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खत्म करो इंतजार: कब जलेगी एक दशक से बंद पड़ी शहर की ट्रैफिक की बत्ती?

शहर में एकमात्र स्थान मुख्य चौराहे शास्त्री चौक पर लगी ट्रेफिक सिगनल लाइटें बीते एक दशक से ज्यादा समय से ठप पड़ी हैं। शहर का सबसे व्यस्त चौराहा...

खत्म करो इंतजार: कब जलेगी एक दशक से बंद पड़ी शहर की ट्रैफिक की बत्ती?
हिन्दुस्तान टीम,बिजनौरFri, 23 Jul 2021 10:00 PM
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शहर में एकमात्र स्थान मुख्य चौराहे शास्त्री चौक पर लगी ट्रेफिक सिगनल लाइटें बीते एक दशक से ज्यादा समय से ठप पड़ी हैं। शहर का सबसे व्यस्त चौराहा होने और लगने वाले जाम के मद्देनजर ये सिगनल लाइटें वर्ष 2010 में लगवाई गयी थी। पालिका की ओर से ये ट्रेफिक लाइट लगवाकर पुलिस विभाग के सुपुर्द कर दी थी। आगे देखरेख की जिम्मेदारी पुलिस की ही थी, लेकिन कुछ दिन ही चलने के बाद से ये ठप पड़ी हैं।

शास्त्री चौक बिजनौर शहर का मुख्य चौराहा है। इस चौराहे पर एक नगीना, मुरादाबाद, धामपुर, चांदपुर, नजीबाबाद आदि से आने वाले यात्री वाहनों का लोड रहता है तो शहरवासियों तथा स्कूली बच्चों के आवागमन में भी यह चौराहा अहम है। यहां पर ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए कई यातायातकर्मियों की ड्यूटी रहती है। यूं तो बिजनौर शहर में कहीं ओर ट्रेफिक सिगनल लाइटें नहीं हैं, लेकिन क्षेत्रवासियों के अनुसार जनता की सहूलियत के लिए वर्ष 2010 में करीब 10 लाख की लागत से नगरपालिका ने शास्त्री चौक पर ट्रेफिक लाइट लगवाकर पुलिस विभाग के सुपुर्द कर दी थी। इनकी देखरेख अब पुलिस की ही जिम्मेदारी थी। कुछ दिन तो ये ट्रेफिक लाइटें चलीं, लेकिन फिर ठप हो गयी। सूत्रों के अनुसार उस समय अगर ध्यान दिया जाता तो यह कम खर्च में ही ठीक हो जाती, लेकिन आज इन्हें ठीक कराने में ही उस समय इनकी कुल लागत से भी अधिक करीब 11 लाख रुपये खर्च होने हैं। यूं तो यह पुलिस विभाग की ही ठीक कराने की जिम्मेदारी है, लेकिन अगर नगरपालिका कराने को राजी भी हो जाए तो पालिका पर भी बजट का अभाव है। लोगों का कहना है, कि ट्रेफिक लाइट इस चौराहे की जरूरत है और बीते 11 सालों से ठप पड़ी इन ट्रेफिक लाइटों के ठीक होने की लोगों की अब तो आस भी दम तोड़ने लगी है।

वर्ष 2010 में नगरपालिका ने यह ट्रेफिक लाइटें लगवाने के बाद पुलिस के सुपुर्द कर दी थी। आगे इनकी देखरेख भी पुलिस को ही करनी थी।

रुखसाना परवीन

चेयरपर्सन, नगरपालिका परिषद बिजनौर

खराब पड़ी टे्रफिक सिगनल लाइटों के बारे में जानकारी की जाएगी। पुलिस के स्तर से क्या हो सकता है, यह देखेंगे। इसके अलावा इस विषय में सहयोग के लिए नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी को भी लिखा जाएगा।

डा. धर्मवीर सिंह, पुलिस अधीक्षक, बिजनौर

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