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खेल दिवस : अंतर्राष्ट्रीय पटल पर नाम रोशन कर चुके हैं जिले के खिलाड़ी

हॉकी का जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद जयंती को आज पूरा देश राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मना रहा है। खेलों की बात करें तो जनपद में हॉकी का खास...

खेल दिवस : अंतर्राष्ट्रीय पटल पर नाम रोशन कर चुके हैं जिले के खिलाड़ी
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,बुलंदशहरTue, 29 Aug 2023 12:10 AM
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हॉकी का जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद जयंती को आज पूरा देश राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मना रहा है। खेलों की बात करें तो जनपद में हॉकी का खास क्रेज नहीं है, लेकिन अन्य खेलों में जनपद के खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय पटल पर नाम रोशन कर चुके हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के प्रमुख सीमर गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार जनपद की मिट्टी में ही पलकर बड़े हुए। ओलंपिक खेलों में प्रदेश के 10 खिलाड़ियों में से तीन खिलाड़ी जनपद के थे, जिन्हें सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्वयं सम्मानित किया था।

युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं ओलंपियन

जनपद के तीन खिलाड़ियों ने ओलंपिक में प्रतिभाग किया था। इसको लेकर पूरे प्रदेश में जनपद का नाम रोशन हुआ। हालांकि तीनों खिलाड़ी ओलंपिक में पदक लाने में नाकाम रहे, लेकिन जनपदवासियों को अपने खिलाड़ियों पर नाज है। पदक नहीं मिलने की मायूसी जरूर है, लेकिन मुकाम तक पहुंचने की जो लौ इन खिलाड़ियों ने जलाई है, उसकी रोशनी युवाओं को राह दिखाएगी। कहते हैं कि ओलंपियन बनना हर खिलाड़ी का ख्वाब होता है और कुछ खिलाड़ी ही इसमें अपनी मेहनत और लगन के दम पर इसमें भाग ले पाते हैं। बताते चलें कि पूरे प्रदेश से 10 खिलाड़ियों ने ओलंपिक के लिए चयन हुआ था इन 10 खिलाड़ियों में से 3 खिलाड़ी जनपद बुलंदशहर के थे।

जनपद के तीन ओलंपियन

मेराज खान, शूटिंग

खुर्जा में रहने वाले मेराज खान ने शूटिंग में भारत की ओर से ओलंपिक में प्रतिभाग किया था। मेराज पूर्व में भी ओलंपिक में भाग ले चुके थे। मेराज ने रियो में 2016 में आईएसएसएफ विश्व कप चेम्पियनशिप में सिल्वर मेडल हासिल किया था। मेराज खान 15 से अधिक वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज हैं। उन्होंने राष्ट्रमंडल निशानेबाजी चेम्पियनशिप, एशियाई चेम्पियनशिप, दक्षिण एशियाई संघ और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय चेम्पियनशिप में कई पदक ओर पुरस्कार जीते हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 2010 कॉनवेल्थ शूटिंग चेम्पियनशिप में गोल्ड मेडल, 2008 सिंगापुर ओपन शूटिंग चेम्पियनशिप में गोल्ड, 2007 सिंगापुर ओपन शूटिंग चेम्पियनशिप में गोल्ड के अलावा उनके पदक जीतने की फेहरिस्त काफी लंबी है।

सतीश यादव, बॉक्सिंग

बुलंदशहर की तहसील सिकंदराबाद के गांव पचौता निवासी सतीश यादव ओलंपिक में मुक्केबाजी में पूरा दम दिखाया था। प्रतिभा के धनी इस बॉक्सर ने 2014 के एशियन गेम्स में सुपर हैवीवेट केटेगरी में कांस्य पदक जीता था और वह पहले भारतीय बॉक्सर बने , जिन्होंने ओलंपिक के लिए सुपर हैवीवेट केटेगरी में क्वालीफाई किया था। 2015 बैंकॉक में सुपर हैवीवेट कैटेगरी में कांस्य, 2019 बैंकॉक में सुपर हैवीवेट चेम्पियनशपि में कांस्य और वर्ष 2018 गोल्डकोस्ट में सुपर हैवीवेट कैटेगरी में कांस्य पदक हासिल किया है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर भी सतीश यादव ने कई पुरस्कार और पदक हासिल किए हैं।

अरविंद सोलंकी, रोइंग खिलाड़ी

खुर्जा के गांव खबरा निवासी अरविंद सौलंकी जिले के ही नहीं बल्कि प्रदेश के पहले खिलाड़ी बने थे जिन्होंने रोइंग में ओलंपिक में प्रतिभाग किया था। ओलंपिक में अर्जुल लाल जाट और अरविंद सोलंकी की जोड़ी ने लाइटवेट डबल स्कल्स स्पर्धा में भाग लिया। इससे पूर्व अरविंद 2018 में जकार्ता एशियन गेम्स में प्रतिभाग कर चुके हैं। अरविंद सोलंकी अब तक 37वीं नेशनल चैंपियनशिप 2018 में दो गोल्ड मेडल, 2019 में हुई वल्र्ड रोइंग चैंपियनशिप में 13वां स्थान जो ऑस्ट्रेलिया में आयोजित हुई। साउथ कोरिया में 19वीं एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल, 38वीं नेशनल चैंपियनशिप में दो सिल्वर मेडल जीत चुके हैं। ओलंपिक के बाद भी उन्होंने कई मेडल हासिल किए हैं।

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खेल दिवस : खेलों में बेटियां भी किसी से कम नहीं

बुलंदशहर, संवाददाता। जनपद की बेटियों ने खेलों में अपना नाम कमाया है। क्रिकेट, कैनोइंग, बैंच प्रेस में बेटियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। चांदपुर की रहने वाली नीतू सिंह उप्र महिला क्रिकेट टीम का हिस्सा रहीं हैं। आजकल रेलवे में तैनात हैं। प्रतिभा की धनी शिवानी सिंह कैनोइंग का उभरता सितारा हैं, कई मेडल जीतकर उन्होंने सभी को इम्प्रेस किया है। गीता तेवतिया ने जैवलिन थ्रो से खेलों की शुरुआत की और आज स्टेट पावर लिफ्टिंग में लगातार दो वर्षों से चेम्पियन हैं। सिकंदराबाद के गांव महेपा जागीर निवासी रमेश चंद की बेटी शिवानी ने कैनोइंग में अपना नाम कमाया है। शिवानी की माता मीना देवी अपनी बेटी की सफलता को लेकर पूरी तरह से आशान्वित हैं। शिवानी ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में कई मेडल प्राप्त किए हैं। शिवानी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अब तक एक गोल्ड, 6 सिल्वर तथा दो ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं। इसके अलावा ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चेम्पियनशिप में 7 गोल्ड मेडल जीते हैं। इनके अलावा प्रदेश महिला टीम का हिस्सा रहीं नीतू भारतीय महिला टीम की कप्तान मिताली राज के साथ खेल चुकी हैं। नगर के चांदपुर निवासी राजवीर सिंह की बेटी नीतू का शुरू से ही क्रिकेट से लगाव रहा है। नीतू सेंट्रल जोन की टीम में ओपनिंग बैटिंग करती थीं। उस समय सेंट्रल जोन की टीम में मिताली राज सहित अधिकांश भारतीय टीम की खिलाड़ी शामिल थीं। फिलहाल नीतू रेलवे में जॉब कर रही हैं और आगरा में तैनात हैं। गुलावठी के गांव भटौना निवासी सतेन्द्र सिंह की बेटी गीता तेवतिया पावर लिफ्टिंग बेंच प्रेस की चेम्पियन हैं। प्रतिभा की धनी गीता का शुरू से ही खेलों से लगाव रहा। 2004 में गीता ने नेशनल जैवलिन थ्रो प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता। इसके बाद उन्होंने कबड्डी में अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाया और 2005, 06 और 07 में उत्तर प्रदेश महिला कबड्डी टीम की सदस्य रहीं। 2008-09 में ऑल इंडिया अंतर विश्वविद्यालयी प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीता। 2010 से 2016 तक इन्जेरी होने के कारण खेलों से अलग रहीं। इसके बाद 2019 में पावर लिफ्टिंग खेल शुरू किया और दो साल से लगातार स्टेट चेम्पियन हैं। सीनियर नेशनल पावर लिफ्टिंग बेंच प्रेस में कांस्य पदक जीता। गीता ने हांगकांग में आयोजित एशियन पेसेफिक पावर लिफ्टिंग चेम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

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हॉकी की अलख जला रहे कौशल

बुलंदशहर। हॉकी को लेकर भले ही युवाओं में क्रेज न हो, लेकिन हॉकी के लिए पूरी तरह से समर्पित कौशल 100 से से अधिक बच्चों को हॉकी का प्रशिक्षण दे रहे हैं। नगर के जीजीआईसी ग्राउंड को कौशल ने अपनी मेहनत से तैयार किया है। यहां लगभग 100 बच्चे हॉकी का प्रशिक्षण ले रहे हैं, जिनमें लगभग 35 लड़कियां भी शामिल हैं। कौशल बताते हैं कि उन्हें हॉकी से बेहद लगाव है।

यूं मनाते हैं खेल दिवस ...

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त को हुआ था। उनके जन्म दिन के अवसर पर पूरे देश में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। इस दिन खेलों में अपना अहम योगदान देने वाले खिलाड़ियों को भारत के राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों से सम्मानित करते हैं, जिसमें राजीव गांधी खेल रत्न, ध्यानचंद पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कारों के अलावा अर्जुन पुरस्कार दिया जाता है। राष्ट्रीय खेल दिवस पर द्रोणाचार्य पुरस्कार उन कोच को दिया जाता है, जिन्होंने अच्छे खिलाड़ी तैयार करने में योगदान दिया हो।

खेल दिवस के उपलक्ष्य में हुआ खेल सप्ताह का आयोजन

बुलंदशहर, संवाददाता। मेजर ध्यानचंद की जयंती खेल दिवस को लेकर जिला खेल कार्यालय और जिला प्रशासन के तत्वावधान में खेल सप्ताह का आयोजन किया गया, जिसमें फुटबॉल, कबड्डी, जूडो और हॉकी की प्रतियोगिताएं हुईं। मंगलवार को खेल दिवस पर सभी खेलों के फाइनल खेले जाएंगे और पुरस्कार वितरण होगा।

हॉकी की छिपी प्रतिभाओं को निखारेंगे : नवीन कुमार

बुलंदशहर। जिला क्रीड़ा अधिकारी हॉकी के प्रशिक्षक भी हैं। हॉकी की छिपी प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए उन्होंने एक कार्ययोजना तैयार की है। इसके लिए वह प्रत्येक स्कूल में बच्चों को जागरूक करेंगे। मेजर ध्यान चंद से लेकर भारतीय टीम के खिलाड़ियों की मेहनत और लगन के बारे में बताएंगे। इसके लिए वह जनपद के पूर्व खिलाड़ियों सहित अन्य खेल प्रेमियों का सहयोग लेंगे। उन्होंने बताया कि हॉकी के प्रति बच्चों में धीरे-धीरे क्रेज बढ़ रहा है। जनपद के चार बच्चे स्पोर्ट्स कॉलेज के फाइनल ट्रायल तक पहुंचे। बच्चों को हॉकी खेलने के लिए मैदान तैयार है। उच्च क्वालिटी की हॉकियां, गेंद, गोल पोस्ट सहित अन्य सामान भी स्टेडियम में मंगवाया गया है। नवीन कुमार बताते हैं कि योजना सफल रही तो प्रतिभाएं सामने आएंगी और प्रदेश, देश, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन करेंगी।

हिन्दुस्तान संवाद : प्रतिभाओं की कमी नहीं, संसाधनों का अभाव

बुलंदशहर, संवाददाता। खेलों के प्रति युवाओं में क्रेज बढ़ रहा है और धीरे-धीरे प्रतिभाएं सामने आ रही हैं। यदि संसाधन पर्याप्त हों तो जनपद में प्रतिभाओं की कमी नहीं हैं। नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में खेल प्रतिभाएं निखर सकती हैं, बशर्ते उन्हें सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध हों। इसको लेकर खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों से आपके प्रिय समाचार हिन्दुस्तान की टीम ने संवाद किया। सभी ने एक स्वर में सीमित संसाधनों पर अपनी बात रखी।

जनपद में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। सीमित संसाधनों में खिलाड़ी तैयार करना भी एक चुनौती है। प्रयास रहता है कि खिलाड़ी एक मुकाम हासिल करें।

-राजेश शर्मा, कोच

खेल प्रतिभाओं को अच्छे स्तर तक पहुंचाने का प्रयास रहता है, लेकिन सीमित संसाधान आड़े आते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों पर काम होना जरूरी है।

-सुखदेव शर्मा, कोच

प्रेक्टिस करने के लिए आने वाले बच्चों में टेलेंट होता है। यदि उन्हें सही मार्गदर्शन मिले तो वह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर सकते हैं।

-अमरीश गुप्ता, सचिव बीडीसीए

पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी युवाओं को अपना कैरियर तलाशना चाहिए। खेलों में कैरियर बनाने की काफी संभावनाएं हैं।

-अरुण गुप्ता, क्रिकेट खिलाड़ी

हॉकी भले ही हमारा राष्ट्रीय खेल हो, लेकिन अन्य खेलों के मुकाबले युवा हॉकी की ओर कम आकर्षित होते हैं। सही दिशा और संसाधन हों तो हॉकी की प्रतिभाओं को निखारा जा सकता है।

-यासीन अहमद, हॉकी खिलाड़ी

खेलों में आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत है। बच्चों का रुझान यदि खेलों की ओर है तो अभिभावक उसके आगे बढ़ने में सहायक बनें।

-बादल यादव, धावक

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