ककरहुली के ग्रामीणों को इंतजार, पानी का संकट दूर करेगें जिम्मेदार
विकास की मूलभूत सुविधाओं से वंचित पाठा की तस्वीर ज्यों की त्यों बनी हुई है। पाठा के विकास परक मुददे उठाने वाले समाजसेवी रंक से राजा बन गए। लेकिन पाठा की समस्याओं का निदान अभी तक नहीं हो पाया। पीने के...
विकास की मूलभूत सुविधाओं से वंचित पाठा की तस्वीर ज्यों की त्यों बनी हुई है। पाठा के विकास परक मुददे उठाने वाले समाजसेवी रंक से राजा बन गए। लेकिन पाठा की समस्याओं का निदान अभी तक नहीं हो पाया। पीने के पानी के लिए अभी भी पाठावासी मारामारी को मजबूर है।
ब्लाक क्षेत्र के गांव गढचपा के मजरा ककरहुली में पूरे वर्ष पानी का संकट बना रहता है। लगभग 1200 की आबादी वाले इस मजरे में अभी तक महज दो हैंडपंप ही लग पाए है। एक हैंडपंप में जलनिगम ने समरसेबुल डालकर सरकारी स्कूल में पाइप से पानी की आपूर्ति दे रखी है। ऐसे में इस मजरे में एक ही हैंडपंप से लोग पानी लेने को मजबूर है जो भरपूर पानी भी नहीं दे रहा है। यहां पर अनुसूचित जाति के लोगों को पेयजल के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक बाल्टी पानी के लिए लाइन लगानी पडती है। कभी-कभार पानी भरने में नोंकझोंक के साथ मारपीट तक हो जाती है। इस मजरे में पानी की समस्या दूर करने के लिए कई बार सांसद, विधायक ग्रामीणों से और हैंडपंप लगवाकर व पाइप लाइन से जलापूर्ति कराने का वादा कर चुके है। लेकिन जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की उदासीनता के चलते अभी तक इस मजरे के लोगों भरपूर पेयजल नहीं मिल पाया है। क्योंकि पाइप लाइन तो दूर हैंडपंप तक नहीं लगाए गए है। ग्रामीण बरामदिन, मोहन, फूलो, परबतिया, रमसखिया, मुन्नी, लक्ष्मीनिया, रेखा आदि ने बताया कि पेयजल की मांग को लेकर वह जनप्रतिनिधियों के अलावा ब्लाक, तहसील व कलेक्ट्रेट तक चक्कर काट चुके है, लेकिन सिवाय भरोसे के अभी तक पेयजल की व्यवस्था नहीं हुई। पाठा के एक गांव के यह हालात है। क्षेत्र के अन्य गांवों में अभी भी पानी की समस्या बनी हुई है। जहां भीषण गर्मियों में पेयजल के हालात गंभीर हो जाते है।