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कोरोना के कहर के कारण टूटी 400 साल पुरानी परंपरा

कोरोना के चलते न सिर्फ लोगों की दिनचर्या बदल गई है बल्कि सैकड़ों सालों से चले आ रहे रीति रिवाज व परंपराएं भी खंडित होने लगी है। ऐसे में शनिवार को नाग पंचमी के मौके पर पुरबिया टोला में लगने वाला...

कोरोना के कहर के कारण टूटी 400 साल पुरानी परंपरा
हिन्दुस्तान टीम,इटावा औरैयाSat, 25 Jul 2020 10:14 PM
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कोरोना के चलते न सिर्फ लोगों की दिनचर्या बदल गई है बल्कि सैकड़ों सालों से चले आ रहे रीति रिवाज व परंपराएं भी खंडित होने लगी है। ऐसे में शनिवार को नाग पंचमी के मौके पर पुरबिया टोला में लगने वाला गुड़ियों का मेला 400 साल बाद कोरोना संकट के चलते नहीं लग सका। प्राचीन परंपरा और किवन्दतियों के बल पर लगने वाला मेला न सिर्फ जिले में बल्कि आसपास के जिलों में भी प्रसिद्ध है, लेकिन इस साल मेले का आयोजन कोरोना संकट के कारण नहीं हो सका। दंगल के साथ ही मेले में लगने वाले झूले, चाट ,पकौड़ी के ठेले आदि भी नहीं लगाए गए, हालांकि नानक चंद ट्रस्ट के शिव मंदिर पर भगवान आशुतोष का श्रृंगार पूजन कर लोगों ने सभी के स्वस्थ होने की कामना की।

शहर के मोहल्ला पुरबिया टोला में नाग पंचमी के मौके पर सैकड़ों सालों से गुड़ियों के मेले का आयोजन किया जाता रहा है। केके इंटर कॉलेज के पास लगने वाले इस मेले को लेकर न सिर्फ बच्चों में बल्कि सावन के इस मौके पर महिलाओं और बुजुर्गों में भी अलग ही उत्साह रहता है, लेकिन इस बार इस मेले का आयोजन कोरोना के चलते नहीं किया जा सका। मोहल्ले की परंपरा है कि घर में बनाई गई कपड़े की गुड़िया को बच्चे सामूहिक रूप से पीटते हैं। माना जाता है कि इनसे बुराइयों का नाश होता है। ऐसे में इस परंपरा का निर्वहन भी नाग पंचमी के मौके पर घरों में किया गया। घरों में अलग-अलग पकवान बनाकर नाग पूजन के साथ आने वाले रक्षाबंधन त्यौहार की भी तैयारियां शुरू हो गईं। शहर में पुरबिया टोला के अलावा महेरा चुंगी पर भी मेले का आयोजन बीते कुछ सालों से बंद हो चुका है। यहां भी महेरा मंदिर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु नाग पंचमी पूजा के लिए पहुंचते थे।

राहु और केतु की शांति के लिए हुआ पूजा का आयोजनसावन मास की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। ऐसे में शनिवार को जिले में पर्व को पूरी श्रद्धा से मनाया गया। इस दौरान राहु और केतु की शांति के लिए विशेष पूजा-अर्चना भी की गई। घरों के बाहर कोयले गोबर आदि से नाग की आकृति बनाकर सेमई, खीर ,पूड़ी आदि का भोग भी लगाया गया। इसके अलावा कई घरों में गेहूं और चने की घुघरी भी बनाई गई। रक्षाबंधन को लेकर भुजरियों को नाग पंचमी पर ही बोने की परंपरा है। हिंदू परंपरा में सावन मास के मौके पर पड़ने वाले सभी त्योहार इस बार लॉकडाउन के कारण फीके साबित हो रहे हैं।

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