
मान, अहंकार, अभिमान न करने ही होते हैं मार्दव
संक्षेप: Etah News - पर्यूषण महापर्व के दूसरे दिन जैन अनुयायियों ने सभी तीर्थंकरों की पूजा-अर्चना की। उत्तम मार्दव धर्म का पालन करते हुए, मंदिरों में शास्त्र वाचन और प्रवचन आयोजित किए गए। जैन विद्वानों ने विनयशीलता और...
पर्यूषण महापर्व के दूसरे दिन जैन धर्म के अनुयायियों ने सभी तीर्थंकर भगवान की विधान पूर्वक पूजा-अर्चना करते हुए उत्तम मार्दव धर्म का पालन किया गया। एटा शहर समेत कस्बा क्षेत्र के जिनालयों में दिनभर शास्त्र वाचन, प्रवचन का आयोजन होता रहा, जैन विद्धानों ने साधना शिविर के माध्यम से उत्तर मार्दव धर्म की महिमा के बारे में समझाया। शुक्रवार को शहर के सभी जिनालय, चैत्यालयों में भोर होते ही श्रावक, श्राविकाओं ने जिनेंद्र भगवान समेत सभी 24 तीर्थंकरों की विधान पूर्वक पूजा-अर्चना करते हुए उत्तम मार्दव धर्म का पालन किया। पुरानी बस्ती स्थित पद्मावती पुरवाल पंचायत बड़े जैन मंदिर में श्रावक, श्राविकाओं ने भगवान की शांति धारा पूजन करते हुए शुभ प्रभात स्त्रोत का पाठ किया।

दोपहर में तत्वार्थ सूत्र वाचन हुआ। इसमें उत्तम मार्दव धर्म के बारे में मथुरा से आए जैन पंडित बताया कि मान, अहंकार, अभिमान न करने वाला व्यक्ति ही वास्तविक मार्दव धर्म का उपासक है। उन्होंने कहा कि सभी लोग अपने अभिमान को त्याग कर एक दूसरे के साथ मिल कर रहे। अभिमान छोड़े और अपने जीवन मे मृदुता लाए, मृदुता का भाव ही उत्तम मार्दव धर्म है। संध्या में चौबीसों भगवान की संगीतमय आरती की गई। रात में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मंदिर समिति अध्यक्ष योगेश जैन, उमेश चंद्र जैन, धबल जैन, विनय कुमार जैन, विनय कुमार जैन, प्रमोद कुमार जैन, मनोज जैन, जैन विदित जैन, अर्पित राज जैन, रजत जैन, गोटू जैन, सर्वेश कुमार जैन, सुन्नेश कुमार जैन, पीयूष जैन, प्रशांत जैन, दीपू जैन, पंकज जैन, अलका जैन, प्रीति जैन आदि लोग मौजूद रहे। शहर के इन जिनालयों में हुई भगवान की स्तुति कासगंज रोड स्थित वीर विमल अहिंसा स्थल, प्रेम नगर स्थित नसिया जी जैन मंदिर, जैन गली स्थित जिनालय, ठंडी सड़क स्थित जिनालय, जीटी रोड स्थित जिनालय सहित अन्य सभी जैन मंदिरों में श्रावक, श्राविकाओं ने इंद्र इंद्राणी के रुप में भगवान महावीर की शांति धारा कर पूजन किया। सकीट के जिनालयों में बही भक्ति रस धारा सकीट में पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन शुक्रवार को श्री दिगम्बर मंदिर में भोर होते ही श्रावक, श्राविकाओं ने पहुंच भगवान का अभिषेक पूजन तथा शांति धारा की। वहीं जैन पंडित ने उत्तम मार्दव धर्म के बारे में बताया कि मान अहंकार को त्यागकर जो इंसान विनयशील बन जाता है, वो ही इस धर्म का सच्चा पालक है। हम सभी को भी अपने जीवन मे मान अहंकार का त्याग कर विनयशील बनना चाहिए। इस अवसर पर सकल दिगम्बर जैन समाज के श्रावक व श्राविकाएं मौजूद रहे।

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