ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेशयमुना में डूबे मजदूर का तीसरे दिन मिला शव

यमुना में डूबे मजदूर का तीसरे दिन मिला शव

पारिवारिक चाचा के अंतिम संस्कार में शामिल होकर हनुमान घाट पर नहाते समय यमुना नदी में डूबे मजदूर का शव तीसरे दिन सुनवारा गांव के पास से बरामद किया गया। पुलिस को शुक्रवार की सुबह दस बजे जब सफलता मिली...

यमुना में डूबे मजदूर का तीसरे दिन मिला शव
हिन्दुस्तान टीम,इटावा औरैयाFri, 02 Oct 2020 10:34 PM
ऐप पर पढ़ें

पारिवारिक चाचा के अंतिम संस्कार में शामिल होकर हनुमान घाट पर नहाते समय यमुना नदी में डूबे मजदूर का शव तीसरे दिन सुनवारा गांव के पास से बरामद किया गया। पुलिस को शुक्रवार की सुबह दस बजे जब सफलता मिली जब गोताखोर व पुलिस टीम स्टीमर की मदद से खोजबीन में जुटी हुई थी तभी पानी के बहाव में शव बहते हुए देखा गया। जिसके चलते पुलिस को नदी से शव निकालने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। बता दें कि 36 घंटे से अधिक समय से पानी में शव रहने से फूल चुका था। परिजनों की शिनाख्त के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। बाद में शव को परिजनों के हवाले करने के बाद शाम को अंतिम संस्कार किया गया।

सदर कोतवाली क्षेत्र के करनपुरा यमुना तलहटी के रहने वाले रामगोपाल उर्फ नानक (45) बुधवार की शाम चार बजे नदी में डूबकर लापता हो गया था। घटना उस समय हुई थी जब वह अपने 75 वर्षीय चाचा राम सनेही की उनकी अंत्येष्टि में शमिल होने यमुना घाट पर गया था। जहां से लौटने के दौरान वह हनुमान घाट पर शुद्धि क्रिया के चलते अपने बाल मुढ़वाकर जैसे ही नदी में नहाने के लिए उतरा तो गहरे पानी में चले जाने से वह डूब गया था। हादसे के दौरान रामगोपला के साथ उसके परिवार के कई और लोग भी थे। उसे बचाने का प्रयास भी किया गया लेकिन पानी अधिक होने से लोग नदी में ज्यादा नहीं घुसे। जिसके बाद सूचना पुलिस को दी गई। दो दिन तक गोताखोरों व पुलिस टीम उसकी खोजबीन में जुटी रही थी लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लग सकी।

शुक्रवार की सुबह टीटी चौकी इंचार्ज विवेक कुमार जब रामगोपाल की खोजबीन के लिए चकरनगर से आए स्टीमर से नदी में उसकी तलाश कर रहे थे तभी सुबह दस बजे शव घटना स्थल से तीन किलोमीटर दूर सुनवारा गांव के मोड़ के पास से बरामद किया गया। जिस पर पुलिस ने गोताखोरों की मदद से शव को नदी किनारे लाकर निकलवाया और परिजनों को शव मिलने की जानकारी दी गई। शव मिलने पर मौके पर पहुंचे परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। शिनाख्त के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। परिजनों का आरोप था कि किसी भी प्रकार की प्रशासनिक सहायता न मिलने का तीन दिन बाद शव मिल सका। अगर समय रहते प्रशासनिक मदद मिलती तो शायद रामगोपाल की जान भी बच सकती थी।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें