पागल कुत्ते ने दो बच्चों को काटा, गंभीर घायल
शहर के व्यस्त मोइन के चौराहे पर एक पागल कुत्ते ने दो बच्चों को गंभीर घायल कर दिया। दोनों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पागल कुत्ता पहले एक बच्ची और फिर एक लड़के...
शहर के व्यस्त मोइन के चौराहे पर एक खूंखार पागल कुत्ते ने दो बच्चों को काटकर गंभीर घायल कर दिया, जबकि कईं अन्य ने भागकर जान बचाई। दोनों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सोमवार की दोपहर करीब 12 बजे मोहल्ला चाहशीरी में बुल्ला के चौराहे के समीप रहने वाले अकरम की 5 वर्षीय बेटी इनायत पास के ही एक होटल से कुछ खाने-पीने का सामान लेने गई थी। इसी दौरान उस पर एक पागल कुत्ते ने हमला कर दिया। कुत्ते ने हमलाकर बच्ची का सिर भी फाड़ डाला और मुंह भी भंभोड़कर जख्मी कर दिया। लोगों ने बच्ची को बामुश्किल छुड़ाकर कुत्ते को भगाया। कुत्ता कुछ अन्य के पीछे भी दौड़ा, जिन्होंने भागकर अपनी जान बचाई। इसी दौरान मोइन के चौराहे के समीप तालिब की टाल के पास रहने वाले महमूद का 8 वर्षीय पुत्र मोबीन घर की सीढ़ियां उतरकर किसी काम से सड़क पर पहुंचा ही था, कि पागल कुत्ते ने उसके भी मुंह पर हमला कर दिया। लोगों के दौड़ने पर कुत्ता मोबीन को छोड़कर भाग निकला। दोनों बच्चों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। लोगों में पागल कुत्त्ते को लेकर दहशत व्याप्त है।
यहीं पर बच्चे को खींचकर खूंखार कुत्तों ने किया था मरणासन्न
13 मई 2015 को इसी इलाके से सटे हुए मछली बाजार में मीट-मछली के अवशेष खाकर खूंखार हो रहे कुत्ते घर के बाहर खेल रहे एक चार साल के बच्चे आलीशान पुत्र मोबीन को खींचकर सामने दीवान वाले जोहड़े में ले गए थे। छत से यह देखकर बच्चे की मां चिल्लाई तो पड़ोसियों ने भागकर एक ट्रक के पीछे बच्चे को भंभोड़ रहे कुत्तों को बामुश्किल भगाकर छुड़ाया, लेकिन इस दौरान कुत्ते शरीर का मांस कईं जगह से नोंचने के अलावा उसके सिर का हिस्सा भी चबा चुके थे। जिला अस्पताल में बच्चे का इलाज भी नहीं हो पाया था और मेरठ जाकर बामुश्किल बच्चे की जान बची थी।
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कईं की जान भी ले चुके हैं खूंखार कुत्ते
- 27 जून 2019 को मुकीमपुर धर्मसी उर्फ खेड़ा निवासी शाहिद को आवारा कुत्तों ने हमला कर मौत के घाट उतार दिया था।
- 30 मई 2019 को इसी गांव की वृद्धा संतोष की मृत्यु कुत्तों के हमले से घायल होने के बाद उपचार के दौरान हो गयी थी।
- 6 मई 2019 को आवारा खूंखार कुत्तों के झुंड ने हमला कर मुकीमपुर धर्मसी उर्फ खेड़ा निवासी वृद्ध राधेश्याम की जान ली थी।
- 28 जून 2018 को हिंसक कुत्तों ने स्योहारा के मोहल्ला शेखान में तीन बच्चों को हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था। इनमें से छह वर्षीय सिमरा पुत्री अजहर की मौत हो गयी थी।
- नजीबाबाद के जलालाबाद में 12 वर्षीय मोहम्मद कैफ पुत्र फारुख को कईं वर्ष पूर्व खूंखार कुत्तों ने नोंच-नोंचकर मार डाला था।
- नहटौर में चार वर्ष पूर्व मौहल्ला ईदगाह में दो साल के बच्चे को आवारा कुत्तों ने नोंचकर मौत के घाट उतार दिया था।
- ग्राम सादिकाबाद में एक बालिका रानी को स्कूल जाने वक्त कुत्तों ने काटकर घायल कर दिया था, जिसकी उपचार के दौरान मौत हो गई थी।
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कुत्ते के हमले में घायल हुए थे दो इंस्पेक्टर
नजीबाबाद प्रभारी निरीक्षक रहे राधेश्याम व हीमपुदीपा में तैनात रहे इंस्पेक्टर अजीज रोरिया पर भी कुत्तों ने हमला कर दिया था। प्रभारी निरीक्षक राधेश्याम को कुत्ते ने बुरी तरह जख्मी कर दिया था। जिसके चलते उनको अपने हाथ की सर्जरी करानी पड़ी थी। कई घंटों तक उनके हाथ की सर्जरी की गई थी।
औसतन छह हजार को लगते हैं हर माह टीके
कुत्ते के काटने के शिकार होने वालों की संख्या का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि जिला अस्पताल व पीएचसी-सीएचसी को मिलाकर प्रति माह करीब छह हजार लोगों को एंटी रैबीज वैक्सीन के टीके लगते हैं। निजी चिकित्सकों के यहां लगने वाले टीकों को भी जोड़ लें तो यह संख्या कहीं ज्यादा बैठती है।
गर्मी में भी होता है कुत्तों का व्यवहार परिवर्तन
सेवानिवृत्त मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. भूपेन्द्र सिंह बताते हैं, कि मीट-मांस खाने वाले कुत्तों का स्वभाव तो बदलता ही है। गर्मी में भी कुत्तों का व्यवहार परिवर्तन सामने आता है। इसके पीछे कारण है, कि कुत्ते को पसीना नहीं आता है। मनुष्यों को पसीना आने से तापमान से बैलेन्स बन जाता है, लेकिन कुत्तों में ऐसा नहीं होता। कुत्ता सिर्फ गर्मी में हांफकर जीभ बाहर निकाल सकता है। ऐसे में कुत्तों में व्यवहार परिवर्तन सामने आता है।
निकायों के निपटने के कोई इंतजाम नहीं
नगर निकायों की ओर से कुत्तों से निपटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गयी है । सभी नगरीय क्षेत्रों में कुत्तों के हमलों की खबरें आती रहती है। बिजनौर नगरपालिका स्तर पर डा. संध्या रस्तोगी के एनजीओ के सहयोग से कुत्तों के बंध्याकरण का कार्य जरूर किया जाता रहा है, लेकिन इसकी भी अपनी सीमाएं रहती हैं।
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