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...भुलाये से नहीं भूले, वो ऐसा काम कर जाते

योग दिवस पर काव्य मंच के तत्वावधान में एक शाम बिजनौरी कवियों के नाम प्रथम ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया...

...भुलाये से नहीं भूले, वो ऐसा काम कर जाते
हिन्दुस्तान टीम,बिजनौरMon, 22 Jun 2020 06:06 PM
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योग दिवस पर काव्य मंच के तत्वावधान में एक शाम बिजनौरी कवियों के नाम प्रथम ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। साहू अखिलेश जैन प्रबंध न्यासी भारतीय ज्ञानपीठ दिल्ली ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कवि प्रदीप डेजी नजीबाबाद ने कहा-गांवों में शहर नहीं बसते, बसते हैं मन के मतवाले। कवि नरेन्द्र सिंह नीहार ने अपनी कविता कुछ इस तरह से पढ़ी वतन पर जान देकर जो, धरा को धाम कर जाते। भुलाये से नहीं भूले, वो ऐसा काम कर जाते कवि प्रमोद कुमार प्रेम हल्दौर ने कहा- हो गया अधीर मन तब फिर एक बाप का। याद जब आया उसे तिरस्कार औलाद। बस गया जाकर शहर, छोड़ घर मां-बाप को। कवि कुमार शिवेन्द्र ने कहा- पांचजन्य की गूंज से जब, सारा अम्बर था डोल गया।

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