कोरम पूरा नहीं होने के कारण जीत के बाद भी फिलहाल शपथ नहीं ले पाएंगे 64 पंचायतों के नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का शोर थम चुका है। नवनिर्वाचित प्रधानों ने गांव के विकास का एजेंडा भी तैयार कर लिया होगा, लेकिन जीत के बाद भी नूरपुर विकास...
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का शोर थम चुका है। नवनिर्वाचित प्रधानों ने गांव के विकास का एजेंडा भी तैयार कर लिया होगा, लेकिन जीत के बाद भी नूरपुर विकास खण्ड की 112 पंचायतों में से 64 नवनिर्वाचित प्रधान पंचायत सदस्यों का कोरम पूरा न होने के कारण शपथ ग्रहण नहीं कर पाएंगे। इसके चलते कोरम पूरा होने तक वह पंचायत निधि से गांव में विकास कार्य नहीं करा सकेंगे। नूरपुर ब्लॉक में इतनी बड़ी संख्या में पहली बार नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान कोरम पूरा नहीं होने के चलते शपथ नहीं ले सकेंगे।
एक महीने के चुनावी शोर के बाद गांवों की जनता ने अपनी-अपनी सरकार चुन ली है। हालांकि चुने गए नवनिर्वाचित प्रधान शपथ ग्रहण नहीं होने के कारण अपने विकास के एजेंडे को अमल में नहीं ला सकेंगे। शासन द्वारा फिलहाल नवनिर्वाचित प्रधानों के शपथ ग्रहण के लिए अभी तारीखों का एलान नहीं किया है। लेकिन नूरपुर ब्लॉक में निर्वाचन के बाद भी पंचायत सदस्यों का कोरम पूरा नहीं होने के कारण 64 ग्राम प्रधान शपथ नहीं ले सकेंगे। इन पंचायतों के प्रधानों को उपचुनाव के बाद सदस्यों का कोरम पूरा होने का इंतज़ार करना होगा। चुनाव के समय ही ग्रामीणों ने पंचायत सदस्य के नामांकन के लिए कम रुचि दिखाई थी। जिसका खामियाजा नवनिर्वाचित प्रधानों को शपथ ग्रहण में देरी के साथ भुगतना होगा।
इतना ही नही ब्लॉक की 12 पंचायतें ऐसी भी हैं, जहां एक भी पंचायत सदस्य नही चुना गया हैं। एडीओ पंचायत सतपाल सिंह का कहना है कि कोरम पूरा नही होने वाली पंचायतों के प्रधानों को कोरम पूरा होने का इंतज़ार करना होगा। तब तक वहां की विकास की व्यवस्था प्रशासकों के जिम्मे ही रहेगी। कोरम पूरा होने के बाद ही वहां के प्रधान विधिवत कार्यभार संभाल सकेंगे।
क्या होता है कोरम
पंचायत नियमावली के अनुसार किसी भी पंचायत में बैठक की कार्रवाई के लिए दो तिहाई कोरम पूरा होना आवश्यक है। अगर बैठक का दो तिहाई सदस्यों का कोरम पूरा नहीं है, तो बैठक सफल नहीं मानी जाएगी और कोई भी प्रस्ताव पास नहीं हो सकता।
करना होगा उपचुनाव का इंतज़ार
पंचायतों में कोरम पूरा करने तथा प्रधानों को शपथ लेने के लिए अब उपचुनाव का इंतज़ार करना होगा, लेकिन हाल के कोरोना संक्रमण को देखते हुए फिलहाल उपचुनाव की संभावना कम ही दिखाई दे रही है।
यूं कम हो गई सदस्य बनने में रुचि
पूर्व की व्यवस्था में किसी कारण से प्रधान के पद मुक्त होने पर उप प्रधान की कार्यवाहक प्रधान बना दिया जाता था, लेकिन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रणाली लागू होने के बाद उप प्रधान का पद समाप्त होने से ग्रामीणों में पंचायत सदस्य पद के लिए रुचि कम होती चली गई। इसके चलते ग्रामीण इसके नामांकन में रुचि नहीं लेते।
एक दर्जन पंचायतों में नहीं एक भी सदस्य
ब्लॉक की दर्जन पंचायतों में किसी ने भी सदस्य बनने में रुचि नहीं दिखाई। इसके चलते इन पंचायतों में सदस्यों के सभी पद खाली रह गए। इन पंचायतों में अब्दुल्लापुर दहाना, चेलापुर, फैजपुर, बेर, लोदीपुर मिलक, मोर मखदूमपुर, शाहदपुर गुलाल, गाजीपुर, मदारीपुर ककराला, बमनोला, नैनू नांगल और युसुफ़ा शामिल हैं।
इन पंचायतों के प्रधान नही ले सकेंगे शपथ
आजमपुर, चेहली, बूचा नांगल, धूंधली, जाफराबाद कुरई, लिंडरपुर, गोयली, किरतपुर, मीरापुर, पाहुली, अब्दुल्लापुर दहाना, मुबारकपुर नवादा, चेलापुर, गोहावर हल्लू, हसनपुर बिल्लोच, कासमपुर बिल्लोच, पूरनपुर नंगला, फैजपुर, हसुपुरा, बेर, लोदीपुर मिलक, मोर मखदूमपुर, मंझोला बिल्लोच, पुरैनी दुर्बेशपुर, सेला, सेह, बलदाना शफीपुर, ढेला अहीर, दरियापुर, अफजलपुर बलदानी, शाहदपुर गुलाल, चेहला, गाजीपुर, मदारीपुर ककराला, महदूद नशो, नायक नंगला, पनियाला, सदनपुर, गुनियाखेड़ी, बमनोला, खासपुरा, महमदाबाद, पैजनिया, उमरी बड़ी, फतेहाबाद, मंडोरा, कमालुद्दीनपुर उर्फ पंहेड़ी, रामोरूपपुर, जाफर हुसैनपुर, जुझेला, मुराहट, नैनू नांगल, सेमला, शिवाला कला, आराजी भैंसा, युसुफ़ा, बीरबलपुर, कंहेड़ी, ताजपुर, रतनगढ़, औरंगाबाद, मंझोला गुर्जर, रामपुर रसूलपुर, सिंघा।