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आदिवासी महिलाओं के उत्थान के लिए किया मंथन

सीबीएस जर्मनी, आल इंडिया कंफेडेरेशन आफ ब्लाइंड दिल्ली एवं नगर की सामाजिक संस्था दृष्टि के सहयोग से आदिवासी दृष्टिबाधित महिलाओं के सशक्तीकरण पर राम दरबार चित्रकूट में कार्यशाला का आयोजन किया गया।...

आदिवासी महिलाओं के उत्थान के लिए किया मंथन
हिन्दुस्तान टीम,चित्रकूटTue, 25 Sep 2018 11:20 PM
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सीबीएस जर्मनी, आल इंडिया कंफेडेरेशन आफ ब्लाइंड दिल्ली एवं नगर की सामाजिक संस्था दृष्टि के सहयोग से आदिवासी दृष्टिबाधित महिलाओं के सशक्तीकरण पर राम दरबार चित्रकूट में कार्यशाला का आयोजन किया गया। महिलाओं के उत्थान के लिए संघर्ष कर रही विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कहा कि शिक्षा से ही आदिवासी महिलाओं का उत्थान संभव है।

कार्यशाला में आरएसवीआई लखनऊ के नागेश कुमार पांडेय ने कहा कि आदिवासी महिलाएं न केवल सामंतवादी व्यवस्था से पीडित हैं अपितु अपने घर परिवार में उनके साथ पशुओं की तरह व्यवहार किया जाता है। आदिवासी महिलाएं परिवार की आजीविका का माध्यम हंै। कुपोषण व कम उम्र में विवाह के कारण वह घातक बीमारियों की शिकार हो जाती हंै। भ्रष्टाचार के कारण उन्हें सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ प्राप्त नही हो पा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रवक्ता डा. मंजूला ने कहा कि शिक्षा विकास का सबसे सशक्त माध्यम है। आदिवासियों की शिक्षा के लिए सरकारें प्रयासरत हैं। विकलांग विश्वविद्यालय एवं दृष्टि नेत्रहीन बालिका विद्यालय की छात्राओं से कहा कि पढाई में नियमित कोर्स के अतिरिक्त तकनीकी शिक्षा की भी जरूरत है। विकास मिश्रा ने दृष्टिबाधितांे के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी। दृष्टि संस्था के महासचिव शंकरलाल गुप्ता ने कहा कि दृष्टिबाधितों में सामान्य जनों की तरह क्षमताएं हैं। इनके अलावा महिलाओं के उत्थान के लिए संघर्शरत विभिन्न संस्थाओं की महिला प्रतिनिधियों श्यामनंदिनी, डा. नीलम चौरे, अनीता सिंह, वर्षा गुप्ता ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता समाजसेवी जयश्री जोग ने किया।

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