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पैजनिया में क्रांतिकारियों ने काटा था छह माह का अज्ञातवास

10 मई 1857 को देश की आजादी का बिगुल सबसे पहले मेरठ जिले से बजने के बाद धीरे-धीरे आसपास के जनपदों में भी जंग-ए-आजादी का बिगुल...

पैजनिया में क्रांतिकारियों ने काटा था छह माह का अज्ञातवास
हिन्दुस्तान टीम,बिजनौरSat, 09 May 2020 11:18 PM
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10 मई 1857 को देश की आजादी का बिगुल सबसे पहले मेरठ जिले से बजने के बाद धीरे-धीरे आसपास के जनपदों में भी जंग-ए-आजादी का बिगुल बजा।

जिला बिजनौर का भी योगदान स्वतंत्रता की लड़ाई में कम नहीं है। जनपद में कई वीर सेनानियों ने स्वयं आजादी की जंग में हिस्सा ही नहीं लिया बल्कि यहां पैजनियां की धरती भी आजादी के कई दीवानों की पनाहगाह बनी थी। काकोरी कांड के बाद क्रांतिकारियों ने पैजनियां गांव में छह माह से अधिक समय का अज्ञातवास काटा था। महात्मा विदुर की तपोभूमि जनपद बिजनौर का नाम देश के इतिहास में खास पहचान रखता है। जनपद मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर बिजनौर-मुरादाबाद हाईवे पर गांव पैजनिया स्थित है। इस गांव का देश के इतिहास से भी गहरा नाता रहा है। गांव के विख्यात समाजसेवी चौधरी गंगासहाय, जो गणेश शंकर विद्यार्थी के करीबी माने जाते थे। यहां के शिव चरण सिंह का जन्म हुआ था, जिनकी स्वाधीनता की लड़ाई में सक्रिय भूमिका रही थी। क्रांतिकारी विचारधाराओं से प्रभावित होकर वह भी क्रांतिकारी गतिविधियों में क्रांतिकारियों से जुड़े रहे और उनकी मदद की। चौ. गंगासहाय के पौत्र सुनील कुमार ने बताया कि 9 अगस्त 1925 को काकोरी कांड के बाद क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह, अवनी कांत मुखर्जी और अफ्ता राव सहित अन्य क्रांतिकारियों ने गांव पैजनिया में शरण ली थी। उक्त क्रांतिकारियों ने गांव पैजनिया को अपने लिए सुरक्षित समझा और गांव में करीब 6 से सात माह तक बिताएं थे।इसके बाद उक्त क्रांतिकारी वहां से चले गए जिनमें अफ्ता राव पुलिस के हाथ नहीं लग सके परंतु अशफाक उल्ला खान, ठाकुर रोशन सिंह, राजेंद्र लाहड़ी, रविकांत मुखर्जी व रामप्रसाद बिस्मिल को पुलिस ने पकड़ लिया और अलग-अलग जेलों में रखा गया। बाद में 1927 में फांसी दे दी गई। मा. सुनील कुमार ने बताया कि उनके ताऊजी व विख्यात समाजसेवी शिव चरण सिंह क्रांतिकारियों से जुड़े रहे और स्वाधीनता की लड़ाई में अपना योगदान दिया। उन्होंने बताया कि स्वाधीनता के बाद सत्ता मोह से दूर शिवचरण सिंह ने शासन की ओर से कोई भी अनुग्रह राशि, पेंशन आदि लेने से भी इनकार कर दिया था।19 दिसंबर को लोग क्रांतिकारियों की याद में उक्त स्मारक पर दीपदान करते हैंक्रांतिकारियों की याद में गांव पैजनिया में उत्तर की ओर एक क्रांति स्मारक बना हुआ है। जो अब उपेक्षा का शिकार हो रहा है । मा. सुनील कुमार ने बताया प्रतिवर्ष 19 दिसंबर को स्थानीय लोग क्रांतिकारियों की याद में उक्त स्मारक पर रात में दीपदान करते हैं। मगर उक्त स्थान उपेक्षा का शिकार हो रहा है। शासन -प्रशासन स्तर से स्मारक कोई खास ध्यान नहीं दिया जाता। उन्होंने इसकी नियमित साफ-सफाई व सौन्दर्यकरण कराये जाने की मांग की है।शीघ्र होगी स्मारक की सफाई गांव पैजनिया ग्राम प्रधान पति देवेन्द्र त्यागी ने बताया कि उक्त क्रांति स्मारक की शीघ्र ही साफ-सफाई करा दी जाएगी।

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