मिशन शक्ति : बेटी की बेहतर परवरिश के लिए देवरिया की रेखा बनीं आत्मनिर्भर
बैतालपुर के रामपुर दूबे गांव निवासी रेखा पासवान ने अपना पांच समूह बनाया है। इसके जरिये अब तक 58 महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। समूह की महिलाएं सिलाई-कढ़ाई के काम में काफी निपुण हैं। इससे होने वाली...
बैतालपुर के रामपुर दूबे गांव निवासी रेखा पासवान ने अपना पांच समूह बनाया है। इसके जरिये अब तक 58 महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। समूह की महिलाएं सिलाई-कढ़ाई के काम में काफी निपुण हैं। इससे होने वाली आमदनी से वह अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहीं हैं। रेखा का कहना है कि अपने काम में सफल होकर वह अपनी बेटी को मुश्किल हालातों से दूर रखते हुए बेहतर परवरिश देना चाहती हैं।
रेखा के पिता फेरी लगाते हुए फल बेचने का काम करते थे। आज भी उस कठिन दौर को महसूस करते हुए रेखा उदास हो जाती हैं। बताती हैं कि छह भाई-बहनों को पाल-पोस कर बड़ा करने के पीछे उनके माता-पिता की कड़ी मेहनत रही। वह सबसे छोटी संतान हैं। 2012 में शादी हो जाने के बाद वह ससुराल आ गईं। यहां भी पति का कोई रोजगार नहीं था, जिससे परिवार का खर्च चलाया जा सके। रेखा की एक बेटी भी है। अपने साथ गुजरे हुए मुश्किल हालातों का साया बेटी पर न पड़े, इसके लिए उन्होंने खुद आत्मनिर्भर बनने की ठानी।
इसके लिए नवंबर 2019 में एनआरएलएम से जुड़कर मां कालिका महिला आजीविका स्वयं सहायता समूह बनाया। उनके पांच समूह में कुल 58 महिलायें काम करती हैं। स्कूल की ड्रेस सिलना, सिलाई-कढ़ाई, आंगनबाड़ी से मिले पुष्टाहार को बांटने का काम समूह में होता है। सभी महिलायें करीब आठ से दस हजार रुपये एक महीने में कमा लेती हैं। रेखा की तरक्की को देखते हुए 20 अन्य महिलाएं भी उनके साथ जुड़कर काम करना चाहती हैं।
रेखा पासवान
निवासी: रामपुर दूबे, बैतालपुर
पेशा: सिलाई-कढ़ाई, आंगनबाड़ी का पुष्टाहार बांटना
योजना: एनआरएलएम
सहयोग: 58 महिलाओं को रोजगार