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कार्बेट नेशनल पार्क में गिद्द की मौजूदगी से कार्बेट प्रशासन उत्साहित

करीब एक दशक पहले गायब होकर विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके प्राकृतिक सफाईकर्मी के नाम से जाने जाने वाले अति दुर्लभ प्रजाति के गिद्ध रम्पैड वल्चर की कार्बेट नेशनल पार्क में मौजूदगी से कार्बेट प्रशासन...

कार्बेट नेशनल पार्क में गिद्द की मौजूदगी से कार्बेट प्रशासन उत्साहित
हिन्दुस्तान टीम,बिजनौरWed, 07 Mar 2018 10:09 PM
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करीब एक दशक पहले गायब होकर विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके प्राकृतिक सफाईकर्मी के नाम से जाने जाने वाले अति दुर्लभ प्रजाति के गिद्ध रम्पैड वल्चर की कार्बेट नेशनल पार्क में मौजूदगी से कार्बेट प्रशासन बेहद उत्साहित है।

करीब एक दशक पहले पार्क के जंगलों से पूरी तरह गायब हो चुका दुर्लभ प्रजाति का गिद्ध रम्पैड वल्चर पार्क के भीतर नजर आने लगा है। मंगलवार को पार्क की ढेला रेंज के जंगल में दुर्लभ गिद्ध को कैमरे में कैद किया गया। पार्क प्रशासन द्वारा जंगलों में गिद्धों की मौजूदगी को पर्यावरण संतुलन की दिशा में शुभ संकेत करार दिया जा रहा है।

वन्यजीव विशेषज्ञ दीप रजवार द्वारा पार्क प्रशासन को गिद्धों की मौजूदगी की जानकारी दिये जाने से पार्क के अधिकारी बेहद उत्साहित हैं। पार्क के वार्डन शिवराज चंद्र ने गिद्धों की मौजूदगी की पुष्टि करते हुये रम्पैड वल्चर की पार्क में वापसी को बेहद सुखद करार देते हुए कहा कि गिद्धों की कुल नौ प्रजातियां हैं। तथा यह प्रजाति सबसे पुरानी मानी जाती है। इसका यूरोपियन ग्रिफन गिद्ध से गहरा संबंध माना जाता है। उन्होंने कहा कि वनकर्मियों टीम गिद्धों की मौजूदगी वाले क्षेत्र में भेजकर यहां मौजूद गिद्धों की संख्या का आंकलन कर गिद्धों की सुरक्षा तथा सरंक्षण की दिशा में सकारात्मक प्रयास शुरू किए जाएंगे। इसके अलावा कहा कि गिद्धों का संरक्षण करने के लिए समूचे देश में प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गिद्ध मुख्य रूप से मृत पशुओं का मांस खाते है। पहले दुधारू पशुओं के डाइक्लोफिनेक नाम का इंजेक्शन लगाया जाता था तथा मौत के बाद उसको जंगलों में खुले स्थान पर फेंक दिया जाता था। मृत दुधारू पशुओं का मांस खाने से इंजेक्शन में प्रयुक्त दवाई का अंश गिद्ध के शरीर में पहुंच जाता था तथा उनकी मौत हो जाती थी। इसके चलते गिद्ध लगातार विलुप्त कगार पर पहुंच गयी थी। यह दवा अब सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दी गयी है।

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