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अब कौतुहल का विषय बनी पानी में तैरती 16 किलो की शिला

गुरुवार शाम को गंगा बैराज पर जिस प्रकार का लगभग 8-9 किलो वजन का गंगा में तैरता हुआ पत्थर लोगों के कौतूहल का विषय बन गया था, वैसा ही करीब 16 किलो वजन का एक चौकोर शिलानुमा पत्थर एक व्यक्ति द्वारा गंज...

अब कौतुहल का विषय बनी पानी में तैरती 16 किलो की शिला
हिन्दुस्तान टीम,बिजनौरSun, 23 Sep 2018 10:07 PM
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गुरुवार शाम को गंगा बैराज पर जिस प्रकार का लगभग 8-9 किलो वजन का गंगा में तैरता हुआ पत्थर लोगों के कौतूहल का विषय बन गया था, वैसा ही करीब 16 किलो वजन का एक चौकोर शिलानुमा पत्थर एक व्यक्ति द्वारा गंज में दिखने के बाद भीड़ लग गई। एक जानकार द्वारा शिला के बारे में जानकारी देने के बाद हकीकत जानकर भीड़ घरों को लौट गई।

गुरुवार शाम को एक लगभग 9 किलो का पत्थर गंगा में तैरता दिखाई दिया था। इसी की तरह का इससे भी कहीं बड़ा एक शिलानुमा पत्थर गत मंगलवार की शाम को गंज निवासी एक व्यक्ति गंगा के क्षेत्र से अपने घर ले आया था। उसे ऐसे पत्थर गंज के सामने पड़े दिखाई दिए, जो कहीं से बहकर आए थे। उनमें से लगभग 16 किलो वजन के 2 फीट लंबे 1 फीट चौड़े तथा करीब 6 इंच मोटाई के पत्थर को कमल अपने कंधे पर रखकर घर ले आया। इस दौरान पत्थर को लेकर जब कमल गंगा नदी को पार कर रहा था तो वह पत्थर गंगा में डूबा नहीं। अखबारों में खबर पढ़ने के बाद कमल ने अपने पास रखे पत्थर को ग्रामीणों को दिखाया। यह ईंट के आकार का है, जिस पर अंग्रेजी के अक्षरों में कंपनी की फर्म का नाम छपा है, जिस कंपनी में इस प्रकार की ईंट बनती है।

एक कंपनी में बनाई जाती हैं ऐसी शिलाएं

कौतुहलवश यहां पहुंचे गंज निवासी मनीष कुमार ने बताया कि पुणे महाराष्ट्र के चिंचवड़ में इसी के आकार की शिलाएं बनाई जाती हैं जो कश्मीर के श्रीनगर सहित अन्य पहाड़ी क्षेत्र में भेजी जाती हैं और मकान आदि बनाए जाते हैं। हल्की और बड़ी होने के कारण इन्हें आसानी से ट्रकों से ऊंचाई पर ले जाया जाता है। यह पानी में डूबती नहीं हैं। गंज निवासी विकास अग्रवाल का कहना है कि गंज में जो तैरती हुई शिलानुमा र्इंट है उनमें इस प्रकार की सामग्री का प्रयोग किया जाता है, जिसके कण बहुत हल्के होते हैं तथा इस प्रकार की ईंटों को सीएलसी ब्लॉक कहा जाता है। गंज निवासी कौशल अग्रवाल का कहना है कि यह सही है, कि रामसेतु में ऐसे तैरने वाले पत्थर होते हैं, लेकिन इस तरह की ईटें कंपनी में भी बनाई जा रही हैं।

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