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तीज पर न पड़े झूले, ना लगे मेले, घरों में मना त्योहार

कोरोना काल ने तीज के त्योहार का उत्साह फीका कर दिया है। इस बार न पेड़ पर झूले पड़े और न ही मेलों का आयोजन किया...

तीज पर न पड़े झूले, ना लगे  मेले, घरों में मना त्योहार
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,बुलंदशहरThu, 23 Jul 2020 05:03 PM
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कोरोना काल ने तीज के त्योहार का उत्साह फीका कर दिया है। इस बार न पेड़ पर झूले पड़े और न ही मेलों का आयोजन किया गया। महिलाओं में मायूसी रही। घरों पर ही तीज का त्योहार मनाया गया। कोराना के इस संकटकाल में बेटियों के यहां सिंदारा का सामान भेजने के स्थान पर लोगों ने ऑन लाइन रुपये भेजे। कोरोना के संकटकाल ने त्योहारों का तमाम उत्साह फीका कर दिया है। गुरुवार को तीज का त्योहार मनाया गया। तीज के त्योहार का महिलाएं बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करती थीं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते महिलाओं के उत्साह पर पानी फिर गया। बताते चलें कि बीते वर्षों में तीज के मौके पर महिलाओं के लिए मेलों का आयोजन किया जाता था। विभिन्न संगठन इसका आयोजन करते थे। महिलाएं स्वयं भी ग्रुप बनाकर पार्टी आयोजित करती थीं। पेड़ों पर लगे झूलों पर पींग बढ़ाते हुए महिलाएं सावन के गीत गाया करती थीं। मेलों में चाट-पकौड़ी के अलावा विभिन्न प्रकार के व्यंजन, खेल तमाशे, खरीदारी के लिए दुकानें लगती थीं। पिछले दो-तीन सालों से नगर के राजेबाबू पार्क में नगर पालिका के सौजन्य से मेले का आयोजन किया जाता था। बड़ी संख्या में महिलाओं ने इस मेले में भाग लिया था। मेले में महिलाओं के लिए झूले आदि की थी व्यवस्था थी। इसके अलावा मोहन कुटी के अलावा जनपद के विभिन्न स्थानों पर मेलों का आयोजन किया जाता था। यमुनापुरम कॉलोनी निवासी क्षमा शर्मा बताती हैं वह अपनी सहेलियों के साथ होटल में पार्टी करती थीं, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं है। घरों पर रहकर ही विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर त्योहार मनाया है। व्हाट्सअप संवाद : महिलाएं बोलीं --- पहले वाला उत्साह नहींबुलंदशहर। कहते हैं कि महिलाओं को सजने-संवरने का शौक होता है और तीज पर संजने संवरने से बढ़िया मौका महिलाओं को नहीं मिलता है। इस दिन महिलाएं सोलह सिंगार करती हैं। मेहंदी लगवाने के लिए बाजारों में महिलाओं की अच्छी खासी भीड़ होती है। ब्यूटी-पार्लर भी महिलाओं से भरे रहते थे। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। महिलाओं ने घर पर रहकर ही मेहंदी और मेकअप आदि किया। कोरोना महामारी चल रही है। ऐसे में त्योहारों का उत्साह भले ही फीका हो गया हो, लेकिन परंपरानुसार घरों पर ही रहकर तमाम विधि-विधान पूरे किए गए। -कनक गुप्ता, हंस विहार कोराना एक ऐसी बीमारी है, जो एक से दूसरे इंसान में जाती है। इसलिए लोगों को दूरी बनाए रखना जरूरी है। वर्तमान समय में मेले नहीं बल्कि इंसान की जान जरूरी है।-प्रियंका शर्मा, रामा एन्कलेवशासन-प्रशासन के नियमों का पालन करना जरूरी है। लोगों को चाहिए कि त्योहारों को सादगी के साथ मनाएं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और एक दूसरे से दूरी बनाएं रखें। -राधा गर्ग, कोठियातवर्तमान समय में मेलों का आयोजन ठीक नहीं है। घरों पर रहकर ही त्योहारों को मनाया जाना समय की मांग है। हमने घरों पर रहकर ही तीज का त्योहार मनाया है। -विधुलेखा कौशिक, टीचर्स कॉलोनीसूने रहे ब्यूटी पार्लर, इंतजार करते रहे मेहंदी लगाने वालेबुलंदशहर। महिलाओं का त्योहार हो और बाजारों में भीड़ न हो ऐसा हो नहीं सकता, लेकिन इस बार स्थिति जुदा रही। तीज के त्योहारों पर जहां ब्यूटी पार्लर और मेहंदी लगाने वालों के यहां महिलाओं की खासी भीड़ रहती थी, वहीं इस बार सूना पड़ा है। हालांकि सैलून और ब्यूटी पार्लर के खुलने पर तो अभी प्रतिबंध लगा है। परंतु मेहंदी लगाने वाले भी इस बार मायूस रहे। कोरोना वायरस के चलते महिलाओं ने भी बाजारों में मेहंदी लगवाने से परहेज किया।

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