कही इस बार भी मालन नदी की उग्र लहरे सब्जी की फसले ओर आशियाने लील ना ले यह सोचकर ही मालन के तट पर आसपास खेती करने वाले और रहने वाले लोगों की रूह कांप उठती है, लेकिन क्षेत्र के लोगों को बरसात का पूरा मौसम यूं ही झेलना पड़ेगा।
कारण तटबंध निर्माण कार्य रोक दिया गया है। अब बरसात के बाद ही तटबंध निर्माण किया जायेगा। मालन नदी पर करीब साढ़े तीन करोड़ की लागत से 2200 मीटर पर तटबंध निर्माण का कार्य अब बरसात की वजह से रोक दिया गया है। पहले ही देर से शुरु हुआ तटबंध निर्माण बिल्कुल रोक दिए जाने से मौहल्ला पाईबाग के एक भाग में आशियाने बना लेने वाले और कछियाना बस्ती व सापुर के लोग मालन नदी द्वारा पहले मचाई गई तबाही के बारे में सोचकर ही कांप उठते हैं।
विशेषकर गांव खैरुल्लापुर के लोगों में ज्यादा दहशत है जहां तटबंध का कार्य अभी शुरु भी नहीं हुआ है। मालन के तटीय क्षेत्रों में 2200 मीटर में बनने वाला तटबंध का कार्य मात्र 1200 मीटर तक पहुंचकर ही बरसात की वजह से सिमट गया है।
मलखान सिंह, बिमला, टीकम सिंह, बालकराम व मंजु आदि मौहल्ला पाईबाग और कछियाना बस्ती के लोगों का कहना है कि रात के समय जराेसी आहट से भी उनके दिलों की धड़कनें बढ़ जाती हैं कि कही मालन का पानी तबाही मचाने के लिए ना आ गया हो। परक्यूूपाइन लगाकर उनमें कटीले झाड़-आदि भरकर किए जा रहे तटबंध से भी क्षेत्र के लोग संतुष्ट नहीं है। भरोसेमंद नहीं परक्यूपाइन से तटबंध निमार्ण अभी पहली ही बरसात में नदी में तटबंध निमार्ण के लिए लगाए गए परक्यूपाइन बह जाने से लोगों का विश्वास मालन पर बनाए जा रहे इस तटबंध से उठ गया है।
लोगों का कहना है कि पहाड़ो की बारिश से उफनती मालन नदी की लहरों का सामना यह परक्यूपाइन नहीं कर पाएंगे और क्षेत्रवासियों पर फिर भी मालन का खतरा मंडराता रहेगा। सभासद विद्यावती और मालन के खतरे से शासन को लगातार शिकायत कर जगाने वाले उज्जवल सैनी का भी कहना है कि मालन नदी पर पत्थरों का तटबंध बनाया जाना चाहिए था। जिससे मालन के कहर से क्षेत्र को पूर्ण भरोसेमंद सुरक्षा मिल सकती थी।
कोरोना महामारी का प्रकोप फैलने की वजह से काम देर से शुरु हुआ। जो कार्य अप्रैल में शुरु होना था वह आठ मई से शुरु हुआ। जिससे बरसात से पूर्व कार्य पूरा करने का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। बरसात की वजह से रुका हुआ कार्य बरसात बाद शुरु करवाया जायेगा।-- जोगेंद्र सिंह, जेई, सिचाई विभाग, धामपुर