बोले एटा: यहां हर दिन होता है भूले बिसरों का 16वां संस्कार
Etah News - एटा में संस्कार मानव सेवा समिति ने लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराने का कार्य शुरू किया। 2012 से अब तक 445 शवों का सम्मानजनक अंतिम संस्कार किया गया है। समिति खुद सभी खर्च उठाती है और पुलिस के सहयोग...

एटा। एक समय था कि लावारिस शवों को लेकर यह खबरें आम होती थी कि टायरों में रखकर जला दिया था। इस तरह की कुरीतियों को दूर करने के लिए समाज के कुछ लोगों ने संस्कार मानव सेवा समिति बनाई और इन शवों का अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी उठाई। यह मानव सेवा का कार्य एक बार शुरू हुआ तो इसमें शामिल होने के लिए लोगों की लाइन लगती गई। अकेले दम पर शुरू होने वाले इस काम में आज सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हो चुके हैं। मई 2012 में यह कार्य शुरू किया गया था। पिछले पांच वर्षों में 445 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराया जा चुका है।
इतना ही नहीं, अंतिम संस्कार कराने के लिए उनके तर्पण करने के लिए हरि की पौड़ी पर पहुंचकर अस्थियों का विजर्सन करते हैं। अंतिम संस्कार के लिए संस्था खुद पूरा खर्चा करती है। एटा और कासगंज के पुलिस सीधे शव को लेकर इस समिति के पास पहुंच जाती है, जिसके बाद पूरी रीति रिवाजों के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है। इस पुनीत कार्य करने के बाद पुलिस को बड़ी राहत मिली है। पहले जब लावारिस लाशें मिलती थीं तो लोगों को बहुत परेशानी होती थी। मंदिर पर होती है आरती: संस्था के आने के बाद एटा के मोक्षधाम की हालात सुधर गई। इससे पहले भूतेश्वर पर बैठने के लिए भी जगह नहीं थी। इस संस्था ने जब काम शुरू किया तो यह स्थान ही मोक्ष जैसा बन गया। यहां पर दो मंदिर बनाए गए हैं। इन मंदिरों पर होने वाली आरती में बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होकर पहुंचते है। हर वर्ष आगरा से बजाजा कमेटी के लोग अस्थि विजर्सन यात्रा लेकर सोरों जाते हैं। इस कमेटी का हर वर्ष एटा में स्वागत और सम्मान किया जाता है। लावारिस शवों के अस्थियों का विजर्सन किया जाता है। सनातन धर्म के अनुसार सभी कार्य कराए जाते हैं। -राकेश गुप्ता संस्कार मानव सेवा समिति की ओर से डी फ्रीजर भी उपलब्ध कराया जाता है। यह व्यवस्था भी पूरी तरह से निशुल्क रहती है। पितृ पक्ष में भी समिति की ओर से कार्य कराए जाते हैं। जब भी लावारिस शव के लिए कोई सूचना आती है तो हम सभी लोग काम करते हैं। - प्रदीप गुप्ता पिछले 12 वर्षों से हमारी समिति इस क्षेत्र में कार्य कर रही है। अभी 3100 से अधिक लावारिस शवों को कंधा देकर उनका अंतिम संस्कार रीति रिवाज के साथ किया जा चुका है। हर शव का सम्मान से संस्कार कराया जाता है। सरकार की ओर से इस कार्य के लिए कोई मदद नहीं लेते हैं। -प्रसून वार्ष्णेय पुलिस की ओर से लावारिस शवों के अंतिम संस्कार का पैसा आता है। हमारी समिति कोई भी किसी से पैसा नहीं लेती है। एटा और कासगंज के अधिकतर शवों का यहीं पर अंतिम संस्कार किया जाता है। पुलिस कर्मी जैसे ही फोन पर जानकारी देते है तो पूरी मदद होती है। -विमल चौहान यहां पर जाने के लिए पहले सड़क पूरी तरह से खराब हो गई थी। इस सड़क पर आते जाते समय बहुत परेशानी होती थी। कई बार शिकायतें करने के बाद सड़क का निर्माण कराया गया। अब जाने जाने का रास्ता सही हो गया है। कोई परेशानी नहीं होती है। मानव सेवा का कार्य जारी है। -सत्य प्रकाश समिति को चलाने के लिए सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहता है। हम सभी आपस में मिलकर यह पुनीत कार्य करते हैं। किसी से भी इस कार्य के लिए पैसा नहीं मांगते हैं। जिन लोगों के साथ अंतिम संस्कार के लिए पैसा नहीं होता है उन्हें भी पूरी मदद की जाती है। -यतींद्र गुप्ता पितृ पक्ष में हमें अपने पितरों के लिए काम करना चाहिए। मानव सेवा से बड़ा कोई काम नहीं है। शरीर शांत होने के बाद मोक्ष मिलने के लिए अंतिम संस्कार प्रक्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस क्रिया को हम सभी मिलकर पूरा करते हैं। इससे बड़ी शांति मिलती है। -राजेश गुप्ता पितृ पक्ष में हमें अपने पितरों के लिए काम करना चाहिए। मानव सेवा से बड़ा कोई काम नहीं है। शरीर शांत होने के बाद मोक्ष मिलने के लिए अंतिम संस्कार प्रक्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस क्रिया को हम सभी मिलकर पूरा करते हैं। इससे बड़ी शांति मिलती है। -राजेश गुप्ता अंतिम संस्कार के बाद लोग अस्थियों को रख जाते हैं। वर्षों तक यहां से अस्थियां लेने के लिए कोई परिवार का सदस्य नहीं आता है। इन अस्थियों का भी हम सभी मिलकर सोरों जी में विजर्सन कराते हैं। बिना किसी भेदभाव के काम किया जाता है। -पियूष गुप्ता एक समय था जब एटा के भूतेश्वर पर जाने में लोग डरते थे। यहां पर कराए गए कार्यों के कारण ही ऐसा हो सका है कि अब एक तरफ अंतिम संस्कार होते हैं तो वहीं दूसरी ओर महिलाएं और पुरुष खड़े होकर मंदिर में आरती और पूजा अर्चना करते हैं। -अनुपम जौहरी पितृ पक्ष में सबसे बड़ा धर्म मानव सेवा है। हमारी टीम तो पूरे वर्ष ही मानव सेवा के लिए काम करती है। कई ऐसे शवों का अंतिम संस्कार भी कराया गया है, जिनके परिजनों ने अंतिम संस्कार कराने से मना कर दिया हो। उस समय पूरी टीम एकजुट होकर इस काम में लग जाती है। -गणेश वार्ष्णेय कई शव ऐसे आते हैं जिनको परिवार के लोग छोड़कर चले जाते हैं। उन शवों को भी हमारी संस्था अंतिम संस्कार कराती है। हर शव को हिन्दू रीति रिवाज के साथ विदा किया जाता है। पुलिस की पूरी मदद की जाती है। मेरा मानना है कि इससे अच्छा कोई पुनीत कार्य नहीं हो सकता। -डॉ विकास सक्सेना
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