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कालाबाजारी में खाद्यान्न प्रभारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा

जलेसर के खाद्यान्न प्रभारी (एसएमआई) की मिलीभगत से कालाबाजारी का काम चल रहा था। एडीएम न्यायायिक ने अपनी जांच रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है। डीएम ने एसएमआई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के आदेश दिए...

कालाबाजारी में खाद्यान्न प्रभारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा
हिन्दुस्तान टीम,एटाThu, 02 Nov 2017 10:14 PM
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जलेसर के खाद्यान्न प्रभारी (एसएमआई) की मिलीभगत से कालाबाजारी का काम चल रहा था। एडीएम न्यायायिक ने अपनी जांच रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है। डीएम ने एसएमआई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के आदेश दिए है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के राशन की हो रही काला बाजारी के लिए एडीएम न्यायायिक रामअज की टीम ने बुधवार की शाम को जांच की। दिन भर चली जांच के बाद भी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी गई। जांच टीम को गोदाम पर चावल के 20 बोरा अधिक मिले, जबकि गेहूं के दस बोरे कम मिले है। स्टाक के मुताबिक राशन न मिलने पर एसएमआई नरेश चंद्र से वार्ता की गई तो वह कोई संतोष जनक जवाब नहीं दे सके। निरीक्षण करने गई टीम ने राशन डीलरों को उठान कराने वाले रजिस्टर की जांच की तो इसमें चार स्थानों पर कटिंग थी। कटिंग भी उस समय की थी जिस समय जिला प्रशासन की टीम ने राशन की काला बाजारी वाली गोदाम पर कार्रवाई जा रही थी। रजिस्टर के क्रम संख्या तीन, पांच और सात पर राशन डीलरों के हस्ताक्षर कराने के बाद काटे गए थे।

रजिस्टर पर उठान होने के बाद हस्ताक्षर कटना भी संदेह के घेरे में लाकर खड़ा कर रहा है। जब राशन का उठान करा दिया गया तो वापस कैसे हो गया। माना जा रहा है कि इन राशन डीलरों के पहले ही हस्ताक्षर करा लिए गए होंगे बाद में उनके नाम काट दिए। जिलाधिकारी अमित किशोर ने बताया कि जांच रिपोर्ट में एसएमआई की भूमिका संदिग्ध मिली है। इसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही है। मालूम हो कि दो दिन पूर्व जिला पूर्ति अधिकारी उमेश मिश्रा की टीम ने सरकारी गेहूं से भरे एक कैंटर को पकड़ा था। कैंटर चालक की निशानदेही पर कोल्ड स्टोर के अंदर करीब दो हजार बोरा राशन मिला था। इस मामले की रिपोर्ट चार लोगों के खिलाफ दर्ज कराई गई थी।

ट्रांसपोर्टरों के सहारे हो रही काला बाजारी

एटा। सरकारी खाद्यान्न को लेकर वैसे तो पूरे जिले में काला बाजारी का काम चल रहा है। एटा शहर में इस काला बाजारी करने में ट्रांसपोर्टर की आड में हो रहा है। जब भी काला बाजारी के लिए राशन जाता है तो ट्रांसपोर्ट वालों को पूरी जिम्मेदारी दी जाती है। कई ट्रांसफोर्टर तो स्वयं ही काला बाजारी का काम कर रहे है। कई बार इनकी गाड़िया पकड़ी भी जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।

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