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रोक के बावजूद किसान खेतों में जला रहे पराली

महेवा विकास खंड क्षेत्र के भोगनीपुर नहर से जुड़े इलाके व अन्य क्षेत्रों के किसान लगातार अपने खेतों में पराली जलाकर प्रदूषण फैला रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कृषि विभाग और स्थानीय प्रशासन द्वारा...

रोक के बावजूद किसान खेतों में जला रहे पराली
हिन्दुस्तान टीम,इटावा औरैयाTue, 28 Nov 2017 10:14 PM
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महेवा विकास खंड क्षेत्र के भोगनीपुर नहर से जुड़े इलाके व अन्य क्षेत्रों के किसान लगातार अपने खेतों में पराली जलाकर प्रदूषण फैला रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कृषि विभाग और स्थानीय प्रशासन द्वारा धान की कटाई के बाद अवशेष न जलाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। कुछ किसान इन जागरूकता कार्यक्रमों की धज्जियां उड़ाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। धान की कटाई के बाद गेंहू की बुवाई के लिए किसानों ने पराली को जलाना शुरू कर दिया है। धान की पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है। प्रदूषण विभाग और स्थानीय प्रशासन किसानों पर नकेल कसने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।

भोगनीपुर नहर के साथ उससे जुड़े माइनर व रजवाहों वाले इलाकों के क्षेत्रों में किसानों ने व्यापक स्तर पर धान की फसल उगा रखी है। इस समय धान की कटाई का काम अंतिम चरण पर है। किसानों को धान कटते ही खेतों में गेंहू की फसल की बुबाई करनी होती है। गेंहू की बुवाई में देरी न हो इसलिए किसान धान की पराली को खेत से उठाने के बजाए खेतों में ही जला देते हैं। क्षेत्र में इस समय कई जगह पराली के ढेर सुलगते हुए देखे जा सकते है। पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। अधिक संख्या में पराली जलाए जाने के कारण इस समय आकाश में धुएं की परत भी दिखाई देती है। किसान अपने स्वार्थ के चलते पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहे है। पराली जलाना नियमों के हिसाब से गलत है। किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन को ठोस कदम उठाने होंगे तभी पर्यावरण प्रदूषण पर लगाम लग सकती है।

लापरवाही में कई बार लग चुकी है आग

बकेवर। रोक के बावजूद धान की पराली जलाते समय क्षेत्र में अब तक आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर खेतों में आग लग चुकी है। लवेदी थाना क्षेत्र के ग्राम दुर्गापुर में शिवदत्त पुत्र श्रीकृष्ण के दस बीघा, लखना कैनाल रोड निवासी महिपाल सिंह सिकरवार के 12 बीघा, रमपुरा निवासी पप्पू की 9 बीघा खेतो में खड़ी धान की फसल पड़ोसी खेत मालिक की लापरवाही और पराली में आग लगाने के कारण जल कर नष्ट हो चुकी है।

पराली जलाने से घटती है उर्वरा शक्ति

बकेवर। जिला कृषि अधिकारी गौरव यादव का कहना है कि खेत में किसी भी फसल का अवशेष जलाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से प्रदूषण तो बढ़ता ही है साथ में जमीन की उर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है। उन्होंने कहा कि अवशेष जलाने से जमीन में कई मित्र कीट मर जाते है, जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है।

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