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कालागढ़ में आवासीय भवनों पर चली जेसीबी

Bijnor News - प्रशासन द्वारा कालागढ़ में अवैध भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा रही है। 86 भवनों को जेसीबी के माध्यम से गिराया गया है। कार्यवाही के दौरान पुलिस और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में शांति व्यवस्था...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिजनौरTue, 24 Dec 2024 11:07 PM
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कालागढ़ में आवासीय भवनों पर चली जेसीबी

प्रशासन द्वारा कालागढ़ स्थित आवासीय भवनों पर जेसीबी का पंजा चलाया जा रहा है। पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में आवासीय भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा रही है। कालागढ़ में लम्बे अरसे से समय समय पर आवासीय तथा अनावासीय भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही होती रही है। इसी क्रम में एक बार फिर यहां मौजूद खाली आवासीय भवनों पर जेसीबी का पंजा चल रहा है। ध्वस्तीकरण की कार्यवाही के दौरान मोके पर भारी पुलिसबल मौजूद है। पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में जेसीबी की मदद से ध्वस्तीकरण करके प्रशासन द्वारा आवासीय भवनों को गिराया जा रहा है। ध्वस्तीकरण के बाद खाली भूमि वन विभाग को सुपुर्द किया जाना प्रस्तावित है।

एसडीएम कोटद्वार सोहन लाल सैनी ने बताया कि कालागढ़ में वन विभाग और सिचाई विभाग द्वारा भूमि पर अवैध भवन बने होने का हवाला देते हुए ध्वस्तीकरण किए जाने की याचना की गई थी। इसके मद्देनजर सिचाई विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई 77 खाली भवनों की सूची के क्रम में भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की जा रही है। अपर पुलिस अधीक्षक चंद्रमोहन सिंह का कहना है कि कालागढ़ वन विभाग की भूमि पर सिंचाई विभाग के भवन बने हुए है।

भवन पूरी तरह खंडहर ओर जर्जर हो चुके हैं। प्रशासन द्वारा खंडहर हो चुके भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की जा रही है। कार्यवाही के दौरान पुलिस, पीएसी और फायर सर्विस सहित अन्य सभी विभागों के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर मौजूद है। शांति व्यवस्था बनी हुई है। आवासों को तोड़ा गया। यूपी सिंचाई विभाग शिविर प्रबंध खंड के एई विजय सिंह के मुताबिक ध्वस्तीकरण कार्यवाही के तहत मंगलवार को 86 आवासों को तोड़ा गया है।

भाकियू (टिकैत) ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपा

ध्वस्तीकरण की कार्यवाही के दौरान भाकियू (टिकैत) के ब्लॉक अध्यक्ष मदन राणा की अगुआई में दर्जनों कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे। उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन एसडीएम सोहन लाल को सौंपा। ज्ञापन में बेदखली से पहले प्रभावित परिवारों का विस्थापन किए जाने की मांग की गई है। इस मौके पर मदन राणा के अलावा राणा सिंह, परशुराम सिंह, दीपक सिरोही और अतुल शर्मा सहित भारी संख्या में भाकियू कार्यकर्ता मौजूद रहे।

पहले भी तोड़े गए आवासीय भवन

कालागढ़। यहां स्थित आवासीय कालोनियों में अतिक्रमण के बहाने इससे पहले 19 जून 1993 को सैकडो परिवारों को बल पूर्वक बेदखल कर सैकड़ों भवन ध्वस्त किए गए थे। इसके बाद 22 व 23 अगस्त 2003 को आवासों को ध्वस्त करके परिवारों को जबरन बेदखल करके बेघर किया जा चुका है। इसी क्रम में साल 2016 तथा 2018 के दौरान भारी संख्या आवास ध्वस्त कर परिवारों को बेदखल किया गया था।

तीन दशक पहले लिखी गई थी विनाश की इबारत

कालागढ़। कालागढ़ बेदखली की खबर सुनते ही लोगों को तीन दशक पहले 16 फरवरी 1992 को रामगंगा डैम के हाथीकुंड इलाके में हैलीकाप्टर गिरने की घटना की याद ताजा हो जाती है। अनेक लोग रामगंगा डैम में हैलीकाप्टर के गिरने की घटना को कालागढ के लिये अभिशाप बताते हुये कहते हैं कि यदि हैलीकाप्टर डैम में नहीं गिरता, तो शायद कालागढ की यह दुर्दशा भी नहीं होती। कालागढ के विनाश की इबारत तीन दशक पहले कार्बेट प्रशासन तथा एक एनजीओ द्वारा लिख दी गई थी। 16 फरवरी 1992 को वन्यजीव क्षेत्र में एक एनजीओ के संचालक तथा पूंजिपति का हैलीकाप्टर कालागढ डैम के हाथीकुंड इलाके में गिर गया था।बताया जाता है कि हैलीकाप्टर में अर्जुन थापर नाम के व्यक्ति सहित उसके दो जर्मनी दोस्त मौजूद थे। हैलीकाप्टर में टाईमर लगाकर ये लोग जंगलों में निकल गए। इस दौरान पायलट को नींद आ गई तथा टाईमर एक्पायर हो जाने के कारण हैलीकाप्टर पायलट सहित डैम के हाथीकुंड इलाके में गिर गया। घटना का पता अगले दिन उस समय लगा जब, पायलट पानी से निकल कर जंगलों से होता हुआ मोरघाटी के समीप निकला तथा हैलीकाप्टर में सवार लोगों को जानकारी दी। घटना की जानकारी मीडिया को हो जाने के कारण न चाहते हुए भी कार्बेट प्रशासन को इस मामले में विभागीय कार्यावाही करनी पडी। कानूनी पैचीदगियों के चलते कोर्ट से हैलीकाप्टर रिलीज होने में लंबा समय लग गया। इसके बाद कार्बेट प्रशासन तथा एनजीओ ने कालागढ का अस्तित्व समाप्त करने की पटकथा लिखनी शुरू कर दी।

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