
दरिंदे ने लूटी आबरू तो प्रेग्नेंट हो गई नाबालिग, 14 साल की उम्र में मां बन गई लड़की, दिया बच्चे को जन्म
संक्षेप: शाहजहांपुर जिले से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। मदनापुर क्षेत्र की एक मानसिक मंदित दुष्कर्म पीड़िता 14 वर्ष की लड़की ने सीएचसी में आठ महीने के बच्चों को जन्म दिया।
यूपी के शाहजहांपुर जिले से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। मदनापुर क्षेत्र की एक मानसिक मंदित दुष्कर्म पीड़िता 14 वर्ष की लड़की ने सीएचसी में आठ महीने के बच्चों को जन्म दिया। किशोरी की मां ने बच्चों को अपने से मना कर दिया। मदनापुर क्षेत्र के एक गांव में मानसिक मंदिर किशोरी के साथ कथित तौर पर कुनिया जमालपुर गांव के बाबू ने दुष्कर्म किया था। दुष्कर्म करने के बाद किशोरी गर्भवती हो गई थी। इस मामले में किशोरी की मां ने 23 जून को आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया था। वह अब भी जेल में है। इस घटना के बाद किशोरी और उसकी मां को गांव के लोग ताना देने लगे। इससे परेशान होकर महिला अपनी गर्भवती पुत्री को लेकर तिलहर के एक गांव के मंदिर में आकर रहने लगी थी। यहां पर ग्रामीणों ने उनकी मदद की और खाने का इंतजाम लगातार कराया।

गुरुवार की रात गर्भवती किशोरी की हालत खराब होने पर लोगों ने उसे सीएचसी में भर्ती कराया। यहां रात में किशोरी ने आठ महीने के पुत्र को जन्म दिया। किशोरी की मां ने बच्चे को अपनाने से मना कर दिया। उसे कहीं फेंक देने तथा किसी को दे देने की बात कही। महिला की सोच को लेकर चिकित्साधीक्षक डॉक्टर ओमेंद्र राठौर के निर्देश पर अस्पताल प्रशासन के विवेक मल्होत्रा सोनू ने इसकी जानकारी चाइल्ड हेल्पलाइन सहित पुलिस को दी। बच्चे को डॉक्टर ने इनक्यूबेटर मशीन में रखवा दिया।
तिलहर कोतवाल राकेश कुमार ने बताया, दरोगा नेहा सैनी एवं प्रमोद कुमार को मौके पर पहुंचा गया था। उन्होंने जानकारी ली। इसके बाद जानकारी मदनापुर पुलिस को भी दी गई है। मदनापुर पुलिस ने बच्चों की सुरक्षा को लेकर गार्ड तैनात करने के निर्देश दिए हैं, जो 24 घंटे निगरानी करेगी।सीएचसी चिकित्साधीक्षक डॉ. ओमेंद्र राठौर ने बताया, बच्चे की हालत अभी नाजुक है जब तक वह पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो जाता हैख् उसे अस्पताल में ही रखा जाएगा। उसके बाद प्रशासन के निर्देश पर सुरक्षा की दृष्टि से चाइल्ड हेल्पलाइन संस्था के हवाले किया जा सकता है।
मासूमियत और बेबसी का प्रतीक बना नन्हा जीवन
मदनापुर क्षेत्र की एक 14 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता मानसिक मंदित किशोरी ने आठ महीने के बच्चे को जन्म दिया। यह नन्हा जीवन, जो मासूमियत और बेबसी का प्रतीक बन गया, अब पूरी तरह सुरक्षा और देखभाल पर निर्भर है। किशोरी मानसिक रूप से कमजोर होने की वजह से अपने बच्चे की देखभाल नहीं कर सकती। वहीं, बच्चे की दादी का रवैया भी इस दर्दनाक कहानी को और भी मार्मिक बना देता है। उसने खुले शब्दों में कहा कि बच्चे को फेंक दो या किसी को दे दो। अपराध और सामाजिक उपेक्षा के इस बीच, बच्चे की सुरक्षा अब प्रशासन और पुलिस की जिम्मेदारी बन गई है। पुलिस को शक है कि कहीं इस नन्हें जीवन के साथ कोई अनहोनी न घट जाए, इसलिए 24 घंटे की सतर्क निगरानी तैनात की गई है। बच्चा अब अस्पताल में सुरक्षित रखा गया है और इलाज चल रहा है। डॉक्टर के साथ पुलिस लगातार उसकी हालत पर नजर रख रहे हैं।
यह नन्हा जीवन न सिर्फ अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है, बल्कि उस दर्द और कठिनाई का भी प्रतिनिधित्व कर रहा है, जिसे एक बच्चा कभी समझ नहीं सकता। 14 साल की दुष्कर्म पीड़िता मानसिक मंदित किशोरी के लिए मातृत्व की यह जिम्मेदारी असहनीय है, और उसकी मानसिक स्थिति के कारण उसे इस नन्हें जीवन की परवरिश करने में मदद की जरूरत है।
तानों और उपेक्षा के कारण किशोरी रह रही थी मंदिर में
सामाजिक दृष्टि से यह कहानी और भी चिंताजनक है। जब किशोरी और उसकी मां गांव में तानों और उपेक्षा का सामना कर रही थीं, तो उन्हें शरण और सुरक्षा के लिए मंदिर तक जाना पड़ा। यह मासूम बच्चा, जिसे जन्म के आठ महीने में ही अस्पताल के इनक्यूबेटर में रखा गया, अब इस दुनिया की कठोरताओं और जिम्मेदारियों के बीच खुद को बचाने के लिए प्रशासन और पुलिस पर निर्भर है।





