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आयुर्वेद औषधि नहीं, जीवन जीने की एक शैली

चित्रकूट। हिन्दुस्तान संवाद नानाजी की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में लोहिया सभागार उद्यमिता विद्यापीठ में...

आयुर्वेद औषधि नहीं, जीवन जीने की एक शैली
हिन्दुस्तान टीम,चित्रकूटSat, 27 Feb 2021 04:13 AM
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चित्रकूट। हिन्दुस्तान संवाद

नानाजी की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में लोहिया सभागार उद्यमिता विद्यापीठ में आयुर्वेदिक औषधियों के मानकीकरण, गुणवत्ता परीक्षण व नई औषधियों की खोज में चुनौतियां समेत नवीन अन्वेषण विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार हुआ। जिसमें दीनदयाल शोध संस्थान के कोषाध्यक्ष वसंत पंडित ने कहा कि आयुर्वेद औषधि नहीं, अपितु जीवन जीने की एक शैली है। इसे सदैव अपनी जीवन पद्धति का अंग बनाकर रखना चाहिए। इसकी चुनौतियों को देखते हुए इसकी अपार संभावनाओं का लाभ लेना चाहिए। समाजसेवी राजकुमार भारद्वाज ने बताया की आज के युग में जैव विविधता समाप्त नहीं हुई है। ग्रामोदय विश्वविद्यालय के मैनेजिंग कमेटी के मेंबर डा विवेक ने बताया की आयुर्वेद संस्कार है। जीवन शैली है। पाश्चात्य सभ्यता ज्यादा प्रचलित है क्योंकि भारतीय आयुर्वेद को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया। आज गो विज्ञान केंद्र की जरूरत पड़ी, क्योंकि देसी नस्ल की गाय गवां दी हैं। दिव्यांग विवि कुलपति प्रोफेसर योगेश चंद्र दुबे ने बताया कि मानकी करण में नए शोध कैसे मूल्य पुन: स्थापित कर सकते है। शहरीकरण में सब पीछे छोड़ आए हैं। उसमें आयुर्वेद भी कहीं रह गया है। आयुर्वेद के लिए आवश्यक है संस्कृत, संस्कार एवं संस्कृति। इसके बिना मानकीकरण हो ही नहीं सकता।

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