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मजहब तलाक के सख्त खिलाफ, कानून बनने से कोई फर्क नहीं

तीन तलाक पर कानून बनाए जाने के प्रावधान को गुरुवार को संसद में बिल पेश किया गया। संसद में बिल पेश किये जाने पर एक बार पुन: तीन तलाक के मुद्दे पर बहस छिड़ गई है। मुस्लिम महिलाओं के साथ ही पुरुष तलाक पर...

मजहब तलाक के सख्त खिलाफ, कानून बनने से कोई फर्क नहीं
हिन्दुस्तान टीम,एटाFri, 29 Dec 2017 12:19 AM
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मजहब में तलाक की कोई व्यवस्था नहीं है। मजहब तलाक के सख्त खिलाफ है। मजहब में तलाक सबसे बड़ा पाप माना जाता है। तलाक देने वाले पुरुष को समाज में हिराकत भरी नजरों से देखा जाता है। तलाक पर कानून बनाकर भाजपा इसे मुद्दा बनाना चाहती है।

परवेज अली, वरिष्ठ पत्रकार

मुस्लिम धर्म में निकाह एक अनुबंध है। निकाह में सबकुछ तय होता है। विषम परिस्थितियों में तलाक होने पर तलाकशुदा महिला को चार माह दस दिन रहकर दूसरा निकाह करने की व्यवस्था है। इसके बावजूद मजहब तलाक के खिलाफ है। इससे पहले तक तलाक के बाद महिलाएं कोर्ट की शरण में चली जाती हैं। इसलिए तलाक पर कानून बनाने के कोई मायने नहीं है।

मोहम्मद अहमद

कांग्रेस नेता एवं व्यवसाई

शरियत के हिसाब से तलाक अनुचित नहीं है, लेकिन सामाजिक व्यवस्था और समाज में आये परिवर्तन के हिसाब से उचित है। क्योंकि इससे महिलाओं के शोषण पर अंकुश लगेगा।

मोहम्मद नौशे उर्फ भूरे

पूर्व सभासद नगर पालिका परिषद एटा

शरियत में तलाक पर कानून बनना बिल्कुल गलत है। इस पर कानून बनाने को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। बदली सामाजिक व्यवस्था के हिसाब से तलाक पर कानून बनना ठीक है।

निराले

पूर्व सभासद नगर पालिका परिषद एटा

मजहब तलाक के सख्त खिलाफ है, लेकिन शरियत के अनुसार तलाक पर कानून बनाया जाना अनुचित है। धर्म के खिलाफ बोलना या धर्म की व्यवस्थाओं के साथ छेड़छाड़ करना गलत है। जानकारों की मानें तो तलाक पर बनाये जा रहे कानून में अनेक खामियां हैं। इसलिए संशोधन के बाद इसको बनाया जा सकता है।

लईक अली, व्यवसाई

तलाक पर कानून बनना महिलाओं के पक्ष में है। महिलाओं के बेवजह शोषण के कोई पक्ष में नहीं है, लेकिन अधिक आजादी भी गलत है। कानून में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे उसका दुरपयोग न हो सके।

जुल्फिकार अली

व्यवसाई

तलाक पर कानून बनने से महिलाएं अनावश्यक तलाक के नाम पर मिलने वाली धमकी से बची रहेंगी। अक्सर पुरुष तलाक की धमकी देकर महिलाओं का शोषण करते रहे हैं। समाज में जागरुकता आने पर तलाक के मामलों में तेजी से गिरावट आई है। महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर अधिकार मिलने चाहिए।

साहिस्ता

नवनिर्वाचित सभासद, नगर पालिका परिषद एटा

धर्म और कानून अलग-अलग हैं। किसी धर्म में महिला का शोषण करना की मनाही है, तो तलाक पर कानून बनने का विरोध भी गलत है। यदि उसमें कोई खामी है तो उसमें सुधार करना चाहिए।

रुही आजमी, गृहणी

तलाक पर कानून बनने का विरोध करने वाले लोग पुरानी पंरपरा की मानसिकता के लोग हैं। पुरानी परंपरा के तहत महिलाओं के पढ़ने पर भी अंकुश था। महिलाएं बिना नकाब के घर से नहीं निकलती थी, लेकिन बदलते दौर में महिलाएं बिना नकाब के बाजार जाती हैं। शिक्षा से लोगों में जागरुकता आई है।

सोनी, शिक्षिका

महिलाएं तलाक पर कानून बनाए जाने के पक्ष में हैं। पुरुष प्रधान देश में महिलाओं का शोषण होता रहा है। कानून बनने से महिलाओं का शोषण पर अंकुश लगेगा। पुरुष और महिला घर की गाड़ी के दो पहिए माने जाते हैं। इसलिए तलाक की व्यवस्था ही गलत है।

शन्नो, गृहणी

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