बोले: बंदरों के आतंक से परेशान ग्रामीण, कब मिलेगी निजात
Bulandsehar News - बुलंदशहर के गांव मौहरसा और पौटा बादशाहपुर में बंदरों का आतंक बढ़ गया है। ग्रामीणों पर लगातार हमले हो रहे हैं, जिससे एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। बंदरों ने घरों में घुसकर सामान चुराना शुरू कर...

अहार, संवाददाता। जनपद बुलंदशहर के अहार क्षेत्र में स्थित गांव मौहरसा व पौटा बादशाहपुर में बंदरों ने आतंक मचा रखा है। आए दिन बंदर ग्रामीणों पर हमला कर घायल कर रहे हैं।सैकड़ो बंदरो के झुंड ने पूरे गांव में उत्पात मचाया हुआ है।दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे में भी बंदरो का उत्पात कम नहीं होता है।पिछले कुछ महीनों में बंदरों के हमले में एक दर्जन से अधिक ग्रामीण घायल भी हो चुके है।साथ ही घर में रखा सामान बंदरो से बचाना लोगों को मुशिकल हो गया है।दिन रात लोगों को घर में रहकर बंदरो से रखवाली करनी पड़ रही है।गांवों
में सैकड़ो की संख्या में बंदर हैं। बंदरों ने ग्रामीणों का जीना मुश्किल कर रखा है। आए दिन बंदरों के झुंड ग्रामीण महिलाओं और बच्चों पर हमला कर रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार उच्चाधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों को शिकायत कर बंदरों से निजात दिलाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।घरों में खान पान की वस्तुओं के अलावा कपड़े सुखाना भी लोगों के लिए भारी पड़ गया है।ग्रामीणों ने बताया कि बंदर ऐसे है की रात होते ही घरों में घुसना शुरू हो जाते है फ्रिज में रखा सामान तक बंदर निकालकर ले जा रहे है।ग्रामीण भगाने का प्रयास करते है तो बंदर उनपर हमला बोलने लगते है और उन्हें घायल कर देते है।बंदरो के झुंड पेड़ो से लेकर घरों की छतों पर अपना कब्जा किये हुए है।कुछ ग्रामीणों ने बताया कि छत पर लगे वाटर टैंक की टँकीयो व पाइपों को बंदर द्वारा छतिग्रस्त किया जा रहा है।बंदरो को भगाने के लिये ग्रामीण कभी लंगूर तो कभी भालू की ड्रेस पहनाकर युवकों को घुमा रहे है लेकिन बंदर एक गली से दूसरी गली की ओर भाग जाते है।बंदरो की वजह से लोगों ने छतों पर सोना तक बंद कर दिया है।लेकिन इन बंदरो से निजात ग्रामीणों को नहीं मिल पा रही है।ग्रामीणों का कहना है कि शहरी आबादी से पकड़कर इन बंदरो को ग्रामीण क्षेत्रों में छोड़ दिया जा रहा है।जहाँ बंदरो की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जंगलों से आबादी की ओर रख कर रहे बंदर जंगलों में रहने वाले बंदर अब आबादी की तरफ रुख कर चुके है।गांव में बंद पड़े मकानों व बड़े बड़े पेड़ो पर इन्होंने डेरा डाला हुआ है।उत्पात मचाने के बाद यह अपने ठिकानों पर पहुँच जाते है।समय के साथ बंदरो ने भी अपना तरीका बदल लिया है यह अब रात में भी घरों में घुसकर समान ले जाने लगे है।घरों में सूख रहे कपड़ो को देखते ही यह फाड़ना शुरू कर देते है।खान पान की चीजें बाहर छोड़ना लोगों के लिए मुसबीत बन जाता है।खुले आंगन में खाना बनाने वाली महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है।घर के एक दो सदस्य को खाना बनने के दौरान पहरा देना पड़ता है। गर्मियों में खुले आसमान के नीचे नहीं सो पाये ग्रामीण गर्मियों के मौसम में ग्रामीण क्षेत्रो में ज्यादातर लोग रात्रि में खुले आसमान के नीचे सोते है।लेकिन कुछ समय से गांव में बंदरों के बढ़ते हमले व उत्पात के कारण लोगों ने खुले में सोना तक बंद कर दिया है।पूरा बंदरो का झुंड एक साथ हमला कर देता है।अकेले व्यक्ति द्वारा बंदरो का भगाना किसी आफत से कम नहीं है अकेले व्यक्ति को बंदरो का झुंड चारों तरफ से घेर लेता है ऐसे में लोगो को जान बचाना तक मुशिकल पड़ जाता है। खेतों में आवारा पशु तो घरों में बंदरों के आतंक ग्रामीण क्षेत्र होने की वजह से गांव मौहरसा व पौटा बादशाहपुर में अधिकांश लोग खेतीबाड़ी कर अपने परिवार चलाते है।ग्रामीणों का कहना है कि उनके खेतों में खड़ी फसलों में छुट्टा पशुओं का आतंक लगा रहता है।छुट्टा पशुओं से फसलों को बचाने के लिए अब तक खेतों में ही रखवाली देनी पड़ती थी लेकिन अब घरों में बंदरों के आतंक होने की वजह से घरों में भी रखवाली देनी पड़ रही है।ग्रामीणों ने बताया कि घर के अधिकांश सदस्य सिर्फ घर व खेतों में रखवाली पर बैठे रहते है। बंदरो को भगाने के प्रयास हो रहे विफल ग्रामीणों ने बताया कि बंदरो को भगाने के लिए लंगूर लाये गये थे लेकिन बंदरो के झुंड के सामने लंगूर भी कुछ नही कर सके।इसके बाद ग्रामीणों ने चंदा करके भालू की ड्रेस मंगवाई ओर उसे एक युवक को पहनाकर बंदरो के झुंड की तरफ ले जाया जाता था बंदर लंगूर को देखकर एक स्थान से दूसरे स्थान से भाग जाते थे लेकिन बंदर गांव से बाहर न निकल सके।कुछ लोगों ने घरों की छत पर करंट प्रवाहित झटका मशीन भी लगायी लेकिन उससे भी कामयाबी न मिल सकी। बंदरो को पकड़वाने के लिए ग्रामीणों ने किया चंदा ग्रामीणों ने बताया कि बंदरो को पकड़वाने के लिए कई बार शिकायत की गई लेकिन सुनवाई नहीं हुई।इसलिए अब ग्रामीणों ने खुद ही पैसे एकत्रित करके बंदरो को पकड़वाना शुरू कर दिया है।सोमवार को गांव मौहरसा में करीब एक दर्जन से अधिक बंदर पकड़वा कर भिजवा दिए गए है।लेकिन अभी भी बंदरो की संख्या गांव में कम नहीं हुई है। समस्याएं 1-बंदरो ने गांव में एक दर्जन से अधिक लोगों पर हमला बोलकर उन्हें घायल कर दिया है।कुछ गंभीर रूप से भी घायल हुए है। 2-बंदरो के उत्पात के कारण लोगों ने छतों पर जाना बंद कर दिया है। 3-खुले में खान पान की चीजों के साथ साथ खुले में कपड़े सुखाना तक लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। 4-आंगन में खाना बनाते समय बंदरो का झुंड एक साथ हमला बोल देता है।जिससे महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है। 5-घरों में खुले में समान रखना लोगों के लिए मुसिबत बन गया है।घरों की छत पर फसल सुखाने के लिए घर के सदस्य पूरे दिन हाथों में लाठी डंडे लेकर रखवाली करते है। सुझाव--- 1-बंदरो से निजात दिलाने के लिए इन्हें प्रशासन द्वारा पकड़वाना चाहिए। 2-शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों में लाकर छोड़े जा रहे बंदरो पर रोक लगनी चाहिए। 3-बंदरो के हमले में घायल लोगों का मुफ्त इलाज व आर्थिक मदद शासन प्रशासन की तरफ से मिलनी चाहिए। 4-काटे जा रहे फल दार वृक्षो पूरी तरह रोक लगनी चाहिए ताकि बंदरो व अन्य जानवरों को पर्याप्त भोजन मिलता रहे। 5-बंदरों के आतंक से मिले निजात।कहा कि आए दिन बंदर लोगों पर हमला कर रहे हैं, जिससे लोगों का घरों से बाहर निकलना तक मुश्किल हो गया है। सबसे अधिक खतरा स्कूली बच्चोंको बना हुआ है।
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