श्रीमद्भागवत कथा श्रवण से नष्ट होता हैं पाप
श्रीमद्दभागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर का पाप नष्ट हो जाता है। इससे व्यक्ति का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। कलयुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। उक्त बातें गुरुवार को...
श्रीमद्दभागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर का पाप नष्ट हो जाता है। इससे व्यक्ति का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। कलयुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। उक्त बातें गुरुवार को कैलावर स्थित यज्ञ स्थल पर चतुर्मास महायज्ञ के 58वें दिन संत लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी ने कही।
कथावाचक संत जीयर स्वामी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने से व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है, जब कथा को अपने दिनचर्या में शामिल करेंगे। कथा वाचक ने कहा कि व्यक्ति को अपना जीवन आनंदमय, मंगलमय बनाकर आत्मकल्याण करना चाहिए। भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण करने के साथ ही भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। भागवत पुराण हिन्दुओं के 18 पुराणों में से एक है। श्रीमद् भागवत का मुख्य विषय भक्ति योग है, इसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। कथा वाचक ने कहा कि भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई। वहीं कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलता हैं। कथा के दौरान दर्जनों श्रद्धालु उपस्थित रहे।