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जिला अस्पताल में नि:शुल्क डायलेसिस को भटक रहे हेपेटाइटिस पॉजिटिव गुर्दा रोगी

जिला अस्पताल में सामान्य गुर्दा रोगियों को तो नि:शुल्क डायलेसिस की सुविधा मिल रही है, लेकिन हेपेटाइटिस रोगियों को जिला अस्पताल में पिछले करीब 20...

जिला अस्पताल में नि:शुल्क डायलेसिस को भटक रहे हेपेटाइटिस पॉजिटिव गुर्दा रोगी
हिन्दुस्तान टीम,बिजनौरTue, 26 Oct 2021 10:00 PM
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जिला अस्पताल में सामान्य गुर्दा रोगियों को तो नि:शुल्क डायलेसिस की सुविधा मिल रही है, लेकिन हेपेटाइटिस रोगियों को जिला अस्पताल में पिछले करीब 20 दिन से नि:शुल्क डायलेसिस की सुविधा नहीं मिल पा रही। दो डायलेसिस की मशीनें खराब होने के चलते यह समस्या खड़ी हुई है। काफी संख्या में ऐसे रोगियों को निराश होकर निजी डाक्टरों के यहां महंगा डायलेसिस कराना पड़ रहा है।

नेशनल हेल्थ मिशन, यूपी सरकार के साथ योजना के तहत संयुक्त जिला चिकित्सालयों में नि:शुल्क डायलेसिस की सेवा उपलब्ध कराई जाती है। बिजनौर जिला अस्पताल में एसकैग संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड नि:शुल्क डायलेसिस सेवा उपलब्ध कराने का काम कर रही है। जिला अस्पताल सूत्रों के मुताबिक यहां डायलेसिस की छह मशीने हैं, लेकिन पिछले करीब 20 दिनों से इनमें से दो मशीने खराब पड़ी हैं। खराब मशीनों में से एक हेपेटाइटिस बी व सी पॉजिटिव रोगियों के डायलेसिस वाली भी मशीन है। इसके चलते रोजाना दो से तीन हेपटाइटिस के पाजिटिव रोगी बिना डायलेसिस कराए लौट रहे हैं। अधिकारियों के पास भी शिकायतें पहुंच रही है। समस्या यह है, कि सामथ्र्यवान तो बाहर निजी अस्पताल में डायलेसिस करा लेते हैं, लेकिन गरीब व मध्यम वर्ग के रोगियों के लिए यह बूते से बाहर रहता है।

निजी अस्पताल में एक बार डायलेसिस कराने के करीब दो हजार रुपये खर्च आता है और गुर्दा पीड़ित रोगियों को सप्ताह में दो से तीन बार तक डायलेसिस करानी पड़ती है। यहां पर तैनात सीनियर डायलेसिस टैक्नीशियन भूप सिंह ने स्वीकार किया, कि दो मशीनें खराब होने से दिक्कत आई है। लखनऊ से इन्हें ठीक करने के लिए इंजीनियर बुधवार को आ रहे हैं। भूप सिंह के अनुसार संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए हेपेटाइटिस पॉजिटिव रोगियों के लिए डायलेसिस मशीन सामान्य रोगियों से अलग रहती हैं। यहां ऐसी दो मशीनें हैं, जिनमें से एक पॉजिटिव रोगियों वाली मशीन अभी भी काम कर रही है। इसके बावजूद दूसरी मशीन खराब होने से काफी रोगियों को वापिस लौटाना पड़ रहा है। जो लोग जा सकते हैं, उन्हें वे अपनी ही बागपत यूनिट भी डायलेसिस के लिए रेफर कर देते हैं। जल्दी ही मशीन ठीक होने पर समस्या समाप्त हो जाएगी।

-यह सही है, कि हेपेटाइटिस पॉजिटिव वाले गुर्दा रोगी काफी संख्या में डायलेसिस मशीन खराब होने से लौट रहे हैं। निजी अस्पताल में डायलेसिस कराना महंगा पड़ता है। इस संबंध में यहां यह कार्य देख रही कंपनी के लोगों ने लखनऊ इंजीनियर से बात की है। जल्दी ही मशीन ठीक हो जाएगी।

डॉ. अरुण कुमार पांडेय, सीएमएस, जिला अस्पताल

बिजनौर

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