यूपी-बिहार बार्डर के सभी रास्तों पर 48 घंटे में पुलिस करेगी ये काम, सिपाही से CO तक को मिला टास्क
कुछ स्थानों पर पहले से सीसी कैमरा लगे होने की जानकारी दी गई है। अन्य स्थानों पर बीट सिपाही-चौकी इंचार्ज स्तर से निरीक्षण कराया जा रहा है। बीट सिपाहियों को कहा गया है कि बार्डर के रास्तों की लिस्ट बनाकर 24 घंटे में रिपोर्ट दें और उसके बाद के 24 घंटे में जहां कैमरा न लगा हो, वहां सीसी कैमरे लगाए जाएं।

पशु तस्करों से निपटने को पुलिस ने मैनुअल के साथ ही इलेक्ट्रानिक्स तरीके से भी निगरानी की तैयारी शुरू कर दी है। बिहार से यूपी में आने वाली सभी तरह की गाड़ियों की निगरानी के लिए कुशीनगर और देवरिया जिले सीमावर्ती थाना क्षेत्रों में सीसी कैमरा लगवाने की तैयारी है। डीआईजी एस चन्नपा ने दोनों जिलों के बार्डर के थानेदारों को निर्देश दिया है कि अपने यहां के उन सभी कच्चे-पक्के रास्ते, जिनसे गाड़ियां जा सकती हैं, वहां 48 घंटे में सीसी कैमरा लगवाएं। डीआईजी जल्द ही सीसी कैमरों का निरीक्षण भी करेंगे।
इसकी निगरानी का जिम्मा सीओ को दिया गया है। कुछ स्थानों पर पहले से सीसी कैमरा लगे होने की जानकारी दी गई है। बाकी स्थानों पर बीट सिपाही-चौकी इंचार्ज स्तर से निरीक्षण कराया जा रहा है। बीट सिपाहियों को निर्देश दिया गया है कि बार्डर के रास्तों की सूची बनाकर 24 घंटे में रिपोर्ट दें और उसके बाद के 24 घंटे में जहां कैमरा न लगा हो, वहां सीसी कैमरा लगाए जाएं। इन कैमरों से वाहनों की मानीटरिग की जाए। पशु तस्करों की पिकअप जैसे ही दिखे, रोकने के लिए बैरीकेडिंग की व्यवस्था की जाए।
एसटीएफ-पुलिस की पांच टीमें कर रही हैं छापेमारी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद गो तस्करों के नेटवर्क को ध्वस्त करने में जुटी पुलिस का एक्शन जारी है। एसटीएफ और गोरखपुर पुलिस की पांच टीमें एक लाख के इनामी दो बदमाशों गोपालगंज बिहार के मन्नू सेठ और यूपी में रामपुर जिले के रामपुर कोतवाली क्षेत्र के जुबैर और उनके साथियों की गिरफ्तारी की धरपकड़ के लिए लगातार छापेमारी कर रही हैं। वहीं एडीजी जोन व डीआईजी के निर्देश पर उन पुलिस वालों को भी चिह्नित किया जा रहा है, जो पशु तस्करों पर लगाम कसने में नाकाम रहे हैं।
रेंज की सभी बोलेरो और पिकअप की तैयार होगी कुंडली
पशु तस्करों पर लगाम लगाने के लिए यूपी पुलिस ने जमीनी स्तर पर काम शुरू किया है। तस्करों की जांच-पड़ताल तो की ही जा रही है, पशुओं को उठाने में इस्तेमाल होने वाली बोलेरो-पिकअप की भी कुंडली तैयार हो रही है। डीआईजी रेंज एस चन्नपा ने चारों जिलों के आरटीओ में पंजीकृत बोलेरो-पिकअप का डेटा निकलवाकर उनका सत्यापन कराने का निर्देश दिया है। इनकी सूची थानेवार बांटी जाएगी। बीट सिपाही आरटीओ में पंजीकृत पिकअप मालिक के एड्रेस पर पहुंच कर न सिर्फ यह पूछेंगे कि आपकी पिकअप किस काम में इस्तेमाल की जा रही है, बल्कि पिकअप की बनावट भी देखेंगे। पिकअप मालिक जो बातें बता रहा है उसकी सत्यता की पुष्टि गांव के लोगों से भी की जाएगी। इसकी जिम्मेदारी गोरखपुर के एसपी सिटी अभिनव त्यागी को सौंपी गई है। अन्य जिलों में भी वही समन्वय करेंगे।
पशु तस्करी की वारदात में ज्यादातर बोलेरो-पिकअप का ही इस्तेमाल किया जाता। पशु तस्कर उसे अलग तरीके से मोडीफाई कराते हैं। पिकअप के आगे और पीछे के हिस्से में लोहे की हैवी राड लगवाते हैं जिससे वे किसी भी गाड़ी को आसानी से टक्कर मार दें । गाड़ी में सिर्फ आगे की ही लाइट रखी जाती है, पीछे की लाइट व इंडीकेटर को तोड़ दिया जाता है। ताकि ब्रेक मारने पर पीछे की लाइट न जले।
गैराजों में रॉड लगवाने वालों की जुटा रहे जानकारी
थानेदारों से यह भी कहा गया है कि उनके इलाके में अगर कोई मेकैनिक पिकअप की एसेंबलिंग करता है तो उसकी जानकारी जुटाकर हमेशा निगरानी रखें। यह जानने का प्रयास करें कि कितने लोग यहां से अपने पिकअप में हैवी राड लगवा चुके हैं। मकैनिक से सम्पर्क कर ऐसे वाहनों के बारे में पुलिसे जानकारी भी जुटाएगी।




