बिल ही शून्य कर दे रहे कर्मचारी, सरकारी खजाने का पैसा रख रहे अपनी जेब में
लखनऊ में कर्मचारी सरकारी खजाने का पैसा अपनी जेब में रख रहे हैं। जलकल के कर्मचारियों ने पानी का बिल शून्य कर दे रहे हैं।
अयोध्या रोड पर एक व्यावसायिक बिल्डिंग पर पानी और सीवर का 5,54,551 रुपए बिल बकाया था। जलकल के कर्मचारियों ने इसका पानी का बिल शून्य कर दिया। कैशियर ने 80,176 रुपए जमाकर पूरा बिल खत्म कर दिया। एक अन्य बिल्डिंग पर पानी तथा सीवर का टैक्स 3,34,060 रुपए था। इसका 15 प्रतिशत सरकारी खजाने में जमा कराया बाकी शून्य कर दिया। यह पैसा कर्मचारियों की जेब में चला गया। यही दो मामले नहीं, ऐसे दर्जनों प्रकरण सामने आए हैं जिसमें जल कल के कर्मचारियों ने सरकारी खजाने का पैसा अपनी जेब में रख लिया है। वह विभाग को भारी वित्तीय क्षति पहुंचा रहे हैं लेकिन जलकल के आला अधिकारी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
जलकल के कर्मचारी सरकारी खजाने में सेंधमारी कर रहे हैं। जो पैसा सरकारी खजाने में जमा होना चाहिए उसे वह अपनी जेब में रख रहे हैं। यह खेल वह पानी तथा सीवर के बिल के जरिए कर रहे हैं। ऊपर लिखे दो मामले तो केवल उदाहरण भर हैं। ऐसे सैकड़ों मामले अकेले जोन सात में ही सामने आये हैं। जलकल जोन सात के अधिशासी अभियंता ने जांच कराई तो इसमें खेल का खुलासा भी हुआ। कई बिल में कर्मचारियों ने खेल किया है। इसमें आउटसोर्सिंग के कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध बतायी गयी है।
जलकल के अधिशासी अभियंता ने कुछ को हटाने की संस्तुति भी की थी। लेकिन उन्हें हटाया नहीं गया। जिस भवन का सीवर व पानी का टैक्स 5,54,551 था। उसमें भी केवल 80176 रुपए जमा कराए। इससे विभाग को 4,74,375 रुपए की वित्तीय क्षति हुई है। यह बात खुद तत्कालीन अधिशासी अभियंता अनिरुद्ध भारती ने मार्च 2024 की अपनी रिपोर्ट में लिखी है। रिपोर्ट में बताया गया कि यह पूरा पैसा कैश काउंटर पर जमा करने के लिए गया था। लेकिन वहां पानी का बिल शून्य करके केवल 80176 रुपए ही जमा किया गया। इसी तरह एक अन्य मामले में भी 3,34,060 का बिल बकाया था। इसमें भी लगभग 15 प्रतिशत रकम ही जमा करायी गयी। बाकी पैसा भी कर्मचारियों की जेब में चला गया। अधिशासी अभियंता ने मामले में कार्यवाही संस्था के कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई थी।
बिल जमा करने आने वालों को गुमराह कर किया जा रहा है वापस
जलकल के अधिशासी अभियंता ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है की कैश काउंटर पर जो भी भवन स्वामी अपने पानी तथा सीवर के बिल जमा करने आते हैं उन्हें कर्मचारी गुमराह करके वापस कर देते हैं। खासकर बड़े बकायदारों को। वापस करने के बाद वह बाद में उनसे डीलिंग करते हैं। बिल कम करने के नाम पर उगाही करते हैं। फिर जलकल का आधा बिल भी सरकारी खजाने में नहीं जमा कराते हैं। पानी का बिल शून्य कर देते हैं। इसका बटवारा हो जाता है। इससे जलकल को वित्तीय नुकसान हो रहा है।
सभी जोन में चल रहा है खेल, इसी कारण जलकल की हालत पतली
जलकल के लगभग सभी जोन में यह खेल चल रहा है। कर्मचारी खजाने में पैसा नहीं जमा कर रहे हैं। कहीं दस्तावेजों में बिल माफ खत्म कर दे रहे हैं और उसका पैसा अपनी जेब में रख रहे हैं तो कहीं बकायेदारों को कैश काउंटर से वापस कर दे रहे हैं। यही वजह है कि जल काल को पर्याप्त टैक्स नहीं मिल पा रहा है। उसकी वित्तीय स्थिति काफी खराब है।
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