बोले बुलंदशहर: अन्नदाताओं की पुकार, डीएपी दिलाओ
संक्षेप: Bulandsehar News - पहासू क्षेत्र के किसानों को डीएपी खाद नहीं मिल रहा है, जिससे फसलों को नुकसान हो रहा है। कई सहकारी समितियों पर ताले लटके हैं और खाद की किल्लत बनी हुई है। किसानों ने प्रदर्शन किए हैं, लेकिन समस्याओं का...

क्षेत्र के किसानों को डीएपी नहीं मिल रहा है। इससे फसलों को नुकसान पहुंच रहा है। खाद नहीं मिलने से फसलों के खराब होने पर किसानों को लाभ नहीं मिलेगा। इसको लेकर किसान चिंतित हैं। कई बार आलाधिकारियों से शिकायत कर खाद की पूर्ति कराने की किसानों ने मांग की है। जिसके बाद भी किसानों की इस समस्या का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। स्थिति जस की तस बनी हुई है। किसानों की मानें, तो समय से खाद की पूर्ति नहीं होने पर फसलों पर काफी प्रभाव पड़ेगा। डीएपी खाद को लेकर संकट बदस्तूर बना हुआ है। पहासू क्षेत्र की कई सहकारी समितियों पर ताला लटका मिलने से किसान मायूस हो रहे हैं।
किसानों को फसल के लिए डीएपी तथा यूरिया खाद की जरूरत के चलते सहकारी समितियों तथा निजी दुकानों के चक्र काटने पड़ रहे हैं। सहकारी समितियों में या तो खाद की उपलब्धता ना के बराबर है, या वहाँ पर ताले लटके मिलते हैं। खाद को लेकर कई स्थानों पर किसानों ने प्रदर्शन भी किये हैं, लेकिन सरकार की ओर से खाद की उपलब्धता के लाख वायदों के बाद भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं। मांग के अनुसार खाद नहीं मिलने से किसान मायूस हो रहे हैं। पहासू की दीघी, नाराइच, फ़ज़लपुर आदि सहकारी समितियों पर डिमांड के अनुसार खाद नहीं मिल रहा। कई किसानों की ओर से अधिकारियों पर खाद की कालाबाज़ारी करने का आरोप लगाया गया है। कई स्थानों पर किसानों की भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन की देखरेख में खाद के कट्टों का वितरण किया जा रहा है। कई सहकारी समितियों पर लटका ताला पहासू क्षेत्र के कई सहकारी समितियों पर खाद की उपलब्धता नही होने से ताला लटका मिलता है। किसान ताला लटका देखकर मायूस होकर लौटने को मजबूर होते हैं। खाद मिलने की आस में आते हैं किसान, शाम को लौटना पड़ता है खाली हाथ कई सहकारी समितियों पर खाद मिलने की सूचना पर पहुंचे किसान सुबह सवेरे लाइन लगा देते हैं, लेकिन अपनी बारी आने पर पता चलता है कि खाद का स्टॉक समाप्त हो गया है। ऐसे में भूखे प्यासे किसानों को मायूसी मिलती है। खाद के लिए कई स्थानों पर हुए प्रदर्शन डीएपी संकट के बीच पहासू क्षेत्र की दीघी सहकारी समिति पर किसानों ने खाद नहीं मिलने पर जमकर प्रदर्शन किया। किसानों को समझाने के लिए पुलिस बुलाई गई। पुलिस की निगरानी में किसानों को खाद बांटा जा सका। खाद की कालाबाज़ारी रोकने को प्रशासन ने कसी कमर क्षेत्र में किसानों द्वारा खाद की कालाबाज़ारी तथा निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत पर खाद देने की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद प्रशासन ने कालाबाज़ारी रोकने को कमर कस ली है। प्रत्येक ब्लाक में नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई है, जो खाद की उपलब्धता, वितरण तथा मांग और आपूर्ति में समन्वय करेगा। खाद लेने को लेकर कई बार किसानों के बीच हो जाता है झगड़ा खाद लेने के लिए किसानों की लम्बी कतारें लग जाती है। जिसमें कुछ लोग जल्दी खाद लेने का प्रयास करते हैं। ऐसे में किसानों के बीच झगड़ा हो जाता है। किसानों के झगड़े को रोकने और सही से खाद वितरण कराने के लिए पुलिस बल तैनात किया जाता है। यदि पर्याप्त खाद मिलेगा, तो किसानों के बीच झगड़े नहीं होंगे। साथ ही पुलिस बल तैनात करने की जरुरत नहीं होगी। प्रत्येक वर्ष होती है खाद की समस्या किसानों के अनुसार खाद की समस्या प्रत्येक वर्ष होती है। इसको लेकर किसानों ने आलाधिकारियों से कई बार शिकायत की है। जिसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती है। इसके परिणाम स्वरूप किसानों को हर साल परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार किसानों को फसलों के लिए खाद देरी से मिल पाता है। जिसके चलते किसानों को काफी नुकसान होता है। अधिकारियों को इस पर विचार करते हुए किसानों की समस्या का समाधान कराने का प्रयास करना चाहिए। निर्धारित रुपयों से अधिक की वसूली का भी आरोप किसानों की मानें, तो खाद की किल्लत के चलते उसका निर्धारित मूल्य से अधिक किसानों को चुकाना पड़ता है। इसको लेकर किसानों ने कई बार अधिकारियों से शिकायत की है। जिसके बाद भी कोई समाधान नहीं हुआ है। स्थिति जस की तस बनी हुई है। खाद की किल्लत है। वहीं कुछ जगहों पर मिलने वाले खाद के रुपये निर्धारित रुपयों से अधिक देने पड़ते हैं। सेंटरों पर नहीं किसानों की बैठने की सुविधा खाद प्राप्त करने के लिए किसान सुबह से ही आ जाते हैं। किसानों को आस रहती है कि उन्हें आज खाद मिल जाएगा। जिसके लिए उन्हें सुबह से शाम तक इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में केंद्र पर बैठने की व्यवस्था होने से किसानों को सुविधा मिलेगी। इस प्रकार की सुविधा के लिए किसानों ने कई बार अधिकारियों को अवगत कराया है। जिसके बाद भी इस समस्या का समाधान नहीं किया गया है। शिकायतें: -डीएपी खाद का संकट लगातार बना हुआ है -सेंटरों पर खाद वितरण के लिए कोई सुविधाजनक व्यस्था नहीं है -निर्धारित पैसों से अधिक की वसूली की जा रही है -खाद वितरण के लिए सही दिन नहीं बताया जा रहा। -मायूस होकर समितियों से वापस जाने को मजबूर होते हैं किसान सुझाव: -डीएपी खाद का संकट दूर किया जाए -सेंटरों पर किसानों के बैठने तथा पानी की व्यस्था की जाए -निर्धारित शुल्क पर ही डीएपी उपलब्ध कराई जाए -डीएपी खाद किस दिन मिलेगी, इसकी जानकारी पहले दी जाए -किसानों की जरुरत के अनुसार खाद की व्यवस्था की जानी चाहिए कोट:- खाद वितरण को लेकर प्रशासन को व्यवस्थाएं बेहतर करनी चाहिए। खाद की मांग अधिक है, लेकिन उपलब्धता कम है। जिसके चलते किसान को मांग के अनुसार खाद नहीं मिल पा रहा। -ओम प्रकाश, किसान हर साल डीएपी का संकट देखने को मिलता है। कई दिनों से सहकारी समिति पर डीएपी के लिए लोग चक्कर लगा रहे हैं। जिसके बाद भी खाद का वितरण नहीं हो रहा है। सुबह से शाम तक खाद के लिए इंतजार करना पड़ता है। इंतजार करने के बाद भी खाद नहीं मिलने पर शाम को वापस लौटना पड़ रहा है। इस वर्ष भी ऐसी स्थिति बनी हुई है। -ऋषिपाल सिंह, किसान लगातार कई दिनों से सहकारी समिति पर डीएपी के लिए आ रहे हैं। लेकिन खाद का वितरण नहीं हो रहा है। सुबह से शाम तक खाद नहीं मिलने पर शाम को खाली हाथ वापस जाना पड़ रहा है। -वीरपाल किसान। आगामी आलू की फसल का सीजन नजदीक है, लेकिन किसानों को अभी तक खाद उपलब्ध नहीं हो रहा है। क्षेत्र की अधिकांश सहकारी समितियां पर खाद के लिए लंबी लाइन लग रही हैं। वहीं उपलब्धता के अनुसार खाद नहीं मिल पा रहा है -किरन पाल सिंह,किसान सहकारी समितियां पर व्यवस्था नहीं होने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शासन को किसानों की समस्याओं पर विचार करना चाहिए। -हर प्रसाद शर्मा, किसान इन दिनों किसानों को फसल की बुवाई के लिए डीएपी खाद की बहुत आवश्यकता है, लेकिन किसानों को खाद नहीं मिल रही है। केंद्र पर खाद लेने के लिए कई-कई दिन गुजर जाते हैं। जहां पर मालूम होता है कि डीएपी खाद नहीं है। साथ ही बताया जाता है कि खाद आने पर ही वितरण होगा, लेकिन सही से खाद आने की तिथि नहीं बताई जाती है। जिसके चलते किसानों को रोज आना पड़ता है। -अशोक राघव, किसान इस समय किसानों को फसल की बुवाई के लिए डीएपी खाद की जरुरत है, लेकिन किसानों को खाद नहीं मिल रही है। केंद्र पर खाद लेने के लिए कई बार लाइन में खड़े रहने के बाद भी मायूसी मिलती है। -संजू चौधरी, किसान खाद वितरण को लेकर प्रशासन को व्यवस्थाएं बेहतर करनी चाहिए। खाद की मांग अधिक है, लेकिन उपलब्धता कम होती है। जिसके चलते किसान को मांग के अनुसार खाद नहीं मिल पा रहा है -सोनू शर्मा, किसान हर साल डीएपी का संकट देखने को मिलता है। इस वर्ष भी ऐसी स्थिति बनी हुई है। कई दिनों से खाद के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन यहां आकर खाद खाद नहीं मिल पाता है। -ललित कुमार, किसान लगातार कई दिनों से सहकारी समिति पर डीएपी के लिए आ रहे हैं, लेकिन खाद नहीं मिल पा रहा है। सुबह से शाम तक खाद के लिए इंतजार करने के बाद खाद नहीं मिलने पर खाली हाथ वापस जाना पड़ रहा है। -विष्णु सिंह जादोन, किसान हर नजदीकी सेंटर पर खाद लेने के लिए जाते हैं, लेकिन केंद्र पर जाकर पता चलता है कि डीएपी खाद नहीं है। खाद आने पर ही दी जाएगी। कोई सही जानकारी नहीं देता है। जिससे ज्ञात हो कि खाद कब आएगा। -विनोद तोमर, किसान कोट- अधिकांश सहकारी समितियों पर डीएपी खाद पहुंच रहा है। किसानों को धैर्य रखना चाहिए। प्रत्येक समिति के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जा चुकी है। किसानो को जरूरत के मुताबिक डीएपी देने की व्यवस्था की जा रही है। -नरेंद्र शर्मा, बीडीओ, पहासू

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