Disaster Management Failure Bijnor s Riverbank Crisis Threatens Villages बोले बिजनौर : विफलता : मात्र 300 मीटर का बंधा, 40 घंटे काम के बाद भी नतीजा सिफर, Bijnor Hindi News - Hindustan
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बोले बिजनौर : विफलता : मात्र 300 मीटर का बंधा, 40 घंटे काम के बाद भी नतीजा सिफर

Bijnor News - बिजनौर में गंगा के किनारे रावली तटबंध के टूटने का खतरा है। प्रशासनिक टीम ने 40 घंटे से अधिक समय तक बिना उचित योजना के काम किया, जिससे नुकसान हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि अगर पहले से तैयारी की जाती तो...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिजनौरMon, 15 Sep 2025 12:52 AM
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बोले बिजनौर : विफलता :  मात्र 300 मीटर का बंधा, 40 घंटे काम के बाद भी नतीजा सिफर

जब प्रकृति का कहर टूटता है, तब आपदा प्रबंधन की कसौटी होती है। बिजनौर में गंगा किनारे रावली तटबंध पर टूटने का खतरा मंडरा रहा है और प्रशासिक टीम के साथ जनता भी सुरक्षा इंतजामों में जुटी थी। आसपास के ग्रामीणों की मानें तो बिना किसी उचित योजना या सामग्री के, प्रशासन करीब 40 घंटे से बंधा टूटने के प्रयास लगा रहा लेकिन परिणाम निकला सिफर। बेरतरकीब तरीके से पेड़ काटकर डाले जा रहे थे जबकि वहीं पास में चल रहे हाईवे निर्माण को पड़े बड़े बड़े गार्डर ही वहां डलवा दिए जाते तो शायद इतना नुकसान न होता। इसके अलावा पूरे देश को स्टोन सप्लाई करने वाला बिजनौर बंधा कटान के समय पत्थर को तरस रहा था।

अगर प्रशासन की योजना मजबूत रही होती तो जनपद के करीब 40 स्टोन क्रेशरों से दस दस डंपर वहां लाकर डाले जाते और एक नया बंधा तैयार हो जाता। लेकिन हड़बड़ी और अवैज्ञानिक तरीके ने न सिर्फ पर्यावरणीय संतुलन को नुकसान पहुंचाया, बल्कि एक त्रासदी को जन्म दे दिया। क्षेत्र के ग्रामीणों की मानें तो रावली तटबंध को रिसाव तक पहुंचाने के जिम्मेदारी कहीं न कहीं सिंचाई विभाग और प्रशासनिक अधिकारी हैं। सिंचाई विभाग के अधिकारी जहां तटबंध की कमजोरी तक नहीं खोज पाए, वहीं प्रशासनिक अफसरों के निरीक्षण की कमी भी सोमवार को साफ दिखाई दे रही थी। उनके हवाई दौरों का ही परिणाम है कि समय पर तटबंध की मरम्मत नहीं हो सकी। तटबंध के कटाव होने पर अधिकारी बंदे पर खाली हाथ बिना संसाधन के बैठे रहे। न तो स्टोन और न ही सॉइल बैंक मौजूद था। पत्थर और मिट्टी आने का इंतजार करते रहे। 48 घंटे हाथ में होने के बाद अफसर तटबंध को नहीं बचा पाए। अफसर अगर गम्भीर होते तो पत्थर और मिट्टी पहले से मौजूद होनी चाहिए थी। तटबंध कटता रहा और अफसर अव्यवस्थित तरीके से मेहनत करते रहे। अगर बंधा टूटता है तो जान माल के साथ लाखों करोड़ों के नुकसान का जिम्मेदार कौन होगा? बता दें कि गंगा बैराज की क्षमता 6 लाख 35 हजार क्यूसेक पानी की क्षमता है और 85 हजार क्यूसेक पानी के दौरान तटबंध क्षतिग्रस्त कैसे हो गया यह बड़ा सवाल है। इस पूरे प्रकरण में रावली के सरदारों और आसपास क्षेत्र के लोगों ने तटबंध को कटान से रोकने के लिए काफी मदद की। शुरू में ही मरम्मत हो जाती तो नहीं पैदा होते ऐसे हालात ग्रामीण आसिफ, अनुदीप, अफसर, दीपक कुमार, अकरम आदि का कहना है कि नदियों पर अतिक्रमण, सील्ट सफाई और कच्चे तटबंध बड़ी समस्या है। ग्रामीणों ने कहा कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों को पता था कि तटबंध कहां कमजोर है, बावजूद इसके तटबंध को लेकर कोई काम नहीं हुआ। पहले से तैयारी होती तो शायद तटबंध बच जाता। गंगा द्वारा तटबंध का कटाव होने की सूचना पर प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और बिना संसाधन के तटबंध को कटान से रोकने का प्रयास करते रहे। पर्याप्त मात्रा में मिट्टी और पत्थर न होने के बावजूद सैकड़ों पेड़ों को काटकर गंगा में कटान रोकने के लिए डालते रहे और पेड़ बहते रहे। तटबंध के आसपास हरियाली तक खत्म हो गई। रावली के सरदारों और आसपास के लोगों ने जरूर तटबंध को बचाने के लिए जीन जान एक कर दी। ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारी तटबंध कटने का इंतजार करते रहे। अनुदीप, जोगेन्द्र, हीरा सिंह, बलविंदर सिंह ने कहा कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही है। करोड़ों रुपये के पत्थर के स्टड बनवाए गए थे जो किसी काम नहीं आए। जहां स्टड बनने थे वहां स्टड नहीं बनवाए गए। ग्रामीणों ने आरोप लगाए कि जेसीबी से पत्थर फेंके जा रहे थे जो बह रहे थे। ग्रामीणों का कहना है कि अगर पांच दिन पहले तटबंध को लेकर काम शुरू हो जाता तो शायद यह नौबत न आती। गंगा सिंह, राजेन्द्र सिंह, मोहम्मद अकरम ने कहा कि नदियों की सील्ट सफाई होनी चाहिए। अतिक्रमण हटना चाहिए और पक्के तटबंध बनने चाहिए। तटबंध के किनारों पर पेड़ लगने चाहिए जो मिट्टी का कटान न होने दें। पेड़ों व मिट्टी कट्टों के सहारे सिंचाई विभाग ग्रामीणों के मुताबिक तटबंध क्षतिग्रस्त होने की कई दिन पूर्व संभावना होने के बावजूद सिंचाई विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए है। ग्रामीणों का कहना है कि करीब एक किमी का रावली तटबंध कटान के चलते भी सिंचाई विभाग ने ठोस कदम नहीं उठाए है। सिंचाई विभाग के पास मशीनरी की कमी रही। सिंचाई विभाग ने तटबंध क्षतिग्रस्त होने के बावजूद पत्थर व मशीनरी का पर्याप्त इंतजाम नहीं किया था। पेड़ों व मिटटी के कट्टों के सहारे गंगा से मोर्चा संभाल रहे थे। जो नाकाफी साबित हुए। प्रशासन व सिंचाई विभाग के ढीले रवैये से नाराजगी रावली तटबंध टूटने पर नीचे स्थान पर बसे करीब 15 से अधिक गांवों में बाढ़ के हालात पैदा हो जाएगे। ग्रामीणों का कहना है कि तटबंध क्षतिग्रस्त होने के बावजूद प्रशासनिक व सिंचाई विभाग के अधिकारियों का रवैया ढ़ीला रहा। रात भर सिंचाई विभाग ने तटबंध पर काम तो किया, लेकिन वह नाकाफी रहा। कटान रोकने को यदि पहले से सक्रियता दिखाई जाती तो तटबंध क्षतिग्रस्त नहीं होता। तटबंध नहीं बचा तो बह जाएगी हमारी फसल गांवों में दहशत का माहौल है। मिर्जापुर गांव के किसान राजेंद्र सिंह ने कहा कि गंगा का पानी सीधे तटबंध से टकरा रहा है। अगर तटबंध नहीं बचा तो हमारी सारी फसल बह जाएगी। गांव तक पानी पहुंचने में देर नहीं लगेगी। रावली निवासी मौहम्मद अकरम ने कहा कि पहले भी कई बार गंगा ने कटान किया है, लेकिन इस बार हालात ज्यादा गंभीर हैं। प्रशासन मशीनें चला रहा है, लेकिन जब तक कटान रुक नहीं जाता, तब तक चैन नहीं मिलेगा। किसान गंगा सिंह का कहना है कि हम लोग खेतों की तरफ जा नहीं पा रहे है। हर कोई डरा हुआ है कि कब पानी गांव तक पहुंच जाए। बच्चों और परिवार को सुरक्षित रखने की चिंता सबसे बड़ी है। दर्द किया बयां तटबंध नहीं टूटना चाहिए। अगर तटबंध टूटा तो भारी नुकसान होगा। किसानों की फसलों का नुकसान होगा। - ब्रहम सिंह नुकसान को अगर बचाना है तो तटबंध को प्रशासन को टूटने से बचाना होगा। अगर तटबंध टूट गया तो किसानों की फसल बर्बाद हो जाएंगी। - मुकेश कुमार तटबंध टूटने के कई गांवों में गंगा का पानी घुस जाएगा। किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। जिला प्रशासन पूरी ताकत लगाकर तटबंध को टूटने से बचाना चाहिए। - अनिल चौधरी तटबंध टूटने से भारी तबाही होगी। जिला प्रशासन को राहत शिविर से लेकर अन्य इंतजाम समय रहते पूरे करने चाहिए। बाढ़ आएंगी तो पशुओं के चारे की दिक्कत हो जाएंगी। - छोटे बाढ़ अगर आ गई तो खून पसीने से सींची फसल बर्बाद हो जाएंगी। किसानों की फसलों को नुकसान होगा। - रोशन। जिला प्रशासन को पहले से तटबंध को लेकर गम्भीर होना चाहिए था। अगर ऐसा होता तो यह स्थिति न आती। -बिरम सिंह अभी तटबंध टूटा नहीं है। सुना है कि तटबंध में रिसाव होने लगा है। प्रशासन इस तटबंध को टूटने से रोके। अगर तटबंध टूटा तो कई गांवों में बाढ़ आ जाएंगी।- निरंकार सिंह पहले से ही तटबंध पर नजर रखनी चाहिए थी। अगर तटबंध की स्थिति को देखकर पहले काम शुरू होता तो यह नौबत न आती।-शैलेश कुमार बाढ़ अगर आई तो हमारा घेरराम बाग भी नहीं बचेगा। पानी आ सकता है। अगर पानी आया तो भारी नुकसान होगा। -सन्नू सैनी बाढ़ को भी देख लें लेकिन, सबसे बड़ी समस्या पश्ुाओं की है। किसानों ने पशु बांध रखे हैं। उन्हें किसान किस के भरोसे छोड़कर जाएगा। बड़ी समस्या पैदा हो जाएगी।- जयकार सिंह । तटबंध अगर टूटा तो हमारे खेतों में पानी आ जाएगा। कई गांव की फसल बर्बाद हो जाएगी। तटबंध टूटना नहीं चाहिए। प्रशासन पूरी ताकत से तटबंध को टूटने से बचाए।- अनुराग चौधरी। अगर तटबंध टूट गया तो बाढ़ आ जाएगी। कई गांव में गंगा का पानी आ जाएगा। हमारे गांव तक पानी आने की पूरी उम्मीद है। डर का माहौल है। - रामेन्द्र सिंह । तटबंध टूटने से पहले अधिकारी राहत शिविर की घोषणा करें। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए। जान माल की हानि नहीं होनी चााहिए।- कलवा सिंह अगर समय रहते अधिकारी तटबंध पर काम शुरू करा देते तो ऐसी स्थिति नहीं बनती। अगर बाढ़ आती है तो अफसर लोगों को हर तरह की राहत उपलब्ध कराए।- धर्मवीर सिंह ।

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