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पेड़ नहीं मिले तो बिजली के तारों पर बना लिए बया पक्षी ने घोंसले

बारिश के पूर्वानुमान की सटीक जानकारी रखने वाला बया पक्षी का घोंसला कारीगरी का अद्भुत नमूना है। इस कारण इस पक्षी को वीवर बर्ड व आधुनिक विश्वकर्मा भी कहते...

पेड़ नहीं मिले तो बिजली के तारों पर बना लिए बया पक्षी ने घोंसले
हिन्दुस्तान टीम,बिजनौरFri, 24 Jul 2020 10:03 PM
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बारिश के पूर्वानुमान की सटीक जानकारी रखने वाला बया पक्षी का घोंसला कारीगरी का अद्भुत नमूना है। इस कारण इस पक्षी को वीवर बर्ड व आधुनिक विश्वकर्मा भी कहते हैं। लेकिन विडंबना है कि जो पक्षी अभी तक पेड़ों की टहनियों पर अपना घोंसला बनाता था अब बिजली क तारों पर घोंसला बनाने को मजबूर हैं। शायद इसका कारण है बड़े वृक्षों की कमी।

बया पक्षी की इस अनोखी बुनने की योग्यता को देख कर सभी आश्चर्य में पड़ जाते हैं। बया पक्षी के लालटेन की तरह लटकते हुए घोसले सभी पर्यावरण प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। बया पक्षी गोरैया प्रजाति का पक्षी है जो आबादी से दूर अपने अंडे व बच्चों को पर भक्षियों से सुरक्षित रखने के लिए घोंसला बनाती है। बया पक्षी समूह में रहना पसंद करते है, इसलिए एक साथ दर्जनों घोंसले एक साथ देखे जा सकते हैं। बया पक्षी कंटीले पेड़ों, ऊंचे पेड़ों और तालाबों, झीलों के आसपास अपना घोंसला बनाते हैं, लेकिन इस बार इस पक्षी ने अपने घोंसले बिजली के तारों पर बना लिए हैं।

बया पक्षी झुंडों मे चुगते हैं और फ़सलों को भारी नुकसान पहुंचात है। इस कारण ये किसानों से शत्रुता मोल ले लेते हैं। नर बया पक्षी घोंसला का निर्माण करता है और मादा बया पक्षी को रिझाता है। मादा बया द्वारा घोंसले का निरीक्षण करने के बाद ही समागम लिए तैयार होती है, और कभी-कभी मादा बया को घोंसला न पसंद आने पर नर बया को दोबारा घोंसले का निमार्ण करना पड़ता है। बयां पक्षी को घोंसला बनाने मे 25 से 30 दिन लग जाते है। इसके लिए वह पांच सौ से आठ सौ बार तिनके लेने के लिये उड़ता है। तेज़ हवा, आंधी तूफान व बारिश में भी इन घोसलो पर कोई असर नही पड़ता।

एक बार घोंसले मे प्रजनन करने के बाद यह पक्षी अपना घोंसला छोड़ देता है और अगली बार दोबारा नया घोंसला बनाता है। वन एवं वन्यजीव विशेषज्ञ जयपाल सिंह चौहान का कहना है कि पेड़ो की कटाई व कीटनाशकों का प्रयोग होने के कारण बया पक्षी की प्रजाति तेजी के साथ विलुप्त होने के कगार पर है। इनके संरक्षण के लिये पेड़ों का कटान और कीटनाशकों के प्रयोग का रोक लगानी चाहिए। शायद यही वजह है कि इस बार इनके घोंसले बिजली के तारों पर नजर आ रहे हैं।

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