आवक कम होने से हरी सब्जियों के दाम आसमान पर
मौसम की मार के चलते थोक व फुटकर हरी सब्जियों के दामों में भारी उछाल आ गया है। बाहर से आवक कम होने से सब्जियों की कीमत बढ़ गयी है। इससे आम आदमी को अपनी जेब ढ़ीली करनी पड़ रही है। सब्जियों की बढ़ी महंगाई...
मौसम की मार के चलते थोक व फुटकर हरी सब्जियों के दामों में भारी उछाल आ गया है। बाहर से आवक कम होने से सब्जियों की कीमत बढ़ गयी है। इससे आम आदमी को अपनी जेब ढ़ीली करनी पड़ रही है। सब्जियों की बढ़ी महंगाई गरीब परिवारों पर भी भारी पड़ रही है।
जुलाई महीने के प्रथम सप्ताह में लगातार पन्द्रह दिनों तक हुई मूसलाधार बारिश व उसके बाद भी रुक-रुक कर हुई बरसात से खेते में जल जमाव होने से सब्जियों की फसलें बर्बाद हो गयी हैं। इसके चलते अचानक सब्जियों के दामों में बेतहासा वृद्धि हो गयी है। मौसम के कुछ सामान्य होने पर खेतों से सब्जियां तो निकल रहीं हैं लेकिन दामों में भारी तेजी देखी जा रही है। इसके चलते हरी सब्जियां बाजारों में महंगे दामों पर बिक रही हैं। सब्जियों के महंगे होने से लोग किलो की बजाय पाव में ही खरीद रहे हैं। महाराष्ट्र के नासिक से टमाटर सहित अन्य सब्जियों की खेप आती है लेकिन आवग कम होने से दाम पर इसका असर है। मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र में आयी बाढ़ के चलते भी प्याज, टमाटर व अदरक के दामों पर महंगाई का असर पड़ा है।
प्याज के दामों में तेजी है। इसका दाम 24 से बढ़कर मौजूदा समय में 35 रुपए बिक रहा है। लहसुन भी महंगा हो गया है। मूली का दर ऊंचाईयों को छू रहा है जो बाजार में 60 रुपए किलो बिक रही है। हरी सब्जियों के अलावा कुछ अन्य सब्जियां सूरन, बंडा, अरुई के दामों में भी तेजी है। यह सब्जियां भी 40 से 50 रुपए प्रति किलो बिक रही हैं। सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि बाहर से सब्जियों के कम आने से दामों में तेजी है। लोकल में भी बरसात के चलते खेतों में लगी सब्जियां पानी में गल गयी। जिससे दामों में तेजी है।