नोटबंदी के विरोध में प्रदर्शन
कम्युनिस्ट पार्टी ने नोटबंदी व जीएसटी के विरोध में कर्वी कचहरी परिसर में बैठक की। इसके बाद राष्ट्रपति को संबोधित 10 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सदर एसडीएम को सौंपा। कामरेड रूद्र प्रसाद मिश्रा ने कहा कि...
कम्युनिस्ट पार्टी ने नोटबंदी व जीएसटी के विरोध में कर्वी कचहरी परिसर में बैठक की। इसके बाद राष्ट्रपति को संबोधित 10 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सदर एसडीएम को सौंपा। कामरेड रूद्र प्रसाद मिश्रा ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के जरिए आम जनता पर आर्थिक हमला किया गया है। उधर कांग्रेसियों ने भी नोटबंदी के विरोध में राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपकर बुधवार को काला दिवस के रूप में मनाया।
बुधवार को कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक कामरेड रूद्र प्रसाद मिश्रा की अध्यक्षता में हुई। यहां उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद भी कालेधन का पूरी तरह से खात्मा नहीं हुआ है। जाली नोट भी नहीं बंद हुए। भ्रष्टाचार और आतंकवाद पर भी पूरी तरह से लगाम नहीं कस पाई है। नोटबंदी से सबसे ज्यादा देश की आम जनता पर हमला किया गया है। गरीबों का रोजगार छिन गया। मजदूरों का पलायन हुआ। मजदूर भुखमरी की कगार पर पहुंच गए। देश के किसानों पर प्राकृतिक आपदा के बाद यह दोहरी मार पड़ी। पैदावार में निवेश के बाद भी उन्हें पैदावार के खरीददार नहीं मिले। ऐसे में किसानों को जल्द खराब होने वाली उपज जैसे टमाटर व आलू आदि को फेकना पड़ा। कहा कि नोटबंदी कर जनता को मजबूर करने की साजिश थी। राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में इन लोगों ने मांग की है कि उनकी कमाई पर उनका हक हो। लोग खुद तय करें कि वह अपना पैसा कैसे खर्च करें कार्ड से या फिर कैस के जरिए। नोटबंदी के समय मरने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा दिया जाए। जो कास्तकार नोटबंदी के चलते नई फसल नहीं बो पाए उनको भी मुआवजा दिया जाए। जिनके उद्योग बंद हो गए उनको भी मुआवजा मिले। इस मौके पर राजाराम, देवराज जाटव, रामप्रताप विश्वकर्मा, शांती, राजेन्द्र प्रसाद, गिरधारीलाल, सोनिया, तुलसा आदि मौजूद रहे। उधर कांग्रेस जिलाध्यक्ष पंकज मिश्र के नेतृत्व में कांग्रेसी नेता रंजना पाण्डेय, मिथलेश गर्ग, रोहित अग्रवाल, कुशल सिंह पटेल, आलोक शुक्ला, वेद प्रकाश पाण्डेय, त्रियुगी नारायण आदि ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा। कहा कि एक साल पहले आठ नवम्बर की रात में पांच सौ व एक हजार के नोट प्रचलन से बंद किए गए थे। जिससे देश की जनता, व्यापारी, किसान, मजदूरों को खासी परेशानियां हुई थी। कहा कि आज भी नोटबंदी का असर पूरे देश में है। देश का विकास ठप्प हो गया है। नोटबंदी के दौरान मरे लोगों के परिजनों को 25 लाख रूपए मुआवजा दिया जाए।