दहेज उत्पीड़न और हत्या के आरोपी पति को उम्र कैद
देवरिया, विधि संवाददाता। दहेज उत्पीड़न व हत्या के मामले में एडीजे फास्ट...

देवरिया, विधि संवाददाता।
दहेज उत्पीड़न व हत्या के मामले में एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सोमवार को आरोपी पति को उम्र कैद तथा 13000 रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। घटना 12 वर्ष पूर्व हुई थी। आरोपी की सजा के लिए मृतका के भाई ने काफी परिश्रम किया था।
सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजेश कुमार शुक्ल ने बताया कि रुद्रपुर कोतवाली क्षेत्र के एकला मिश्रौलिया गांव के रहने वाले शिवराम पाल ने अपनी बहन सरस्वती की शादी मदनपुर थाना क्षेत्र के बहसुवा गांव के रहने वाले कन्हैया पुत्र फौजदार के साथ किया था। सरस्वती 22 मई 2005 को गवना में विदा होकर कन्हैया के घर आई। दहेज में 50 हजार रुपये कम मिलने के कारण कन्हैया उनके पिता फौजदार तथा मां कलावती देवी सरस्वती पर दबाव बनाते थे कि रुपया मायके से लेकर आए। सरस्वती मायके वालों की गरीबी की बात कहकर रुपये मांगने से इंकार करती थी। जिसे लेकर उसके पति और ससुराल वाले उसे मारते पीटते थे। महिला ने इसके बारे में कई बार अपने भाई को बताया था। महिला के भाई ने उसके ससुरालियों को समझाया।
कुछ दिनों बाद फिर से ससुराल वाले विरोध करने पर मारपीट करने लगे। ससुरालियोंे ने 10 जून 2010 को कन्हैया फौजदार तथा कलावती ने सरस्वती को काफी मारा पीटा तथा जहर पिला दिया। जिससे सरस्वती की मौके पर ही मौत हो गई। घटना के समय मौके पर शिव रामपाल की लड़की जो 10 वर्ष की थी उस समय सरस्वती के ससुराल में ही थी । उसने घटना को देखी थी और इसके बारे में परिजनों को सूचना दिया। मृतका के भाई ने घटना की तहरीर पुलिस को दी। पुलिस ने कन्हैया, फौजदार तथा कलावती के विरुद्ध दहेज उत्पीड़न और दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज किया। मुकदमा की सुनवाई एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट में हुई।
मामले की सुनवाई के दौरान ही फौजदार व कलावती की मौत हो गई। मामले में पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया। पुलिस ने हत्याकांड से जुड़े साक्ष्य और गवाहों की गवाही अदालत में कराई। अदालत ने आरोप के स्तर पर दहेज हत्या को हत्या में तब्दील कर दिया। मामले की सुनवाई एडीजे संजय सिंह की अदालत में हुई। जज ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के बहस सुनी। घटना के एकमात्र बचे हुए आरोपी पति कन्हैया को दहेज उत्पीड़न औ हत्या का दोषी करार दिया। जज ने आरोपी कन्हैया को उम्र कैद तथा 13 हजार रुपये का अर्थदंड की सजा सुनाई।
