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महाकवि सेनापति की स्मृति में विराट कवि सम्मेलन

Bulandsehar News - हिंदी साहित्य परिषद ने महाकवि सेनापति की स्मृति में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया। कवियों ने हास्य, वीर और श्रृंगार रस पर आधारित कविताएं प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि विधायक संजय शर्मा और अन्य ने दीप...

Newswrap हिन्दुस्तान, बुलंदशहरFri, 18 Oct 2024 11:54 PM
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काव्य क्षेत्र के महान पुरोधा महाकवि सेनापति की स्मृति में हिंदी साहित्य परिषद द्वारा विराट कवि सम्मेलन आयोजित किया। कवियों ने हास्य, वीर तथा श्रृंगार रस पर आधारित काव्य पाठ प्रस्तुत किया। गुरुवार को देर शाम गांधी मंडी में हिंदी साहित्य परिषद द्वारा महाकवि सेनापति की स्मृति में विराट कवि सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि विधायक संजय शर्मा, डिबाई विधायक सीपी सिंह, पालिका अध्यक्ष बृजेश गोयल, सेवानिवृत्ति डीआईजी कमलेश चतुर्वेदी ने मां सरस्वती की मूर्ति के सम्मुख दीप जलाकर किया। भोपाल से आई कवियत्री सबीहा असर ने मां शारदे की कविता पाठ से कवि सम्मेलन प्रारंभ किया। नागपुर से आई वीर रस की कवित्री श्रद्धा शौर्य ने कहा--

हे विरहणी व्यर्थ के आलाप गाना छोड़ दे, वेदना के फिर वही सब तप गाना छोड़ दे। कंठ में भर चेतना के स्वर जगा जा तू अलख गान कर वरदान का, अभिशाप गाना छोड़ दे। मध्य प्रदेश के शाजापुर से आए हास्य कवि दिनेश देसी घी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर कविता प्रस्तुत की--

एक फकीर मिला ऐसा जो जागता रहा, प्रभु की माला उसे राम भक्त बजरंगी ने श्री राम का भवन बना डाला। उन्नाव से पधारे गीतकार स्वयं श्रीवास्तव ने गीत इस प्रकार किया-- मुश्किल सी संभलना ही पड़ा घर के वास्ते, फिर घर से निकलना ही पड़ा घर के वास्ते। मजबूरियों का नाम हमने शौक रख लिया, हर शौक बदलना ही पड़ा घर के वास्ते। भोपाल से आई शायरा शबीहा असर ने प्रस्तुत इस प्रकार किया---

रंग खुशबू हया कवल हुए, या किसी शहर का महल हुए। तू मुझे गुनगुना कर देख, प्यार का गीत हूं गजल हम हुए।

आगरा से मशहूर हास्य कवि प्रताप फौजदार ने इस प्रकार गुदगुदाया---

वफा ईमान की बातें किताबों में ही मिलती हैं, भरोसा रोज मिलता है। भरोसा रोज डसता है, जमीन वो अब पैदा कर, वफा जो खून में बोले भगत सिंह जैसे बेटों को वतन अब भी तरसता है।

राजस्थान के कोटा से आए वीर रस के कवि परमानंद दाधीच ने जोश भरते हुए कहा--

जब तक जीवन राष्ट्रवाद की सांझ नहीं ढलने देता, भारत भू पर कोई खालिस्तान नहीं पालने देना। हरा भरा कर देते जो बंजारा के कोने-कोने को वे सपूत ही जाते हैं सरहद पर मस्तक बोने को। कवि सम्मेलन में राजस्थान के टोंक से आए प्रदीप पवांर, आगरा से आई गीतकार समीम कौसर, दिल्ली से आए हास्य कवि विनोद पाल ने देश की वर्तमान स्थिति राजनीति पर कटाक्ष कर तथा लोगों को हास्य कविताओं के माध्यम से गुदगुदाया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता सेवानिवृत्ति डीआईजी कमलेश चतुर्वेदी ने संचालन प्रदीप पंवार ने किया। राजेंद्र गौड़, हिंदी साहित्य परिषद के अध्यक्ष डॉ. आलोक गोविल, विनीत बंसल, अभय गर्ग, अमन गर्ग, पुनीत जैन आदि मौजूद रहे।

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