कभी फुरसत हो तो गणपति निर्धन के घर भी आ जाना, जो रूखा-सूखा भोजन है आकर के भोग लगा जाना...हे गौरा के लाल मेरी सुनिए, तेरा भक्त खड़ा तेरे द्वार है, कई जन्मों से बप्पा मैं भटका, तेरे चरणों में मेरा संसार है..., सदा भवानी दायिनी सन्मुख रहे गणेश, पांच देव रक्षा करें ब्रह्मा विष्णु महेश..., जैसे भक्तिपूर्ण भावों से विभोर कर देने के साथ भगवान श्री गणेश की घरों और मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सांतवे दिन भी विधि-विधान से पूजा अर्चना की गई।
रविवार को मोहल्ला दरबाराशाह स्थित श्री सिद्धि विनायक मंदिर में पंडित संजय डबराल ने पूजा अर्चना के साथ मातृ-पितृ भक्ति का जीवन में महत्तव का संदेश किस प्रकार भगवान गणपति ने अपनी बुद्धिमता से अपने भक्तों को दिया। उन्होंने बताया कि भगवान शिव ने श्री गणेश और उनके भाई कार्तिकेय के बीच प्रतियोगिता रखते हुए कहा कि जो पृथ्वी की परिक्रमा करके पहले मेरे और अपनी माता के समक्ष पहुंचेगा वह हमारी कृपा का पात्र बनेगा। तुरंत ही कार्तिकेय ने अपने वाहन मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा करनी प्रारंभ कर दी। जबकि भगवान गणेश अपने वाहन मूषक पर सवार होकर भगवान शिव और मां गौरा की सात परिक्रमा कर उनके समक्ष तुरंत पहुंच गए। पूछने पर श्री गणेश ने जवाब दिया कि उनके लिए संसार और तीनों लोक उनके माता पिता ही हैं।
इस प्रकार श्री गणेश ने ना सिर्फ अपनी बुद्धिमता का परिचय दिय बल्कि अपने भक्तों को जीवन में माता-पिता के जीवन मे महत्तव का भी संदेश दिया। उनकी इस बुद्धिमत्ता से प्रसन्न होकर मां पार्वती और भगवान शिव ने उन्हे बुद्धिदाता के ष्प में पुजे जाने का वरदान दिया। तबभी से भगवान श्री गणेश बुद्धि के देवता कहलाए। गणेश चौथ महोत्सव समिति के अध्यक्ष दिनेश वर्मा, डॉ.राहुल अरोड़ा, रविंद्र चौहान, विनय कौशिक, डॉ.राजीव अरोड़ा, डॉ.शालिनी अरोड़ा, अर्चना, स्तुति, अनन्या, कृष्णा देवस्य अरोड़ा, अरुण पाटिल, डॉ.एसके जौहर, आलोक अग्रवाल, कल्पेंद्र वर्मा, संदीप तायल व लोकश अग्रवाल आदि श्रद्धालु रहे। मोहल्ला मकबरा में पंडित मनोज डबराल ने भगवान गणेश की विधिवत पूजा करवाई।