सर्पदंश के बाद लापरवाही, अंधविश्वास से जा रही लोगों की जान
बरसात के मौसम में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती हैं। उत्तर प्रदेश के गांवों में लोग सावधानी नहीं बरतते और झाड़-फूंक पर विश्वास रखते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सर्पदंश पर तुरंत डॉक्टरी उपचार जरूरी है।...
सैफई संवाददाता बारिश शुरू होते ही विषैले सर्पों का प्रभाव बढ़ जाता है। बिल से निकलकर वे ऊंचे स्थानों की ओर रुख करते हैं। कई बार वे रेंगते हुए घरों तक पहुंचते हैं अनजाने में लोगों को निशाना बनाते हैं। सबसे बड़ी बात यह कि सर्पदंश को लेकर आज भी लोग क्षेत्र में असावधानियां व लापरवाही बरतते हैं। गांव में लोग जमीन में सोकर न सिर्फ सर्पों व अन्य कीटों को न्योता देते हैं, बल्कि सर्पदंश के बाद भी समुचित इलाज के बजाए झाड़-फूंक में अधिक विश्वास रखते हुए ऐसी घटना होने पर तुरंत डॉक्टर से उपाय करने की जरूरत रहती है। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के इंटरनल मेडिसिन के असिस्टेंट प्रो सुशील यादव के अनुसार वर्षा से बिलों में पानी भर जाने के कारण सर्प सूखे स्थान की तलाश में निकल पड़ते हैं। ये तलाश मकानों में समाप्त होती है, जहां जाने-अनजाने इनसे आमना-सामना होता है। सर्प कभी भी किसी को बेवजह नहीं काटते।
सभी सर्प जहरीले नहीं होते। कुछ सर्प हैं जिनके काटे जाने पर आदमी की मृत्यु होती है। संयम और शांत व्यवहार रखा जाए तो इसे भी टाला जा सकता है। वाइपर और शॉ स्केल्ड वाइपर में ही विष होता है। जिसमें सबसे घातक जहर कोबरा सर्प का होता है, जिसमें समय पर इलाज न मिलने से तीन से छः घण्टे में मृत्यु होती हैं।
इटावा, मैनपुरी, औरैया और एटा में ये चार सर्प प्रजातियां बड़ी संख्या में मौजूद है। इनमें कोबरा सबसे ज्यादा है। घर, कुआं और खेत में सर्प दिखाई देने पर सर्प विशेषज्ञ को तुरंत काल कर बुला लेना चाहिए।
डॉ सुशील यादव ने बताया अभी विश्वविद्यालय के मेडिसिन आईसीयू में हमारे अंदर में मैनपुरी जिले के मछावर शमसेर गंज के रहने वाले रंजीत कुमार 24 बर्षीय पुत्र प्रेम चंद्र चार अगस्त को भर्ती हुए थे।
भर्ती के समय रंजीत के शरीर में कोबरा का ज़हर इतना जायदा असर कर चुका था कि वो कोमा में जा चुके थे लेकिन घर वालों ने आसपास के लोगों की बातों में ना आकर कोई जाड़फूंक और ओझा को छोड़ सीधे यहां ट्रामा सेंटर का रुख़ किया और परिणाम ये हुआ कि यहाँ उनको समय रहते एंटीस्नैक वेनम का इंजेक्शन की 40 वायल लगायी गई और सपोर्टिव ट्रीटमेण्ट दिया गया तब जाकर 5 दिन बाद अब होश आया और अपने परिवारी जनों से बात की है। सारे परिवारीजन रंजीत का ये दूसरा जीवन विश्वविद्यालय के चिकित्सक डॉ सुशील और उनकी टीम के सदस्य डॉ अंतरिक्ष मौर्य, नर्शिंग इंचार्ज श्रवण ब्रदर, सत्या, बबली यादव,विजय यादव ब्रदर सभी की खूब तारीफ़ की और डेरों आशीर्वाद दिये।
डॉ सुशील यादव ने कहा सर्प काट ले तो क्या बचाव करें
1.किसी भी प्रकार का सांप काट ले तो घबराएं नहीं, शांत रहे।
2.पीडि़त के शरीर पर कोई भी कसाव वाली वस्तु न रहने दें(बेल्ट,जूते की लेस)न बंधे रहने दे,इससे रक्तचाप बढ़ता है।
3.काटे गए स्थान को हिलाए डुलाए नहीं।
4.पीडि़त को जितनी जल्दी हो सके, पास के स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं व डॉक्टरी उपचार करवाएं, व एंटी वेनम लगवाएं।
सर्पदंश के दौरान क्या न करें
1.ओझा या तांत्रिक के पास जाकर झाड़ फूंक में समय न गवाएं।
2.काटे गए स्थान पर ब्लेड व धारीदार वस्तु से न काटे
3.पीडि़त को ज्यादा चलने न दें,व उसे किसी वाहन व व्हीलचेयर या स्ट्रेचर की सहायता से स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं।
4.कोबरा या करैत सांप के काटने पर पीडि़त को सोने न दें। सोने पर रक्त का प्रवाह तेजी से बढ़ता है।
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