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चंद्रयान-2 दिखा गया चंद्रमा पर पहुंचने का मार्ग

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की तह तक पहुंचते-पहुंचते विक्रम लैंडर से संपर्क टूटते ही चंद्रयान-2 मिशन अपनी पूर्णता तक नहीं पहुंच सका। 2.1 किलोमीटर पहले संपर्क टूटते ही इसरो वैज्ञानिकों सहित देशभर के...

चरमोत्कर्ष तक पहुंचते-पहुंचते चंद्रयान-2 से संपर्क टूटते ही इसरो वैज्ञानिकों सहित देशभर के लोगों की सांसे थम सी गई। दूसरे ही पल देशवासियों के चेहरे इस बात की खुशी से चमक उठे। विकसित देशों के चंद्रयान...
1/ 2चरमोत्कर्ष तक पहुंचते-पहुंचते चंद्रयान-2 से संपर्क टूटते ही इसरो वैज्ञानिकों सहित देशभर के लोगों की सांसे थम सी गई। दूसरे ही पल देशवासियों के चेहरे इस बात की खुशी से चमक उठे। विकसित देशों के चंद्रयान...
चरमोत्कर्ष तक पहुंचते-पहुंचते चंद्रयान-2 से संपर्क टूटते ही इसरो वैज्ञानिकों सहित देशभर के लोगों की सांसे थम सी गई। दूसरे ही पल देशवासियों के चेहरे इस बात की खुशी से चमक उठे। विकसित देशों के चंद्रयान...
2/ 2चरमोत्कर्ष तक पहुंचते-पहुंचते चंद्रयान-2 से संपर्क टूटते ही इसरो वैज्ञानिकों सहित देशभर के लोगों की सांसे थम सी गई। दूसरे ही पल देशवासियों के चेहरे इस बात की खुशी से चमक उठे। विकसित देशों के चंद्रयान...
हिन्दुस्तान टीम,एटाSat, 07 Sep 2019 10:38 PM
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चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की तह तक पहुंचते-पहुंचते विक्रम लैंडर से संपर्क टूटते ही चंद्रयान-2 मिशन अपनी पूर्णता तक नहीं पहुंच सका। 2.1 किलोमीटर पहले संपर्क टूटते ही इसरो वैज्ञानिकों सहित देशभर के लोगों की सांसे थम सी गईं। लेकिन दूसरे ही पल देशवासियों के चेहरे इस बात की खुशी से चमक उठे। विकसित देशों के चंद्रयान अभियानों में वह सबसे आगे हैं। देशभर में इसरो वैज्ञानिकों को इस सफलता के लिए बधाई देने वालों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने भावों को उजागर किया। जीआईसी एटा में विज्ञान वर्ग के छात्रों को उम्मीद है कि चंद्रमा से जुड़े अभियान में देश को जल्द सफलता मिलेगी। बस क्षणिक विफलता को भूलकर एक बार पुन: एकजुट होकर प्रयासों को शुरू करने की जरूरत है। उसके लिए इसरो वैज्ञानिकों के साथ पूरा देश कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हुआ है।

शुक्रवार शाम से ही सभी आयु वर्ग के लोग टीवी से जा चिपके। हर किसी के मन में चंद्रयान-2 को सफल होते देखना था। रात 11 से 2 बजे के मध्य लैंडर विक्रम को चंद्रमा पर उतरना था। इस दौरान टीवी चैनलों पर उनके बारे में दी जा रही जानकारी छात्र-छात्राओं के सामान्य ज्ञान को बढ़ा रही थी। इसलिए हर छात्र-छात्रा इस कार्यक्रम को पूरी सजीवता से देख रहे थे। हर किसी के मन में इस ऐतिहासिक क्षण को जीवित देखने की इच्छा थी। उसके लिए रात्रि में जगने के लिए भी टीवी के सामने बैठे लोग तरह-तरह के प्रयास करते रहे। बुजुर्ग, प्रौढ़ ने जहां जगने के लिए चाय-काफी का सहारा लिया। दूसरी ओर कामकाजी महिला-पुरुष थोड़ी देर सोकर और थोड़ी देर जागकर कार्यक्रम देखते रहे। रात 2 बजे के बाद जैसे ही टीवी चैनलों पर यह खबर प्रसारित हुई कि चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से इसरो वैज्ञानिकों का संपर्क टूट गया है। उससे चंद्रमा तक पहुंचने के कार्य में रुकावट आई है। वैज्ञानिक पुन: संपर्क साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं। यह खबर प्रसारित होते ही टीवी के सामने बैठे देशवासियों के मन में अंजानी आशंका होने लगी। जब इसरो के चेयरमैन ने इस बात की पुष्टि की कि विक्रम लैंडर से उनका संपर्क नहीं हो पा रहा है। तब एक क्षण के लिए लोग स्तब्ध रह गए। दूसरे ही पल लोग चंद्रमा से दो किमी दूर रहने की बात सोचकर खुशी से उछल पड़े। लोगों ने माना कि उनका अभियान अन्य विकसित देखों से काफी आगे पहुंचा। क्या हुआ उसमें उनको पूर्ण सफलता नहीं मिली। देशवासियों को उम्मीद है कि इसरो वैज्ञानिकों का अगला प्रयास उनको इसमें सफलता जरूर दिखाएगा।

जीआईसी एटा के छात्रों को उम्मीद जल्द चंद्रमा पर पहुंचेगा भारत

एटा। भारत चंद्रयान-2 के माध्यम से चंद्रमा पर पहुंचकर नया इतिहास रचने वाला था। 2.1 किमी पूर्व ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया। उससे कुछ समय के लिए उनसे सफलता थोड़ी दूर हुई है। हमें उम्मीद है कि इसरो वैज्ञानिक सफलता हासिल करने के लिए पूरे जोश और जज्बे के साथ जुटेंगे।

गौरव कुमार, छात्र, जीआईसी, एटा।

चंद्रमा पर पहुंचने के लिए हमें तब तक हार नहीं माननी चाहिए। जब तक हम कामयाब न हो जाएं। उसके लिए हमें

बार-बार अपने प्रयोग जारी रखने चाहिए। उम्मीद है इसरो के वैज्ञानिक इस कार्य को बखूबी पूरा करेंगे। उनके प्रयास से ही हमें चंद्रमा तक पहुंचने में कामयाबी मिलेगी।

दिवारी लाल, छात्र, जीआईसी, एटा।

चंद्रयान-2 से यदि संपर्क नहीं टूटता तो आज हमें विश्व विजेता के खिताब से नवाजा जाता। चंद्रमा पर पहुंचने के लिए अभी तक विभिन्न देशों से प्रयास किए है। उसमें हमारा प्रयास सबसे बेहतर और नायब रहा है। इसके लिए इसरो वैज्ञानिकों की टीम को जितना भी प्रोत्साहित किया जाए कम है। वैज्ञानिकों का उत्साहवर्धन करने का काम हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीठ थपथपाकर वखूबी किया है।

अंकित, छात्र, जीआईसी, एटा।

चंद्रमा पर जीवन की संभावना को तलाशने के लिए चंद्रयान-2 इसरो के माध्यम से भेजा गया। यह चंद्रमा तक पहुंचने के लिए अंतिम ऑर्बिटर में भ्रमण करते समय भटक गया। उससे वैज्ञानिकों का संपर्क टूट गया है। वैज्ञानिकों को अभी विक्रम लैंडर से संपर्क होने की उम्मीद बनी हुई है। इसलिए अभियान को विफल कतई नहीं माना जा सकता। यदि विक्रम लैंडर से संपर्क हो जाता है तो हमें विजयश्री मिलेगी।

अभय गिरि, छात्र, जीआईसी, एटा।

चंद्रमा पर पहुंचने की अभिलाषा सभी देशों की है। उसमें हमारा अभियान सबसे आगे रहा है। यदि हम इस अभियान में चंद्रमा तक नहीं पहुंच सके तो क्या। हमारा अगला कदम चंद्रमा पर ही होगा। यह हम पूरे विश्व को अपने वैज्ञानिकों के दम पर करके दिखाएंगें। अभी भी अभियान में कामयाबी मिलने की संभावना बनी हुई है। इसलिए हमें निराश होने की कोई जरूरत नहीं है।

हिमांशु सागर, छात्र, जीआईसी, एटा।

चंद्रमा पर पहुंचकर वहां के वातावरण, जलवायु, आक्सीजन और पीने के पानी के बारे में जानकारी जुटाना हमारा लक्ष्य था। उससे हम थोड़े समय के लिए दूर हुए है। विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने से हम निराश कतई नहीं है। हमें इसरो वैज्ञानिकों पर पूरी भरोसा है। वह अपने नायाब कार्य से हमें चंद्रमा पर अवश्य पहुंचाएंगे।

भारतेन्दु सिंह, छात्र, जीआईसी, एटा।

इसरो वैज्ञानिक हमारे लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। विज्ञान में प्रयोग अत्यंत जरूरी है। अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए विज्ञान में नित नए प्रयोग करने की जरूरत रहती है। ऐसा ही एक प्रयोग इसरो वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 को चंद्रमा तक पहुंचने के लिए किया। उसमें क्षणिक देरी व्यवधान आने से हुई है। उससे चंद्रमा पर पहुंचने की हमारी उम्मीद पूरी तरह से टूटी नहीं है। अभी भी हमारा लक्ष्य चंद्रमा पर पहुंचना ही है।

अभिषेक नायक, छात्र, जीआईसी, एटा।

विज्ञान वर्ग से जुड़े छात्र-छात्राओं के लिए चंद्रमा पर पहुंचने का अभियान अनूठी मिसाल बन गया है। बीती रात अधिकांश छात्र-छात्राएं इससे जुड़ी छोटी-बड़ी बातें जानने के लिए टीवी के सामने बैठे रहे। विद्यार्थियों ने इस अभियान से जुड़े सभी बातों, यादों को अपनी डायरियों में दर्ज भी किया है। उससे लगता है कि विज्ञान वर्ग के लिए यह अभियान ज्ञान का भंडार साबित होगा।

अभिषेक वर्मा, छात्र, जीआईसी, एटा।

चंद्रमा पर चंद्रयान-2 को उतरते हुए देखने के लिए देशवासियों में बहुत उत्सुकता रही। उनकी उत्सुकता मध्यरात्रि के बाद विक्रम से संपर्क टूटने पर कुछ कम जरूर हुई। जैसे ही टीवी पर प्रधानमंत्री को वैज्ञानिकों को सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ाने का संदेश दिया। देशवासियों को पुन: चंद्रमा पर पहुंचने की उम्मीद दिखाई देने लगी। प्रधानमंत्री को प्रोत्साहन से वैज्ञानिकों की टीम का जोश दोगुना हुआ है।

रोहित, छात्र, जीआईसी, एटा।

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