प्रदूषण नियंत्रण इकाई का गठन होने के बाद यमुना सफाई को लेकर भी कुछ कडे़ कदम उठाए जाने की उम्मीद है।

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