आचरण में सुधार से ही उद्धार सम्भव है: संतदास
मारूफपुर स्थित बाबा कीनाराम मठ रामशाला परिसर में आयोजित सात दिवसीय संगीत मय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन रविवार को अयोध्या के संत संतदास ने श्री...

चहनियां। हिन्दुस्तान संवाद
मारूफपुर स्थित बाबा कीनाराम मठ रामशाला परिसर में आयोजित सात दिवसीय संगीत मय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन रविवार को अयोध्या के संत संतदास ने श्री कृष्ण जन्म की कथा श्रवण कराया। कहा कि मानव तन जगत कल्याण के लिए होता है। उन्होंने कहा कि अपने आचरण में सुधार लाओ तभी उद्धार होगा।
कथा वाचक ने विष्णु के सभी अवतारों का वर्णन करते हुए उन अवतारों के कारण पर सुक्ष्मता से वर्णन करते हुए समाज में फैली विसंगतियों पर चर्चा किया। उन्होंने कहा कि खुश होकर या बहस के दौरान कभी बड़ा बड़ा वादा नहीं करना चाहिए। जिसका उदाहरण और परिणाम अयोध्या नरेश दशरथ और कैकेयी के बीच हुई बात है। जिसके कारण उनको अपना प्राण त्यागना पड़ा। समुन्नति के लिए सुमति होना उतना ही जरूरी है जितना भोजन पकाने के लिए अग्नि की आवश्यक होती है। अजामिल जैसे लोगों का उद्धार करने वाले हम सबके प्रभु सदा वत्सल रहने वाले है। इसलिए जब नारायण को प्राप्त करना है तब सन्त का साथ होना जरूरी है। मृत्यु के समय सभी को अपने पाप पुण्य का दर्शन होता है। लेकिन आवाज बन्द होने के कारण उसको कोई अभिव्यक्त नहीं कर पाता है। इसमें तिलकधारी शरण दास, सूबेदार मिश्र, राममूरत पाण्डेय, जयशंकर मिश्र, जगदीश पांडेय, सन्तोष पांडेय, मनोज पांडेय, राधेश्याम यादव, हरिओम दुबे, प्रवीण पाण्डेय, अनिल यादव, रमाशंकर यादव, सुरेश पाण्डेय, विवेक दास आदि रहे।
